Nagaur patrika…पातालेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान है स्वयंभू शिवलिंग
-बंशीवाला मंदिर परिसर में बंशीवाला के बायीं ओर 30-35 फीट नीचे की ओर स्थित है यह मंदिरनागौर. सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के अभिषेक को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। दो दिन बाद यानि की 14 जुलाई को पहला सोमवार पड़ रहा है। सोमवार को शिव मंदिरों में जलाभिषेक की होड़ लगी […]


-बंशीवाला मंदिर परिसर में बंशीवाला के बायीं ओर 30-35 फीट नीचे की ओर स्थित है यह मंदिर
नागौर. सावन मास में शिव मंदिरों में महादेव के अभिषेक को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। दो दिन बाद यानि की 14 जुलाई को पहला सोमवार पड़ रहा है। सोमवार को शिव मंदिरों में जलाभिषेक की होड़ लगी रहती है। ऐसे ही मंदिरों में शामिल है नागौर शहर के बंशीवाला परिसर में स्थित पातालेश्वर महादेव मंदिर। मंदिर तो करीब 1 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है, लेकिन इसका कोई प्रमाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। मंदिर के महेश पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है। मंदिर परिसर में नीचे की ओर स्थित भगवान महादेव पातालेश्वर के रूप में शिवलिंग रूप में विराजित हैं। कहते हैं कि औरंगजेब के सिपाहसलार मंदिर को तोडऩे की नीयत से पहुंचे तो थे, लेकिन वह कुछ बिगाड़ नहीं सके इसका। इस प्राचीन मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 26 सीढिय़ां उतरना होता है। इसके बाद ही महादेव के दर्शन हो पाते हैं।
सावन मास में अभिषेक की रहती है होड़
महाशिवरात्रि के साथ ही सावन मास में पातालेश्वर महादेव को जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करने की होड़ लगी रहती है। भगवान शिव के प्रत्येक मुख्य पर्व पर यहां श्रद्धालुओं का मेला उमड़ता है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक बनावट के साथ निर्माण की तमाम विशेषताओं को समाहित करते हुए यह मंदिर लोगों को आस्था के साथ जोड़ते हुए पारंपरिक गौरव का भी एहसास कराता है। जब श्रद्धालु पातालेश्वर तक पहुंचते हैं तो वातानुकूलित वातावरण के आनंद का अनुभव करते हैं और गर्मियों में विशेष ठण्डक भी लोगों को सुकून देती है। श्री पातालेश्वर महादेव रूद्राभिषेक संघ के पाठी महाशिवरात्रि और सावन के महीने में विशेष रूद्राभिषेक करते हैं। यह ऐतिहासिक व प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर की दीवारों पर कांच के टुकड़ों को जोडकऱ की गई कलाकारी देखते ही बनती है। नयनाभिराम कारीगरी देखकर लोग प्रशंसा किए बिना नहीं रहते। मंदिर में साल भर आयोजनों का दौर चलता ही रहता है। यहां ऐसा कोई दिन नहीं होता, जिस दिन भक्तों की भीड़ ना हो।
महादेव का ऐसे होता था अभिषेक
मंदिर के पुजारी के अनुसार पहले पातालेश्वर महादेव मंदिर में खुद-ब-खुद पानी निकलता था, लेकिन पिछले तीन से चार सालों से यह सिलसिला बंद है। बताते हैं कि पहले इतना ज्यादा पानी निकलता था कि इसको निकालने के लि
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