कई मामले ऐसे भी आए जिसमें स्कूल की शिक्षिकाओं ने बच्चियों के यौन शोषण में शिक्षकों का साथ दिया है। इनमें अगर निजी स्कूलों के मामले भी शामिल किए जाएं तो आंकड़े चार गुना तक बढ़ जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता है कि आखिर भरोसा करें तो किस पर करें। शिक्षकों के खिलाफ दर्ज छात्राओं से छेड़छाड़ व बलात्कार के अधिकतर मामलों में मोबाइल पर अश्लील मैसेज व वीडियो भेजने की शिकायत है। कई शिक्षकों पर क्लास में पोर्न वीडियो देखने के भी आरोप हैं।
शिक्षक-शिक्षिका के वायरल वीडियो से स्कूलों के माहौल पर उठे सवाल
तीन साल पहले अलवर के बहरोड़ में 10वीं कक्षा की छात्रा से प्रिंसिपल व तीन शिक्षकों द्वारा एक साल तक बलात्कार करने का आरोप लगाया गया। वहीं, हाल ही में चित्तौडगढ़ में शिक्षक-शिक्षिका की अश्लील हरकतों के वायरल वीडियो ने सरकारी स्कूलों के माहौल पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।25 प्रतिशत पीड़िताएं नाबालिग
-25 प्रतिशत पीड़िताएं नाबालिग, यानी हर चौथा रेप 18 साल से कम उम्र की बेटी से-60 से अधिक मामले दर्ज, सरकारी स्कूलों में छेड़छाड़ व रेप के
-46 शिक्षक किए निलंबित
-2 शिक्षकों को सेवा से हटाया
5 साल में सरकारी स्कूलों के मामले (2019 से 2023 तक)
अनूपगढ़ 05, नागौर 05, अजमेर 04, भीलवाड़ा 04, डीडवाना 04, जोधपुर 04, जयपुर 04,श्रीगंगानगर 04, टोंक 04, भरतपुर 03, अलवर 03, ब्यावर 02, झालावाड़ 02, झुंझुनूं 02,
सीकर 02, खैरथल-तिजारा 02, नीमकाथाना 02, पाली 01, सलूम्बर 01, सांचौर 01, डूंगरपुर 01 और फलौदी 01
बाल यौन शोषण क्यों?
-सोशल मीडिया पर अश्लीलता से शिक्षकों में यौन कुंठाएं बढ़ीं।-बच्चियों को लालच देकर या पढ़ाई में उनकी कमजोरी का गलत फायदा उठाना।
-प्रशासनिक लापरवाही के चलते शिक्षकों को कुछ भी गलत करने का खौफ नहीं रहता है।
-बदलते दौर में तमाम शिक्षकों के नैतिक मूल्य बदल गए हैं।
शोकेस न बने पेटिका
ऐसे शिक्षकों का नाम स्कूल के बोर्ड पर लिखा जाए, ताकि सभी उसकी करतूत जान सकें। शिकायत पेटिका सिर्फ शोकेस न बने। गुड टच-बैड टच के बारे में बताया जाए और अभिभावक भी सतर्क रहें।-पुष्पलता व्यास, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य
महिला हेल्प डेस्क देती है कानूनी जानकारी
प्रत्येक जिले में कालिका पेट्रोलिंग टीम है, जिसे स्कूल एवं कॉलेज में जाकर बालिकाओं को अपने मोबाइल शेयर करने के निर्देश हैं, ताकि बालिकाएं अपनी परेशानी बता सके। प्रत्येक थाना क्षेत्र में महिला हेल्प डेस्क है, जो स्कूल व कॉलेजों में अराजक तत्वों से बचाव के साथ कानूनी जानकारी देती है।-अजयपाल लांबा, महानिरीक्षक, जयपुर रेंज
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कैसे लग सकता है अंकुश?
भर्ती पूर्व शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण और उन्हें मनोवैज्ञानिक मूल्यांकनों से गुजारना जरूरी। स्कूलों में सीसीटीवी, गोपनीय शिकायत प्रणाली, एवं सख्त दंड व्यवस्था जरूर होनी चाहिए। स्कूलों में बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ शिक्षा एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना जरूरी। हर छह माह पर शिक्षकों की नैतिक व साइकोलॉजिकल काउंसलिंग अनिवार्य की जानी चाहिए।-डॉ. राधेश्याम रोझ, मनोचिकित्सक, जेएलएन अस्पताल, नागौर