समर्थन वापसी का कारण
मेहराज मलिक ने समर्थन वापस लेने के पीछे कई कारण बताए। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों और क्षेत्र की समस्याओं को सरकार द्वारा नजरअंदाज किया गया। मलिक ने AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी जनता की आवाज को प्राथमिकता देती है और जब सरकार उनकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती, तो समर्थन वापस लेना उचित है। इसके अलावा, यह भी माना जा रहा है कि AAP की राष्ट्रीय रणनीति और जम्मू-कश्मीर में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश इस फैसले के पीछे हो सकती है।
पहले ही दे दिया था संकेत
दरअसल, AAP विधायक मेहराज मलिक ने उमर अब्दुल्ला सरकार से समर्थन लेने का पहले ही संकेत दे दिया था। उन्होंने 13 जून को एक्स पर पोस्ट कर लिखा- ‘अब बहुत हो गया, सरकार के 9 महीने। आने वाले दिनों में बड़े फैसले लिए जाएंगे। जवाबदेह होने का समय है। काम करने का समय है।’
उमर अब्दुल्ला सरकार पर क्या पड़ेगा प्रभाव
बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं और बहुमत के लिए 46 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 42 सीटें हैं, और गठबंधन में कांग्रेस के 6 और अन्य छोटे दलों व निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। AAP के एक विधायक के समर्थन वापस लेने से गठबंधन की संख्या में कमी आई है, लेकिन फिलहाल सरकार के पास बहुमत बरकरार है। कौन हैं मेहराज मलिक
बता दें कि मेहराज मलिक जम्मू-कश्मीर के डोडा विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (AAP) के एकमात्र विधायक हैं। उन्होंने 2024 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार गजय सिंह राणा को 4,538 वोटों से हराकर AAP का खाता खोला। मेहराज मलिक को इस साल 21 मार्च को आम आदमी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।