सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने बैठक के बाद बताया कि यह निर्णय सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के हालिया सर्वेक्षणों के आधार पर मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या और उनकी आवासीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह आरक्षण बढ़ाया गया है।
किन योजनाओं पर लागू होगा?
यह बढ़ा हुआ आरक्षण आश्रय, बसवा, और डॉ. आंबेडकर आवास योजनाओं सहित राज्य सरकार की सभी आवासीय परियोजनाओं पर लागू होगा। पाटिल ने स्पष्ट किया कि इस फैसले को लागू करने के लिए किसी नए कानून की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जिसमें अल्पसंख्यकों के लिए 15% आवंटन का प्रावधान पहले से मौजूद है।
क्यों दी गई प्राथमिकता?
मंत्री ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदायों में मुस्लिम, ईसाई, जैन और बौद्ध शामिल हैं, लेकिन सर्वेक्षणों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय में बेघर आबादी की संख्या सबसे अधिक है। इसीलिए इस वर्ग को प्राथमिकता दी गई है। पाटिल ने जोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य समाज के सभी गरीब वर्गों को आवास सुविधा उपलब्ध कराना है और यह निर्णय किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी के तहत लिया गया है।
BJP ने बताया तुष्टिकरण
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है और इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया है। पार्टी का कहना है कि यह निर्णय समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकता है।
सभी के लिए घर: कांग्रेस
इसके जवाब में कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला उनकी ‘सभी के लिए घर’ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पाटिल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य वंचित तबकों को समावेशी विकास के रास्ते पर लाना है। उन्होंने यह भी बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय लंबे समय से आवास योजनाओं में कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जिसे अब पूरा किया गया है।
लागू करने की प्रक्रिया
यह निर्णय आवास और शहरी विकास सहित विभिन्न विभागों द्वारा कार्यान्वित सभी सरकारी आवास योजनाओं पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा। सरकार का दावा है कि यह कदम सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगा और बेघर आबादी की समस्या को हल करने में मदद करेगा।