महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत देने के लिए कथित तौर पर 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में सतारा जिला और सत्र न्यायाधीश धनंजय निकम (Dhananjay Nikam) पर मामला दर्ज किया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एन आर बोरकर की एकल पीठ ने बुधवार को कहा कि वह 15 जनवरी को अपने कक्ष में याचिका पर सुनवाई करेंगे, क्योंकि इसमें एक न्यायिक अधिकारी शामिल है। वकील वीरेश पुरवंत के माध्यम से याचिका दायर करने वाले निकम ने कहा कि वह निर्दोष हैं और उन्हें मामले में फंसाया गया है। याचिका में कहा गया है कि एफआईआर में निकम द्वारा पैसे की कोई सीधी मांग या स्वीकृति नहीं दिखाई गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, जमानत याचिका में आगे तर्क दिया गया कि न्यायाधीश को न तो शिकायतकर्ता और अन्य आरोपियों के बीच बैठकों के बारे में पता था और न ही शिकायतकर्ता जमानत मांगने वाले आरोपी से संबंधित है। याचिका में कहा गया है कि निकम तब छुट्टी या प्रतिनियुक्ति पर थे, जिससे आरोपों पर संदेह हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, उसके पिता नागरिक रक्षा कर्मचारी हैं, जो अभी सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगने के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।
निचली अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद महिला ने सतारा सत्र अदालत में एक नई जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर निकम को सुनवाई करनी थी।
एसीबी ने आरोप लगाया कि दो आरोपियों मुंबई के किशोर संभाजी खरात और सतारा के आनंद मोहन खरात ने निकम के कहने पर महिला से 5 लाख रुपये की मांग की और पक्ष में आदेश देने का दावा किया।
भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने दावा किया कि 3 से 9 दिसंबर 2024 के बीच उनकी जांच के दौरान रिश्वत की मांग का सत्यापन किया गया, जिससे पुष्टि हुई कि निकम ने रिश्वत मांगने के लिए खरात के साथ मिलीभगत की थी।
जिसके चलते एसीबी ने निकम, किशोर खरात, आनंद खरात और एक अज्ञात व्यक्ति पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। निकम की याचिका में कहा गया है कि उन्होंने न तो जमानत याचिका पर सुनवाई टाली और न ही पक्ष में फैसला देने का कोई वादा किया।