प्रदेश के सरकारी विद्यालयों की स्थिति विद्यालय – कुल विद्यालय – स्वयं के भवन वाले विद्यालय – बिना भवन वाले विद्यालय राप्रावि – 29,000- – 26,139 -2861 राउप्रावि – 16,488 – 15,097- 1391
राउमावि – 19740 – 18,836 – 904 प्रदेश में 13 हजार स्कूलों में कक्षा-कक्षों की कमी विधानसभा में एक विधायक की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने बताया कि प्रदेश में 13 हजार से अधिक ऐसे विद्यालय हैं, जिनके पास खुद का भवन तो है, लेकिन पूरे कक्षा-कक्ष नहीं है। हालांकि समग्र शिक्षान्तर्गत राजकीय विद्यालयों में कक्षा-कक्षों के निर्माण कार्य स्वीकृत करने का प्रावधान है। योजना के प्रावधान व निर्धारित नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार को वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट के प्रस्ताव भेजे जाते हैं। भारत सरकार की ओर से उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत प्रतिवर्ष आवश्यकता वाले विद्यालयों में कक्षा-कक्षों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति जारी की जाती है।
एक छपरे में पांच कक्षा के विद्यार्थी नागौर जिले में पांच सरकारी स्कूलों के पास भवन नहीं है। इसमें भैरूंदा ब्लॉक के निम्बोला बिस्वा का राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, मेड़ता ब्लॉक के गोटन का राजकीय प्राथमिक विद्यालय चूना भट्टा कॉलोनी, डेगाना ब्लॉक के जालसू नानक का राजकीय प्राथमिक विद्यालय, जालय ब्लॉक के छापरा का राजकीय प्राथमिक विद्यालय बनबागरियों की ढाणी एवं मेड़ता ब्लॉक के हरसोलाव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कलसो की ढाणी शामिल है। इन विद्यालयों के भवन नहीं होने से बच्चों को पेड़ों व छपरे में बैठकर पढऩा पड़ता है। गोटन के चूना भट्टा कॉलोनी विद्यालय में एक कमरा है, जहां विद्यालय का सामान रखते हैं और पांचों कक्षा के विद्यार्थी एक साथ छपरे में बैठकर पढ़ते हैं।
कई विद्यालयों के भवन जर्जर एक ओर जहां प्रदेश के पांच हजार से ज्यादा सरकारी विद्यालयों के पास खुद के भवन नहीं है, वहीं 13 हजार से ज्यादा विद्यालयों में पर्याप्त कक्षा-कक्ष नहीं होने से विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर जो भवन बने हुए हैं, उनमें कई विद्यालयों के भवन वर्षों पुराने होने से जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं, जिससे बारिश के दिनों में हादसे का खतरा बना रहता है। शिक्षकों का कहना है कि बारिश के दिनों में जर्जर भवनों की छत से पानी टपकता है, ऐसे में हादसे की भी आशंका बनी रहती है।
बड़ी चिंताजनक स्थिति यह बड़ा दुखद विषय है कि आजादी के 78 साल बाद भी सार्वजनिक शिक्षा के लिए सरकार बच्चों को भवन नहीं दे पाई। सरकार को शिक्षा क्षेत्र में जहां-जहां भवनों की कमी है, वहां जल्द भवन बनाने चाहिए और पूरे अध्यापक लगाने चाहिए। ताकि सरकारी स्कूलों का नामांकन बढ़ सके और जरूरतमंदों के साथ गांव-ढाणी के बच्चों को उचित शिक्षा मिल सके।
– अर्जुनराम लोमरोड़, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत, नागौर