Black Budget का इतिहास
वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण के समय 1973-74 का बजट पेश किया गया था। उस समय हमारा देश आर्थिक संकटों से जूझ रहा था। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से देश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो गया था। इसके अलावा, 1973 में मानसून भी फेल हो गया और देश में सूखा पड़ा, जिससे खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आई थी। इन सभी नुकसान की वजह से देश को बजटीय घाटे का सामना करना पड़ा था।
किस सरकार ने पेश किया था ब्लैक बजट?
भारत में “ब्लैक बजट” का सबसे पहले उल्लेख 1973-74 के दौरान हुआ था, जब तत्कालीन वित्त मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने इसे पेश किया था। इस बजट को “ब्लैक बजट” कहा गया था क्योंकि यह सरकार के द्वारा घोषित किया गया था कि इस बजट में भारी मात्रा में काले धन का लेन-देन किया गया था, जिससे भारत के वित्तीय स्थिति पर भारी क्षति का सामना करना पड़ा था।
क्यों कहा गया ब्लैक बजट?
1973-74 के बजट को “ब्लैक बजट” इसलिए कहा गया क्योंकि उस समय भारत में आर्थिक संकट गहरा गया था, और सरकार के द्वारा बजट पेश करने के बाद यह सामने आया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन (Black Money) का व्यापक स्तर पर लेन-देन हो रहा था। इस बजट में सरकार ने भारी मात्रा में कर्ज लेने का प्रस्ताव किया और कई नई अप्रत्यक्ष करों की घोषणा की, जिससे आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। इसके साथ ही, इस बजट में भारत की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि इसे “ब्लैक बजट” का नाम दिया गया था। इसके अलावा, इस समय अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई थी, जिससे देश में महंगाई बढ़ी और विकास की गति मंद पड़ी। इन सारी वजहों से, 1973-74 का बजट वित्तीय दृष्टि से नकारात्मक रूप से देखा गया, और इसे “ब्लैक बजट” कहा गया।
1973 के ब्लैक बजट का पाकिस्तान से नाता
1973 का “ब्लैक बजट” पाकिस्तान से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ नहीं था, लेकिन इसका संबंध 1971 के भारत-पाक युद्ध (विभाजन और पाकिस्तान की हार) और उसके बाद की स्थिति से था। 1971 के युद्ध के बाद, पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था और भारत को युद्ध के बाद कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
इस साल कब पेश होगा बजट?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का आम बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट को लेकर देशभर के लोगों में आर्थिक उन्नति की उम्मीद है।