कंपनियों और पेशेवरों की सांठगांठ पर लगाम लगेगी
डीजीएचएस की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि अगर दवा कंपनियां नए उपचार या चिकित्सा शोध के बारे में जानकारी साझा करना चाहती हैं तो उन्हें ईमेल या अन्य डिजिटल मीडिया के माध्यम से ऐसा करना होगा। यह आदेश 28 मई से लागू कर दिया गया है। बताया जाता है कि अस्पतालों में फार्मा प्रतिनिधियों और डॉक्टरों के बीच चर्चा के कारण अस्पताल में कामकाज प्रभावित होता है। इससे मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।IRCTC की वेबसाइट हर बार फेल! तत्काल टिकट बुकिंग में 73% को एक मिनट में ही वेटिंग, सिस्टम पर सवाल
लागू किया था यूनिफॉर्म कोड
पिछले साल फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने फार्मास्यूटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) के लिए यूनिफॉर्म कोड लागू किया था। नए नियमों से दवा कंपनियों को स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, उनके रिश्तेदारों को उपहार या यात्रा भत्ते देने से रोक दिया गया था। नियमों के मुताबिक किसी भी परिस्थिति में डॉक्टरों या परिवार के सदस्यों को नकद या उपहार नहीं दिया जा सकता।Bihar Elections: मोदी सेना के साथ तो राहुल आरक्षण के, दबाव में नीतीश, क्या पीके बदल पाएंगे समीकरण?
यूसीपीएमपी ने उन व्यक्तियों को निशुल्क औषधि नमूने वितरित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, जो उन्हें लिखने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण के तहत डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाए ही लिखने के निर्देश दिए थे। इसमें चेतावनी दी गई है कि इनका पालन न करने पर दंड लगाया जा सकता है, जिसमें चिकित्सा लाइसेंस का निलंबन भी शामिल है।