गौरतलब है कि जिले में पीएम कुसुम कम्पोनेंट-ए के तहत लगे सोलर संयंत्रों में रोजाना 55 मेगा वॉट बिजली बन रही है, वहीं घरेलू व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में करीब 400 कनेक्शनों से प्रतिदिन करीब 15 मेगा वॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह जिले की कुल बिजली खपत का करीब दस प्रतिशत है, जिसका सौर ऊर्जा से उत्पादन हो रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार के प्रोत्साहन से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नागौर जिला तेजी से आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि जिले में सबसे बड़ा सोलर प्लांट जायल के बरनेल में लगा हुआ है, जिसकी क्षमता 40 मेगा वॉट है।
नागौर में सबसे ज्यादा रुझान सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने को लेकर सरकार की ओर से कुसुम कम्पोनेंट ‘ए’ व ‘सी’ के तहत दिए जा रहे अनुदान का लाभ लेने में सबसे ज्यादा रुझान डिस्कॉम के नागौर उपखंड में देखा जा रहा है। नागौर में पहले ही काफी कनेक्शन लिए हुए हैं। अब कुसुम कम्पोनेंट ‘ए’ के तहत नागौर उपखंड में 8 मेगा वॉट के तथा कुसुम कम्पोनेंट ‘सी’ के तहत 116.42 मेगा वॉट के संयंत्र लगाने की स्वीकृति जारी हो चुकी है। नागौर में भी सबसे ज्यादा 95.68 मेगा वॉट के खींवसर में लग रहे हैं। इसी प्रकार मेड़ता उपखंड में 76.26 मेगा वॉट के कुल 31 संयंत्र तथा डेगाना में 32.29 मेगा वॉट के 14 संयंत्र लगेंगे। कम्पोनेंट ‘ए’ में नागौर उपखंड के 8 मेगा वॉट के 5 संयंत्र भी केवल खींवसर में लगेंगे, जबकि मेड़ता में 10.75 मेगा वॉट के कुल 12 संयंत्र लगेंगे।
बंजर भूमि में अन्न न सही, सौर ऊर्जा ही सही सरकार की कुसुम कम्पोनेंट ‘ए’ के तहत बंजर भूमि व खेती के लिए अयोग्य भूमि पर सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए जाते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। विद्युत निगम के केन्द्रीय बोर्ड एवं विशेषज्ञों ने देश में खींवसर को सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त माना है। किसान अब अपने खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली पैदा कर रहे हैं।
खेतों में सिंचाई व घरों के लिए भी सौर ऊर्जा बन रही विकल्प समय के साथ जिले के किसान भी अपग्रेड होने लगे हैं, जिले में 1500 से अधिक किसानों ने खेतों में नलकूप से पानी निकालने व सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रखे हैं। डिस्कॉम से कनेक्शन लेने वाले किसानों को भले ही बिजली आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन सौर ऊर्जा संयंत्र वाले किसान दिन में सिंचाई करते हैं और रात में चैन की नींद सोते हैं। इसी प्रकार जिले घरेलू व अघरेलू में भी सौर ऊर्जा कनेक्शनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
सोलर एनर्जी से चल रही बड़ी-बड़ी फैक्टरियां जिला मुख्यालय पर करीब 4 हजार किलो वॉट के सौर ऊर्जा प्लांट लगे हुए हैं, इसमें सबसे ज्यादा फैक्टरियों एवं कारखानों में हैं। डिस्कॉम से मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट एक पशु आहार तैयार करने वाली फैक्टरी में है, जिसकी क्षमता 550 किलो वॉट है। इसी प्रकार एक दाल मील में 125 किलो वॉट का, भूजिया फैक्टरी में 149 किलो वॉट का, एक ऑयल मील व एक होटल में 100-100 किलो वॉट के सौर ऊर्जा प्लांट लगे हुए हैं।
जिले में पिछले आठ साल में यूं बढ़े रूफ टॉप सोलर कनेक्शन वर्ष – कनेक्शन 2016-17 – 3 2017-18 – 13 2018-19 – 40 2019-20 – 37 2020-21 – 107
2021-22 – 103 2022-23 – 69 2023-24 – 15 सौर ऊर्जा पर विशेष जोर सरकार का सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाने पर विशेष जोर है, इसके लिए अनुदान भी दिया जाता है। उपभोक्ताओं के लिए भी यह फायदे का सौदा है। जिले में पीएम कुसुम कम्पोनेट-ए के तहत 21 सौर ऊर्जा प्लांट स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 13 का काम पूरा हो गया है। इसी प्रकार कुसुम कम्पोनेट-सी के तहत 257.51 मेगा वॉट के 106 प्लांट स्वीकृत किए गए हैं।
– अशोक चौधरी, अधीक्षण अभियंता, डिस्कॉम, नागौर