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Economic Survey 2025: कम हुआ श्रमिकों का औसत वेतन, सरकार बोली- काबू में है मंहगाई

Economic Survey 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सर्वेक्षण में भारत की वित्त वर्ष 2026 की जीडीपी वृद्धि 6.3-6.8 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद जताई गई है।

भारतFeb 01, 2025 / 09:49 am

Shaitan Prajapat

Economic Survey 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सर्वेक्षण में भारत की वित्त वर्ष 2026 की जीडीपी वृद्धि 6.3-6.8 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद जताई गई है। 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण पिछले सर्वेक्षण से छह महीने में भी आया है। 2024-25 में शिक्षा को देश की प्रगति के आठ प्रमुख स्तंभों में से एक बताते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ‘भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति’ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। निर्मला सीतारमण ने बताया कि श्रमिकों का औसत वेतन कम हुआ है। इसके साथ ही सरकार ने बताया कि महंगाई काबू में है।
आर्थिक सर्वेक्षण में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया है। हफ्ते में 70-90 घंटे काम करने पर बहस के बीच, अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया कि हफ्ते में 60 घंटे से अधिक काम करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। डेस्क पर लंबे समय तक काम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और जो व्यक्ति डेस्क पर (प्रतिदिन) 12 या उससे अधिक घंटे बिताते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब या संघर्षपूर्ण होता है। इससे पहले, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण के सात शुक्रवार को संसद का बजट सत्र शुरू हुआ। राष्ट्रपति ने एक देश एक चुनाव, वक्फ कानून अधिनियम संशोधन और भारत के एआइ मिशन जैसे मुद्दों का प्रमुखता से जिक्र किया। राष्ट्रपति ने महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे पर दुख जताने और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ अभिभाषण की शुरुआत की।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई 2024 को संसद में 2023-2024 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज पेश किया था। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण आम बजट एक फरवरी को पेश होगा। बजट सत्र का पहला पार्ट 13 फरवरी को समाप्त होगा और दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होगा।

चिंताजनकः

कम हुआ श्रमिकों का औसत वेतन

पुरुष स्व-नियोजित श्रमिकों के लिए वास्तविक मासिक वेतन 2017-18 (9,454 रुपये) के स्तर की तुलना में 2023-24 में 9.1 प्रतिशत कम (8,591 रुपये) था। 2023-24 में महिला स्व-नियोजित श्रमिकों के लिए मासिक वेतन भी 32 प्रतिशत कम होकर 2,950 रुपये हो गया। पुरुष वेतनभोगी श्रमिकों के लिए मासिक वेतन 2017-18 के 12,665 रुपये से 2023-24 में 6.4 प्रतिशत कम (11,858 रुपये) रहा। महिला वेतनभोगी श्रमिकों के लिए, यह 2017-18 के 10,116 रुपये से 2023-24 में 12.5 प्रतिशत कम (8,855 रुपये) रहा।
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सुझावः

एमएसएमई में सुधार करने की जरूरत

-आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया कि तेज आर्थिक विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए सुधारों को लागू करने की आवश्यकता है।
-अधिक नियामक बोझ चुनौती बना हुआ है। इसे कम करने की आवश्यकता है। सरकारें व्यवसायों को अधिक कुशल बनने, लागत कम करने और विकास के नए अवसर खोलने में मदद कर सकती हैं।
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पढ़ाई में एआइ का उपयोग बढ़ाया जाए

-शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और उन्हें 21वीं सदी की मांगों के अनुरूप तैयार करने के क्रम में सरकार ने एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘टीचर्सऐप’ शुरू किया है।
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-शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षक विकास और छात्र शिक्षण के लिए एआई का उपयोग करना, उद्योगों के अनुकूल कौशल विकास और व्यक्ति के अनुकूल लर्निंग सॉफ्टवेयर बनाना जरूरी।

-उच्चतर शिक्षा में वर्ष 2035 तक नामांकन को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शैक्षिक नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर को दोगुना करने की आवश्यकता है।
-वंचित और गरीब विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रवृत्तियां, ऑनलाइन शिक्षा, ओपन डिस्टेंस लर्निंग और दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सुलभ शिक्षण सामग्री की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
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अर्थव्यवस्था की बेहतरी के अच्छे संकेत

सर्विस निर्यात में सातवां स्थान

1- आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि युद्ध और तनाव के कारण भू-राजनैतिक जोखिम बने हुए हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को खतरा बना हुआ है।
2- भारत का सर्विस ट्रेड सरप्लस में होने के कारण समग्र व्यापार खाते में संतुलन में बना हुआ है। मजबूत सर्विसेज के निर्यात के कारण वैश्विक सर्विस निर्यात में देश सातवें स्थान पर पहुंच गया है।

नियंत्रण में है मंहगाई दर

1- आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक महंगाई नियंत्रण में है। वित्त वर्ष 25 के अप्रैल-दिसंबर की अवधि में औसत महंगाई कम होकर 4.9 हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 24 में 5.4 प्रतिशत थी।
2- भारतीय रिजर्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि भारत की खुदरा महंगाई धीरे-धीरे वित्त वर्ष 2026 में लगभग 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी।

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खेती-किसानी के हालात बेहतर

5- कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत है। 2024 में खरीफ सीजन का खाद्यान्न उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 एलएमटी की वृद्धि दर्शाता है।
6- पीएम किसान के तहत एक अक्टूबर तक, 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है, जबकि 23.61 लाख पीएम किसान मानधन के तहत नामांकित हैं।

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70 फीसदी स्कूल सरकारी, ड्रॉपआउट में कमी

-बड़े शहरों में भले ही बड़ी संख्या में निजी स्कूल खुल गए हों लेकिन देश के 69 प्रतिशत स्कूल आज भी सरकारी हैं जिनमें कुल छात्रों में 50 फीसदी शिक्षा ग्रहण करते हैं। 51 प्रतिशत शिक्षक कार्यरत हैं।
-स्कूली शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश के 14.72 लाख स्कूलों में 98 लाख शिक्षक 24.8 करोड़ छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं। 22.5 फीसदी निजी स्कूलों में 32.6 प्रतिशत छात्र हैं जहां 38 फीसदी शिक्षक कार्यरत हैं।
-स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। प्राथमिक स्तर पर यह दर 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत तथा माध्यमिक स्तर पर 14.1 प्रतिशत है।

बैंकों का एनपीए कम, मुनाफा बढ़ा

-सितंबर 2024 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए 12 वर्षों के निचले स्तर 2.6 प्रतिशत पर आ गया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंक का मुनाफा सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत बढ़ा है।
-ग्रामीण वित्तीय संस्थानों का भी एनपीए कम रहा है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का कंसोलिडेटेड शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023 में 4,974 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 7,571 करोड़ रुपये हो गया।
-भारतीय बैंकों का एनपीए रेश्यो मार्च 2025 तक 0.4 प्रतिशत कम होकर 2.4 प्रतिशत हो सकता है। इसमें अगले साल तक 0.2 प्रतिशत की और कमी देखने को मिल सकती है।

मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओरः मुर्मु

-राष्ट्रपति मुर्मु ने संसद के संयुक्त संत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम ‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओर बढ़े हैं। इससे देश में रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं।
-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ाते हुए ‘इंडिया एआइ मिशन’ प्रारम्भ किया गया है। बीते दशक में भारत ने वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के कई मील के पत्थर स्थापित किए किए हैं।
-इस आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से दुनिया में भारत की छवि मजबूत हुई है, निवेशकों का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है, उद्योगों को बल मिला है और नए रोजगार का निर्माण हो रहा है।
-क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल इंडेक्स 2025 में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। यानी फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में एआइ और डिजिटल तकनीक अपनाने में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है।

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