हादसे के 3 दिन बाद भी डीएनए प्रोफाइलिंग प्रक्रिया पूरी नहीं हुई
जानकारी के अनुसार विमान हादसे के तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन डीएनए प्रोफाइलिंग और दंत परीक्षणों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने के कारण, अधिकतर परिजनों को उनके परिजनों का अंतिम दर्शन तक नहीं हो सका है। फोरेंसिक दंत विशेषज्ञ डॉ. जयशंकर पिल्लई ने बताया कि 135 शवों के दांतों के रिकॉर्ड जुटाए गए हैं, और उनकी मिलान प्रक्रिया जारी है।
हादसे के बाद दर्द, गुस्सा और बेबसी
“हमने अपने चार परिवारजनों को खो दिया है… लेकिन हमें अभी तक उनके शव तक नहीं दिए गए,” – यह शब्द रफीक अब्दुल हाफिज मेमन के हैं, जो हर रोज अस्पताल के बाहर सुबह से शाम तक एक सूचना का इंतजार कर रहे हैं। एक अन्य पिता, जिनका बेटा हर्षद पटेल इस हादसे में मारा गया, बोले: “हमें बताया गया है कि डीएनए में 72 घंटे लगेंगे… लेकिन यह इंतज़ार अब असहनीय हो रहा है।”
जांच की दिशा और सुलगते सवाल
रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक जांच में इंजन थ्रस्ट में गिरावट, फ्लैप्स की खराबी, और लैंडिंग गियर के खुले रह जाने जैसे तकनीकी कारणों पर शक किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि विमान के टेकऑफ के तुरंत बाद इमरजेंसी रिस्पॉन्स में देरी भी बड़ी भूमिका निभा सकती है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जवाबदेही पर बड़ा दबाव
क्या एयर इंडिया ने पूरी तरह से जरूरी मेंटेनेंस और सेफ्टी टेस्टिंग का पालन किया था? यह सवाल अब टाटा समूह और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जवाबदेही पर बड़ा दबाव बना रहा है।
सिस्टम की खामियां और मानवीय त्रासदी
हादसे ने भारतीय नागरिक उड्डयन सुरक्षा मानकों की पोल खोल दी है। इतनी बड़ी आपदा के बावजूद शव पहचान और परिवारों को सूचना देने की व्यवस्था बेहद कमजोर और असंगठित दिख रही है। डिजास्टर मैनेजमेंट की नाकामी और फोरेंसिक सपोर्ट सिस्टम की सीमाएं अब खुलकर सामने आ चुकी हैं। मीडिया में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत को क्रैश पीड़ितों के परिवारों के लिए एक नेशनल स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल नहीं अपनाना चाहिए?
एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: बी.जे. मेडिकल कॉलेज, और फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. जयशंकर पिल्लई के इनपुट और पीड़ित परिवारों के बयानों पर आधारित।