जोशी यहां शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद्र कुलिश की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित चिंतन शृंखला में पत्रिका की-नोट-2025 को संबोधित कर रहे थे। ‘पत्रकारिता विज्ञान, वर्तमान में आ रही चुनौतियां और भविष्य’ विषय पर आयोजित की-नोट कार्यक्रम में जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व पत्रकारिता एक आंदोलन था, लाभ कमाने वाला व्यवसाय नहीं। आज के दौर में नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं और भविष्य भी आसान नहीं है, लेकिन राजस्थान पत्रिका ने अपनी स्थापना से ही राष्ट्र निर्माण का काम किया है।
आपातकाल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश के सिर्फ दो अखबार आपातकाल के खिलाफ खड़े हुए, जिसमें एक राजस्थान पत्रिका था। उस दौर में लोकतांत्रिक संस्थाओं को लेकर सवाल खड़े हुए, दबाव डालने की कोशिश हुई, लेकिन राजस्थान पत्रिका अडिग रहा। आज भी पत्रिका में केवल राजनीतिक रिपोर्टिंग नहीं होती। वेदों, सामाजिक मुद्दों, भारतीय संस्कृति और परंपरा से इस अखबार ने पाठकों को जोड़ रखा है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राजस्थान पत्रिका का कवरेज न सिर्फ संतुलित था बल्कि देश के हित में भी था।
समाज को एकरूप में बड़ा कर रहा है पत्रिका: गुलाब कोठारी
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी (Editor-in-Chief of Patrika Group- Gulab Kothari) ने कहा कि राजस्थान पत्रिका आज भी इस समाज को एकरूप में गर्व के साथ बड़ा करने के लिए काम कर रहा है। पत्रिका अपने पाठकों को ईश्वर समझता है। ब्रह्म मुहूर्त में हम हर रोज पाठकों का दरवाजा खटखटाते हैं। यह हमारी पूजा की थाली होती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार वही बन सकता है, जो समाज का भला देखना चाहता है। जिसके मन में समाज के विकास की कामना है और जो समाज के शत्रुओं से लड़ने को तैयार है। अगर जीवन को न्यौछावर करने की कामना है तभी पत्रकार बन सकते हैं। बुद्धि से किया गया काम बुद्धि तक पहुंचता है, लेकिन मन से निकली हुई बात मन को स्पर्श करती है। यही काम हम राजस्थान पत्रिका में कर रहे हैं।
सत्य और तटस्थता के साथ मूल्यों पर खरा उतरा है पत्रिका: गुंडूराव
विशिष्ट अतिथि कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने कहा कि राजस्थान पत्रिका अपनी ईमानदारी, नैतिकता और अच्छी पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। कई चुनौतियों के बावजूद राजस्थान पत्रिका ने अपने मानकों को बनाए रखा है। हमें ऐसे समाचार पत्रों की आवश्यकता है जो मूल्यों, सत्य और तटस्थता के लिए खड़े हों। राजस्थान पत्रिका इन कसौटियों पर हमेशा खरा उतरा है।
सिर्फ वायरल होना पत्रकारिता नहीं: अर्चना सुराणा
शिक्षाविद् डॉ. अर्चना सुराणा ने कहा कि पत्रकारिता का मतलब वायरल होना नहीं है। इसका मतलब गहराई में जाना, निष्पक्ष रहना, सही सवाल पूछना, प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की जांच करना है। ज्यादातर लोग अक्सर सुर्खियों के पीछे भागते हैं। सत्य और संवेदना को महत्व दिया जाना चाहिए।