भारत की यह नीति एक बड़ी रणनीतिक सोच का हिस्सा
हिंदुस्तान की ओर से यह नीति एक बड़ी रणनीतिक सोच का हिस्सा है, जिसका मकसद विदेशी ट्रांजिट हब्स की निर्भरता को कम कर दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे घरेलू एयरपोर्ट्स को वैश्विक हब में बदलना है। हाल ही में एयर इंडिया और इंडिगो ने 500 से अधिक नए विमानों का ऑर्डर दिया है, जिनमें वाइड-बॉडी जेट शामिल हैं-जो लंबी दूरी की सीधी उड़ानों के लिए जरूरी हैं।
“जो देश ज्यादा शोर मचा रहे हैं, जरूरी नहीं कि वे सही हों”: एल्बर्स
दुबई की एमिरेट्स एयरलाइन की खुली उड़ान नीति की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए एल्बर्स ने तीखा जवाब दिया —”द्विपक्षीय समझौते आपसी सहमति से होते हैं, केवल एक पक्ष के अधिक बोलने से वह सही नहीं हो जाता।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत का संतुलित और रणनीतिक नजरिया जरूरी है।
एल्बर्स ने बताया क्यों भारत की नीति संरक्षणवादी नहीं है
एल्बर्स ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से विदेशी एयरलाइनों ने भारत के उड़ान अधिकारों का अधिकतम उपयोग किया है, जबकि भारतीय कंपनियाँ इस क्षमता को नहीं भुना पाईं। इसलिए अब भारत का यह कहना कि पहले मौजूदा उड़ान सीटों का उपयोग करें, एक तर्कसंगत और न्यायसंगत कदम है।
भारत का फोकस: अपने हब से लंबी दूरी की उड़ानों को बढ़ाना
भारत सरकार खाड़ी देशों को और अधिक उड़ान सीटें देने के बजाय, एयर इंडिया और इंडिगो जैसी घरेलू एयरलाइनों को प्रोत्साहित कर रही है कि वे यूरोप और अमेरिका तक सीधे उड़ानें बढ़ाएं। यह नीति भारत के विमानन क्षेत्र को आत्मनिर्भर और वैश्विक बनाने की दिशा में कदम है।
वैश्विक विमानन जगत की मिली-जुली प्रतिक्रिया
एमिरेट्स एयरलाइन ने भारत की उड़ान नीति को “अवसर बाधित करने वाली” बताया, और खुले आसमान की वकालत की। भारत अपने हितों के अनुसार वैश्विक नियम तय करे
वहीं, भारतीय विमानन विशेषज्ञों ने एल्बर्स के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि “अब वक्त आ गया है कि भारत अपने हितों के अनुसार वैश्विक नियम तय करे, न कि सिर्फ दूसरों की सुविधा देखे।”
यात्री संगठनों ने कहा, भारत दोनों पक्षों की जरूरत के अनुरूप समझौते करे
यात्री संगठनों ने भी भारत सरकार से अपील की है कि वे दोनों पक्षों की जरूरत को संतुलित करते हुए ही समझौते करें, ताकि टिकट कीमतों और कनेक्टिविटी पर असर न पड़े।
फॉलोअप: अब आगे क्या होगा?
संभावित उच्च स्तरीय वार्ता: भारत और यूएई के बीच आगामी राजनयिक बैठकों में यह मुद्दा अहम रहेगा। भारतीय एयरलाइनों की तैयारी: एयर इंडिया और इंडिगो 2025 तक लंबी दूरी की उड़ानों में हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी में हैं। नीति बदलाव नहीं, बल्कि ‘री-अलाइनमेंट‘: मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह कोई प्रतिबंध नहीं, बल्कि एक रणनीतिक स्थिरीकरण है।
साइड एंगल: टिकट कीमतें, यात्रियों की जेब पर क्या असर ?
कम सीटों की उपलब्धता और उड़ानों की सीमित संख्या के कारण भारत से खाड़ी और यूरोप जाने वाले टिकटों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अपनी घरेलू एयरलाइनों को मजबूती से खड़ा करने में सफल होता है, तो लंबे समय में यह यात्रियों के लिए फायदेमंद साबित होगा -भले ही अभी थोड़ी असुविधा हो।
आईएटीए प्रमुख का भरोसा: जल्द बदलेगा परिदृश्य
आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि भारत की एयरलाइनों के पास अब वाइड-बॉडी विमानों की भरमार है और वे तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार कर रही हैं। उन्होंने कहा, “उड़ान अधिकार सिर्फ समय का खेल है — भारत का वैश्विक हवाई नेटवर्क जल्द और मजबूत होगा।”