रिपोर्ट्स के मुताबिक, नागपुर जिले की निजी प्राथमिक शालाओं में कुल 580 फर्जी शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्तियां करने का आरोप है। महाराष्ट्र शिक्षक परिषद ने नागपुर में हुई 580 फर्जी शिक्षक भर्तियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिक्षक परिषद का आरोप है कि एक मृत शिक्षा अधिकारी की फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर 100 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इस घोटाले के कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गहन जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा न जाए।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जांच में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि फर्जी नियुक्तियों के लिए 20 से 35 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई। बताया जा रहा है कि फर्जी दस्त्तावेज बनाकर शिक्षकों की बोगस नियुक्तियां की गईं, उनके बैंक खातों में सालों से वेतन भी जमा हो रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले में एक ऐसे अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। अधिकारी 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे और कुछ समय बाद उनका निधन हो गया था। फिर भी 2016 से लेकर 2024 के बीच 100 से अधिक फर्जी नियुक्तियां उन्हीं के हस्ताक्षर वाले दस्तावेजों के आधार पर की गईं।
मुख्य आरोपी हिरासत में
इस घोटाले का मुख्य आरोपी निलेश मेश्राम बताया जा रहा है, जो शिक्षा विभाग के कार्यालय में अधीक्षक के पद पर तैनात है। मेश्राम को नागपुर पुलिस ने हिरासत में लिया है। उसकी एक कथित ऑडियो क्लिप भी सामने आई है, जिसमें वह इस फर्जी भर्ती प्रक्रिया से जुड़े कागजात तैयार कराने की बातचीत करता हुआ सुना जा सकता है। उसकी संपत्ति की भी पुलिस जांच कर रही है। सूत्रों की मानें तो इन 580 नियुक्तियों को रद्द करने की तैयारी की जा रही है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस फर्जीवाड़े में शिक्षा विभाग और जिला परिषद के अन्य अधिकारियों की भी संलिप्तता हो सकती है। मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।