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सरकारी अस्पतालों में अब डॉक्टरों से मिलने नहीं जा सकेंगे एमआर, जानिए केंद्र सरकार ने क्यों लगाई रोक

केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार के अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अस्पताल परिसर में मेडिकल प्रतिनिधियों को न आने दें।

भारतJun 04, 2025 / 07:27 am

Shaitan Prajapat

केंद्र सरकार के अस्पतालों में मेडिकल प्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक (प्रतीकात्मक फोटो)

केंद्र सरकार ने अब केंद्र सरकार के अस्पतालों में अब मेडिकल प्रतिनिधि (एमआर) के प्रवेश के प्रवेश पर रोक लगा दी है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने केंद्र सरकार के अस्पतालों को पत्र लिखकर कहा है कि वे अस्पताल परिसर में मेडिकल प्रतिनिधियों को अनुमति न दें। यह कदम दवा कंपनियों और मेडिकल पेशेवरों के बीच सांठगांठ पर लगाम लगाने मकसद के लिए उठाया गया है।

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कंपनियों और पेशेवरों की सांठगांठ पर लगाम लगेगी

डीजीएचएस की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि अगर दवा कंपनियां नए उपचार या चिकित्सा शोध के बारे में जानकारी साझा करना चाहती हैं तो उन्हें ईमेल या अन्य डिजिटल मीडिया के माध्यम से ऐसा करना होगा। यह आदेश 28 मई से लागू कर दिया गया है। बताया जाता है कि अस्पतालों में फार्मा प्रतिनिधियों और डॉक्टरों के बीच चर्चा के कारण अस्पताल में कामकाज प्रभावित होता है। इससे मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
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लागू किया था यूनिफॉर्म कोड

पिछले साल फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने फार्मास्यूटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) के लिए यूनिफॉर्म कोड लागू किया था। नए नियमों से दवा कंपनियों को स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, उनके रिश्तेदारों को उपहार या यात्रा भत्ते देने से रोक दिया गया था। नियमों के मुताबिक किसी भी परिस्थिति में डॉक्टरों या परिवार के सदस्यों को नकद या उपहार नहीं दिया जा सकता।
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यूसीपीएमपी ने उन व्यक्तियों को निशुल्क औषधि नमूने वितरित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, जो उन्हें लिखने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण के तहत डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाए ही लिखने के निर्देश दिए थे। इसमें चेतावनी दी गई है कि इनका पालन न करने पर दंड लगाया जा सकता है, जिसमें चिकित्सा लाइसेंस का निलंबन भी शामिल है।

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