ट्रांसफर का कारण और उद्देश्य
स्वास्थ्य
विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह ट्रांसफर प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का समान वितरण हो और मरीजों को समय पर उपचार मिले। इस बदलाव के जरिए उन क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने की कोशिश की गई है, जहां चिकित्सा सेवाएं अपेक्षाकृत कमजोर हैं।
सिविल सर्जन और चिकित्सा पदाधिकारियों पर फोकस
इस ट्रांसफर में तीन जिलों के सिविल सर्जन को बदला गया है, जो जिला स्तर पर
स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी करते हैं। इसके अलावा, 65 चिकित्सा पदाधिकारियों को नई जगहों पर भेजा गया है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशासनिक और चिकित्सकीय कार्य सुचारू रूप से चलें।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इस फेरबदल को स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि
बिहार के हर कोने में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। यह ट्रांसफर नीति उसी दिशा में एक प्रयास है।”
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों, खासकर
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस ट्रांसफर को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह बदलाव सिर्फ दिखावटी है और स्वास्थ्य विभाग में मूलभूत समस्याओं, जैसे डॉक्टरों की कमी और उपकरणों की अनुपलब्धता, को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
पहले भी हो चुके हैं विवाद
बिहार का स्वास्थ्य विभाग हाल के महीनों में कई बार चर्चा में रहा है। मार्च 2025 में
बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (BHSA) के नेतृत्व में डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक उपस्थिति और कर्मचारी कमी जैसे मुद्दों को लेकर तीन दिन की हड़ताल की थी, जिससे ओपीडी सेवाएं ठप हो गई थीं। इसके अलावा, पिछले साल एक अस्पताल में मृत व्यक्ति की आंख गायब होने का मामला भी सुर्खियों में रहा था, जिसके बाद दो नर्सों को निलंबित किया गया था।