भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को देश की आजादी से जोड़ते हुए बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अनेक शतकों से परतंत्र झेलने वाले भारत की सच्चे स्वतंत्रता की उस दिन प्रतिष्ठा हुई। स्वतन्त्रता थी, प्रतिष्ठित नहीं थी। भागवत ने कहा कि 15 अगस्त को हमें राजनीतिक स्वतन्त्रता मिली थी। आरएसएस प्रमुख मध्य प्रदेश के इंदौर में देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे।
उनकी बात यहां सुन सकते हैं। भागवत के बयान पर कई नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया आई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो उनके बयान को राजद्रोह की श्रेणी में रखते हुए संविधान का अपमान बताया। राहुल ने भागवत के बयान पर दिल्ली में जो कहा, उसे यहां सुन सकते हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भी भागवत के लिए कहाया, “उन्हें रामलला के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, तभी राष्ट्र अपनी असली स्वतंत्रता आजादी में रहेगा।” भागवत ने यह भी ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने के बाद एक ऐसी खास दृष्टि के मुताबिक लिखित संविधान बनाया गया, जो देश की आत्मा से निकलती है, लेकिन तब इस दस्तावेज को उस दृष्टि की भावना से चलाया नहीं गया।
भागवत पहले भी देते आए हैं ऐसे बयान
उनके कुछ ऐसे बयान हम याद दिला रहे हैं: 2018 में भागवत बोले थे कि आरएसएस भारतीय सेना से कहीं तेजी के साथ एक सेना तैयार कर सकता है। 2017 में भागवत ने कहा था कि भारत में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। इनमें से कुछ मूर्तिपूजक हैं और कुछ नहीं। यहां तक कि मुसलमान भी राष्ट्रीयता के हिसाब से हिंदू हैं, वे केवल आस्था के लिहाज से मुसलमान हैं। जैसे अंग्रेज इंग्लैंड में रहते हैं, अमेरिकन अमेरिका में और जर्मन जर्मनी में रहते हैं, हिंदू हिंदुस्तान में रहते हैं। जून 2013 में मोहन भागवत के बयान था, “पति और पत्नी एक अनुबंध में शामिल होते हैं जिसके तहत पति ने कहा है कि आपको मेरे घर का ध्यान रखना चाहिए और मैं आपकी सभी जरूरतों का ध्यान रखूंगा। मैं आपको सुरक्षित रखूंगा। इसलिए, पति अनुबंध की शर्तों का पालन करता है। जब तक पत्नी अनुबंध का पालन करती है, पति उसके साथ रहता है, यदि पत्नी अनुबंध का उल्लंघन करती है, तो वह उसे छोड़ सकता है।”
जनवरी 2013 में उन्होंने बलात्कारों के बारे में कहा था कि “ऐसे अपराध ‘भारत’में न के बराबर होते हैं, लेकिन ‘इंडिया’में अक्सर होते हैं।” ये तो हुई मोहन भागवत के पुराने बयानों की बात। अब अगर उनके ताजा बयान के संदर्भ में बात करें तो देश की आजादी की तारीख को लेकर भी कई हस्तियों ने विवादित बयान दिए हैं। इनमें पहली बार भाजपा सांसद बनीं एक्ट्रेस कंगना रनौत का नाम प्रमुख है।
सांसद बनने से पहले, नवंबर 2021 में बॉलीवुड स्टार कंगना ने एक इंटरव्यू में 1947 में देश को आजादी मिलने के संबंध में कहा था, “…आज़ादी नहीं, वो भीख थी। और जो आज़ादी मिली है, वो 2014 में मिली है।” बता दें कि साल 2014 में ही नरेंद्र मोदी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे।
विक्रांत मैसी ने 1947 की आजादी को बताया था तथाकथित
एक और एक्टर विक्रांत मैसी ने भी 15 अगस्त, 1947 को मिली देश की आजादी को ‘तथाकथित’ बताया। मैसी जब अपनी फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ का प्रचार कर रहे थे, तो पिछले साल नवम्बर में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- सैकड़ों वर्षों के उत्पीड़न के बाद मुगलों, डचों, फ्रांसीसियों और ब्रिटिशों से हमें एक सो-कॉल्ड आज़ादी मिली, लेकिन क्या यह वास्तव में स्वतंत्रता थी? जो औपनिवेशिक प्रभाव उन्होंने छोड़ा, हम उसी में फंसे रहे। मुझे लगता है कि हिंदुओं को अब अपने देश में अपनी पहचान मांगने का अवसर मिला है। विक्रांत के बयान पर तब काफी खिंचाई हुई थी। बता दें कि ‘द साबरमती रिपोर्ट’2002 में गुजरात के गोधरा में हुए दंगों पर आधारित फिल्म है। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म तो ज्यादा नहीं चली, लेकिन भाजपा खेमे में इसकी खूब तारीफ हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों के साथ यह फिल्म देखी थी।