गिरफ्तारी के बाद फिर चर्चा में आई ‘हनीट्रैप’ की कहानी
2018 में भारत से फरार होकर एंटीगा पहुंचे चोकसी ने वहां की नागरिकता ले ली थी। लेकिन मई 2021 में जब वह डोमिनिकन रिपब्लिक में गिरफ्तार हुआ, तब एक रहस्यमयी महिला बारबरा जराबिका की एंट्री इस केस में हुई, जिसे लेकर अब फिर से चर्चा तेज हो गई है।कौन है बारबरा जराबिका?
चोकसी ने दावा किया था कि एक हंगरी की महिला बारबरा जराबिका ने उसे धोखे से अपने जाल में फंसाया और फिर उसका अपहरण करवा दिया। चोकसी के मुताबिक, बारबरा ने उसे डिनर पर बुलाया, जहां से उसे जबरन एक नाव में डालकर डोमिनिकन रिपब्लिक पहुंचाया गया। चोकसी की पत्नी प्रीति चोकसी ने भी इन आरोपों की पुष्टि करते हुए बारबरा पर ‘हनीट्रैप’ का आरोप लगाया था।बारबरा ने आरोपों को किया खारिज
लेकिन बारबरा जराबिका ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, बारबरा ने कहा कि वह कभी भी चोकसी की गर्लफ्रेंड नहीं रही और न ही उसने किसी भी तरह की धोखाधड़ी की। उसने दावा किया कि चोकसी ने खुद अपनी पहचान छिपाकर उससे दोस्ती की और अपना नाम ‘राज’ बताया।चोकसी ने की थी दोस्ती की पहल
लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, बारबरा एक प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट एजेंट हैं और कई वर्षों से रियल एस्टेट सेक्टर में काम कर रही हैं। उनके अनुसार, चोकसी ही था जिसने पहले उनसे संपर्क किया और दोस्ती की पहल की। चोकसी की गिरफ्तारी के बाद यह पूरा विवाद फिर से चर्चा में है, लेकिन सच्चाई क्या है, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है।चोकसी को कितनी जल्दी वापस लाया जा सकता है?
भारत ने पहली बार 1901 में बेल्जियम के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे। यह संधि वित्तीय अपराधों सहित दोहरी आपराधिकता के आधार पर पूर्व परंपरा की अनुमति देती है। दोहरी आपराधिकता का अनिवार्य रूप से मतलब है कि किसी व्यक्ति को केवल तभी प्रत्यर्पित किया जा सकता है जब उसका अपराध दोनों न्यायालयों में दंडनीय हो। हालांकि, संधि राजनीतिक प्रकृति के अपराधों या ऐसे मामलों में प्रत्यर्पण पर रोक लगाती है जहां संबंधित व्यक्ति यह साबित कर सकता है कि अनुरोध करने वाले देश में राजनीतिक कारणों से उस पर मुकदमा चलाया जा रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए भगोड़े को रिहा कर दिया जाएगा यदि अनुरोध करने वाला देश दो महीने के भीतर दोषसिद्धि के सबूत पेश करने में विफल रहता है।सीबीआई और ईडी के अनुरोध पर हुई गिरफ्तारी
2020 में, भारत और बेल्जियम ने भगोड़ों पर बेहतर सहयोग के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि पर हस्ताक्षर किए, चोकसी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था, जो चोकसी के खिलाफ मामले की जांच कर रहे हैं। प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू होने के बाद, दोनों एजेंसियों की टीमें बेल्जियम जाएंगी और देश के कानूनों के अनुसार मामला तैयार करेंगी।Explainer: PNB लोन स्कैम में कौन-कौन थे शामिल? धोखाधड़ी को कैसे दिया अंजाम? भारत से भागकर कहां-कहां गया मेहुल
हालांकि, यह संभावना नहीं है कि चोकसी जल्द ही भारत वापस आएगा। जबकि प्रत्यर्पण आम तौर पर लंबी कानूनी प्रक्रिया होती है, यह यूरोप में विशेष है। बेल्जियम में चोकसी की गिरफ्तारी भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाती है, लेकिन क्या यह कानूनी प्रक्रिया को भी तेजी से आगे बढ़ा सकता है, यह देखना अभी बाकी है।