scriptमारवाड़ में आई पर्यावरण चेतना से बदल रही तस्वीर, नागौर, पाली व बीकानेर में सबसे ज्यादा बढ़ी वन भूमि | Patrika News
नागौर

मारवाड़ में आई पर्यावरण चेतना से बदल रही तस्वीर, नागौर, पाली व बीकानेर में सबसे ज्यादा बढ़ी वन भूमि

मारवाड़ में आई पर्यावरण चेतना से बदल रही तस्वीर, नागौर, पाली व बीकानेर में सबसे ज्यादा बढ़ी वन भूमि, किसी ने पौधरोपण के लिए जीवन किया समर्पित तो कोई कर रहा प्लास्टिक उपयोग का विरोध
– मारवाड़ अंचल में पिछले 20 सालों में आई जागृति, मरूस्थल का क्षेत्र हो रहा हरा-भरा, बारिश भी बढ़ी

नागौरMar 22, 2025 / 11:00 am

shyam choudhary

harima

नागौर के हरिमा में हजारों पेड़ लगाकर तैयार किया गया छोटा जंगल

नागौर. मारवाड़ क्षेत्र आई पर्यावरण चेतना ने पिछले कुछ ही सालों में यहां की तस्वीर बदल दी है। खासकर पौधे लगाकर उनको पेड़ बनाने के लिए मारवाड़ के लोगों ने जो जिद पकड़ी, उससे रेगिस्तान का क्षेत्र हरा-भरा दिखाई देने लगा है। हालांकि पूरे प्रदेश में वन आच्छादित क्षेत्र वृद्धि दर्ज की जा रही है, लेकिन जहां पहले से घने वन हैं, वहां वन क्षेत्र घट रहा है, जबकि पश्चिमी राजस्थान में आने वाले कुछ जिलों में वन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, इसमें नागौर, पाली व बीकानेर सबसे अधिक वन क्षेत्र बढ़ाने वाले जिले हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून की ओर जारी गत तीन रिपोर्ट (वर्ष 2021, 2019 एवं 2017) के अनुसार वन आच्छादित क्षेत्र में क्रमश: 25.45 वर्ग किमी., 57.51 वर्ग किमी एवं 466 वर्ग किमी की वृद्धि होना पाया गया है।
बारिश का औसत बढ़ा

पश्चिमी राजस्थान में वन भूमि बढऩे का असर यह हुआ कि यहां बारिश की मात्रा बढ़ गई। मौसम विशेषज्ञों का भी कहना है कि पहले जहां पूर्वी राजस्थान में बारिश अधिक होती थी, वहां अब पश्चिमी राजस्थान में बारिश का औसत बढ़ा है। नागौर जिले की वार्षिक औसत बारिश 367 मिलीमीटर है, लेकिन वर्ष 2010 के बाद केवल 2018 में 351 एमएम बारिश हुई, इसके अलावा शेष 14 वर्षों में औसत से 100 से 200 एमएम तक अधिक बारिश हुई है। वर्ष 2019 व 2021 तो ऐसे निकले, जब जिले की औसत बारिश का आंकड़ा 600 एमएम से पार हो गया। इसके पीछे मुख्य कारण हरियाली का बढऩा है।
नागौर जिले में बढ़ा वन आच्छादित क्षेत्र

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून की ओर से जारी गत तीन रिपोर्ट के अनुसार नागौर जिले में वन आच्छादित क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। जिले में वर्ष 2017 में वन आच्छादित क्षेत्र में 22 वर्ग किमी की वृद्धि हुई, इसी प्रकार 2019 में 4.04 वर्ग किमी तथा वर्ष 2021 में 22.72 वर्ग किमी की वृद्धि हुई।
वितरण के लिए 4 करोड़ पौधे हो रहे तैयार

राज्य सरकार वन क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए पूरे प्रयास कर रही है। राज्य वन नीति 2023 में निर्धारित वनस्पति आवरण को कुल भौगोलिक क्षेत्र के 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत वर्ष 2023-24 में 77,295 हैक्टेयर तथा 2024-25 में 77,831.85 हैक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण कराया गया है। साथ ही, वन क्षेत्र के बाहर पौधरोपण के तहत भी ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों एवं जन साधारण के सहयोग से एक वृहद पौधरोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वन क्षेत्र के बाहर पौधरोपण अन्तर्गत वन विभाग की विभिन्न 528 नर्सरियों में विभिन्न प्रजातियों के पौधे तैयार कर वर्ष 2023-24 में 3.75 करोड़ पौधे तथा वर्ष 2024-25 में 3.70 करोड़ पौधे विभिन्न विभागों/आमजन/एनजीओ आदि को राजकीय दर पर वितरित किए गए। वन क्षेत्र के बाहर पौधरोपण योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 में वितरण के लिए 4 करोड़ पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
प्लास्टिक को कहो ना

हम रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से समय-समय पर कपड़े की थैलियां वितरित करते हैं। साथ ही लोगों से इस बात के लिए समझाइश करते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग बंद करें, क्योंकि यह हमारे पर्यावरण को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। लोग धीरे-धीरे जागरूक भी हो रहे हैं।
– रामप्रकाश मिर्धा, चैयरमेन, रेडक्रॉस सोसायटी, नागौर

जाग रहा है मारवाड़

आज से 40 साल पहले जब मैं पौधे लगाने की बात करता था तो लोग ज्यादा तवज्जों नहीं देते थे, लेकिन फिर भी मैंने अपना काम जारी रखा। धीरे-धीरे लोगों में पर्यावरणीय जागरुकता आई और मारवाड़ के लोग खुद पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाने लगे। इसके बाद जब मुझे पद्मश्री मिला तो कई लोग प्रेरित हुए। पर्यावरणीय जागरुकता का ही परिणाम है कि नागौर में वन भूमि में वद्धि हो रही है और बारिश भी अधिक हो रही है।
– पद्मश्री हिम्मताराम भांभू, पर्यावरण प्रेमी, नागौर

Hindi News / Nagaur / मारवाड़ में आई पर्यावरण चेतना से बदल रही तस्वीर, नागौर, पाली व बीकानेर में सबसे ज्यादा बढ़ी वन भूमि

ट्रेंडिंग वीडियो