Judge Cash row: ‘वह लागू रहता तो…’, जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ऐसा क्यों कहा
Jagdeep Dhankhar: नकदी मामला सामने आने के बाद राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने एनजेएसी का नाम लिए बिना जिक्र किया था कि वह लागू रहता तो आज यह नौबत नहीं आती।
Judge Cash row: जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद कैश मिलने के मामले में घमासान थमता नहीं दिख रहा है। संसद में भी यह मुद्दा उठाया गया। वहीं इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक की। धनखड़ ने कहा कि इस मामले की सदन में चर्चा से पहले देश के सीजेआई द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करेंगे ताकि चर्चा के लिए पूरी सामग्री मिल सके।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले में प्रभावशाली और पारदर्शी कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार SC के मुख्य न्यायाधीश ने सभी सामग्री सार्वजनिक डोमेन में रखी है।
सभापति का इशारा, एनजेएसी फिर फोकस में
वहीं नकदी प्रकरण सामने आने के बाद जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का मामला फिर से फोकस में आ गया है। जजों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली की जगह संसद ने 2014 में सर्वसम्मति से एनजेएसी विधेयक पास किया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर व एक दर्जन से ज्यादा विधानसभाओं के समर्थन के बाद 14 अप्रैल 2015 को लागू हुए कानून को सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2016 में असंवैधानिक घोषित कर कॉलेजियम प्रणाली बरकरार रखी थी।
धनखड़ ने कही ये बात
नकदी मामला सामने आने के बाद राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने एनजेएसी का नाम लिए बिना जिक्र किया था कि वह लागू रहता तो आज यह नौबत नहीं आती। एनजेएसी के तहत जजों की नियुक्ति की सिफारिश के देश के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता छह सदस्यीय आयोग का प्रावधान था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जज, दो प्रतिष्ठित व्यक्ति और कानून मंत्री सदस्य होते। दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों का चयन सीजेआई, प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की समिति करती।
बता दें कि पहले भी कई मामले सामने आए है… – पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस निर्मल यादव के पास जाने वाला 15 लाख रुपए का लिफाफा गलती से दूसरे जज के पास चला गया, 2009 से जांच जारी।
– मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीडी. दिनाकरण पर अवैध रूप से जमीन और संपत्ति एकत्र करने के आरोप लगे, पदोन्नति रुकी तो 2011 में इस्तीफा दिया।
– कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट जजाें पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, अवमानना में छह माह की जेल हुई।
-इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ दिसंबर 2019 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ, शुक्ला 2020 में रिटायर हुए। -कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन पर 1993 में 32 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा, महाभियोग प्रस्ताव पर 2011 में इस्तीफा दिया।
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