CPM के गढ़ में RSS कार्यालय की स्थापना
केरल के मट्टानूर को सीपीएम का गढ़ माना जाता है। इस गढ़ में सदानंदन मास्टर ने RSS कार्यालय की स्थापना की। अपने गढ़ में आरएसएस के कार्यालय की स्थापना होने के बाद सीपीएम के नेता भड़क गए और इसी का बदला लेने के लिए 25 जनवरी 1994 को उन पर हमला कर दिया था। हमले में गंवाए अपने दोनों पैर
25 जनवरी 1994 का दिन
सदानंदन मास्टर के लिए जिंदगी का सबसे काला दिन था। इस दिन का शायद ही सदानंदन मास्टर कभी भूल पाएंगे। दरअसल, इस दिन जब सदानंदन मास्टर अपनी बहन की शादी की तैयारियों के लिए रिश्तेदारों से मिलकर लौट रहे थे, तब सीपीएम कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले में उनकी दोनों पैर काट दिए। हमलावरों ने उनके पैरों को सड़क पर रगड़कर यह सुनिश्चित किया कि उनकी पैरों को फिर से जोड़ा न जा सके। उस समय उनकी उम्र केवल 30 वर्ष थी।
2020 में शिक्षक कार्य से हुए रिटायर
अपने दोनों पैर गंवाने के बाद भी सदानंदन मास्टर ने हार नहीं मानी। कृत्रिम पैर लगवाकर उन्होंने नई जिंदगी शुरू की। 1999 में त्रिशूर जिले के पैरामंगलम स्थित एक माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की और सामाजिक विज्ञान के अध्यापक के रूप में अपनी सेवा दी। वह 2020 में शिक्षक के कार्य से रिटायर हुए।
2021 में लड़ चुके हैं चुनाव
सदानंदन मास्टर ने केरल चुनाव में भी हिस्सा लिया है। 2021 में कन्नूर के कुथुपरम्बा निर्वाचन क्षेत्र से सदानंदन ने चुनाव लड़ा था। वे भारतीय विचार केंद्रम जैसे वैचारिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। इसके अलावा उनकी शैक्षिक सुधारों में रुचि रही है।
केरल में बीजेपी को हो सकता है फायदा
सदानंदन मास्टर का राज्यसभा में मनोनयन BJP की दक्षिण भारत, विशेषकर केरल में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। केरल, जहां BJP को परंपरागत रूप से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वहां सदानंदन जैसे व्यक्तित्व का मनोनयन एक मजबूत संदेश देता है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने X पोस्ट में कहा सी. सदानंदन मास्टर साहस और दृढ़ता के प्रतीक हैं। हिंसा और धमकियां उनके राष्ट्रीय विकास के प्रति उत्साह को नहीं रोक सकीं। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके प्रयास भी सराहनीय हैं।” यह बयान उनकी यात्रा के महत्व को रेखांकित करता है।