यह अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पहला राजनीतिक स्तर का संपर्क है। इससे पहले जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की थी। आखिरी राजनीतिक संपर्क 1999-2000 में हुआ था, जब तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के कंधार अपहरण के बाद तालिबान के विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तावकिल से बात की थी।
जयशंकर ने X पर पोस्ट में कहा, “आज शाम कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकी हमले की उनकी निंदा की सराहना करता हूं। भारत और अफगानिस्तान के बीच झूठी और निराधार खबरों से अविश्वास पैदा करने की हालिया कोशिशों को उनकी दृढ़ अस्वीकृति का स्वागत है।” यह बयान पाकिस्तान में उन खबरों का जिक्र करता है, जिनमें दावा किया गया था कि भारतीय मिसाइलों ने अफगानिस्तान को निशाना बनाया, जिसे भारत ने “हास्यास्पद” करार दिया।
यह बातचीत भारत की कूटनीतिक रणनीति को दर्शाती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और अफगानिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है। तालिबान के साथ इस संवाद ने पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ा दी है, खासकर भारत-पाक तनाव और अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा विवाद के बीच।