उद्धव गुट के नेता ने कहा कि राणा को भारत लाने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत 2009 में ही हो गई थी, जब एनआईए ने राणा और डेविड हेडली के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की थी। उस समय भारत सरकार के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और विदेश सचिव 2012 में अमेरिका गए थे और उन्होंने अमेरिकी प्रशासन से राणा के प्रत्यर्पण पर चर्चा की थी। उस समय एनआईए की टीम भी शिकागो गई थी।
संजय राउत ने कहा कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया की नींव यूपीए सरकार ने रखी थी, ऐसे में आज बीजेपी इसे अपनी उपलब्धि बताकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि राणा को अमेरिका से लाया गया, यह सराहनीय है, लेकिन अब यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या उसे फांसी की सजा दिलाने के लिए लाया गया है या केवल इसका राजनीतिक क्रेडिट लेने के लिए। उन्होंने पूछा कि क्या अब बीजेपी ‘राणा फेस्टिवल’ मनाना चाहती है?
राज्यसभा सांसद ने तंज कसते हुए कहा कि अगर बीजेपी को वाकई श्रेय चाहिए, तो राणा की मूर्ति बनवाएं और उसके नीचे खड़े होकर फोटो खिंचवाएं।
राउत ने कहा कि अगर देश की सुरक्षा वाकई बीजेपी के लिए इतनी महत्वपूर्ण है, तो आज तक पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को क्यों नहीं छुड़ाया गया? उन्होंने यह भी पूछा कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक अपराधियों को देश वापस क्यों नहीं लाया जा रहा।
फडणवीस ने दिया रिएक्शन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मुझे इस बात का बहुत हर्ष है कि मुंबई पर हमला करने वाले हमलावरों को और विशेष रूप से षड़यंत्र रचने वाले राणा को भारत सरकार ने सफलता के साथ भारत लाया है और हमारी न्याय व्यवस्था का सामना उसे करना पड़ेगा। एक प्रकार से हमारे दिल पर जो बोझ था कि कसाब को तो हमने फांसी दी है लेकिन षड्यंत्र करने वाला अभी बाकी है। उसे लाने का काम सरकार ने किया है… दूसरी तरफ कुछ लोग मूर्खों की तरह बयान दे रहे हैं, मैं मूर्खों का जवाब नहीं देता।”
18 दिन की कस्टडी में तहव्वुर राणा
बता दें कि तहव्वुर राणा 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। राणा को लंबी कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई के बाद अमेरिका से भारत लाया जा सका। अमेरिका से प्रत्यर्पित तहव्वुर राणा को गुरुवार को नई दिल्ली लाया गया जहां नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। इसके बाद राना को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे एनआईए की 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया।
26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। 26/11 हमले में 164 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए। आतंकवादियों ने भारतीयों और अन्य देशों के नागरिकों की हत्या की। सुरक्षाबलों ने चार दिन तक चले अभियान में 9 आतंकियों को मार गिराया, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया। 2012 में कसाब को महाराष्ट्र की येरवडा जेल में फांसी दी गई।