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2200 करोड़ खर्च, फिर भी भाजपा के खाते में 1800 करोड़ रुपए; जानिए कांग्रेस के पास कितना पैसा

चुनावी बॉन्ड पर रोक के बाद भाजपा को मिले चंदे में कमी आई है, हालांकि दिलचस्प है कि कांग्रेस का खजाना पहले से बढ़ा है।

नई दिल्लीJan 28, 2025 / 03:55 pm

Anish Shekhar

भाजपा की 2023-2024 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले प्राप्त होने वाले दान में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। भाजपा का दान पिछले वर्ष की तुलना में 87% बढ़कर 3,967.14 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि चुनावी बांड से पार्टी का कुल योगदान इस बार पहले से कहीं कम हो गया है और अब यह उसके कुल दान का आधे से भी कम है।

चुनावी बांड पर रोक के बाद चंदे में आई कमी

चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि भाजपा को स्वैच्छिक योगदान के रूप में 2022-2023 में 2,120.06 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, जो अब बढ़कर 2023-2024 में 3,967.14 करोड़ रुपये हो गए हैं। इस वृद्धि को देखा जाए तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी राहत और चुनावी साल की तैयारी का संकेत है।
चुनावी बांड से भाजपा को 1,685.62 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो उसके कुल दान का 43% है। पिछले वर्ष भाजपा को चुनावी बांड से 1,294.14 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, जो कुल दान का 61% था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2023 में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद पार्टी के चुनावी बांड से प्राप्त दान में कमी आई है। इसके बावजूद पार्टी ने अन्य माध्यमों से अधिक दान जुटाया है।
भाजपा के चुनावी खर्चों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। पार्टी का कुल चुनावी खर्च 1,092.15 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,754.06 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें से 591.39 करोड़ रुपये सिर्फ विज्ञापन और प्रचार पर खर्च किए गए हैं।

कांग्रेस के चंदे में हुई बढ़ोतरी

इस दौरान कांग्रेस ने भी चुनावी दान के मामले में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, हालांकि वह भाजपा से काफी पीछे है। कांग्रेस के दान में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 2023-2024 में पार्टी को कुल 1,129.66 करोड़ रुपये दान प्राप्त हुए। इसमें से 828.36 करोड़ रुपये चुनावी बांड से मिले, जो 2022-2023 के मुकाबले एक बड़ी बढ़ोतरी है। कांग्रेस का चुनावी खर्च भी बढ़ा है, जो पिछले साल के 192.55 करोड़ रुपये से बढ़कर 619.67 करोड़ रुपये हो गया है। यह कांग्रेस के चुनावी प्रचार और विज्ञापन गतिविधियों के विस्तार का संकेत है।

चुनावी बांड पर SC ने लगाई थी रोक

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया गया था, जिससे यह वित्तीय वर्ष चुनावी बांड से संबंधित आखिरी वर्ष था, जिसमें पार्टियां गुमनामी का लाभ उठा सकती थीं। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ भाजपा को मिला था, जिसे अप्रैल 2019 से योजना समाप्त होने तक कुल चुनावी बांड का लगभग आधा हिस्सा मिला था (6,060 करोड़ रुपये)। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) और कांग्रेस का स्थान था, जिनकी आय क्रमशः 1,609.53 करोड़ रुपये और 1,421.87 करोड़ रुपये रही।
टीएमसी की 2023-2024 की वार्षिक रिपोर्ट में यह बताया गया कि पार्टी की आय पिछले वर्ष के 333.46 करोड़ रुपये से बढ़कर 646.39 करोड़ रुपये हो गई है, और चुनावी बांड से प्राप्त आय का लगभग 95% हिस्सा इस वृद्धि का कारण बना है।

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