अर्थव्यवस्था का विकास जरुरी
गडकरी ने धन के विकेंद्रीकरण पर जोर देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को इस तरह विकसित करना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ें और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो। उन्होंने कृषि, विनिर्माण, कराधान और बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। गडकरी ने बताया कि विनिर्माण क्षेत्र जीडीपी में 22-24%, सेवा क्षेत्र 52-54%, जबकि कृषि क्षेत्र केवल 12% योगदान देता है, जिसमें 65-70% ग्रामीण आबादी शामिल है। यह असंतुलन आर्थिक असमानता को और गहरा करता है।
धन के केंद्रीकरण पर चेतावनी
गडकरी ने पूर्व प्रधानमंत्रियों पी.वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की उदार आर्थिक नीतियों की सराहना की, लेकिन अनियंत्रित केंद्रीकरण के खिलाफ चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि धन का विकेंद्रीकरण जरूरी है ताकि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे।
देश की कुल सम्पति का 40% हिस्सा 1% अमीर के पास
भारत में आर्थिक असमानता एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी डेटाबेस (2022) के आंकड़ों के अनुसार, देश की कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा केवल 1% सबसे अमीर लोगों के पास केंद्रित है, जबकि देश की आधी आबादी के पास मात्र 6.4% संपत्ति है। यह असमानता न केवल सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि देश के विकास के दावों पर भी सवाल उठाती है।
BOT मॉडल से सड़क निर्माण में आई क्रांति-गडकरी
गडकरी ने सड़क विकास के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा शुरू किए गए बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल ने सड़क निर्माण में क्रांति ला दी है। “हमारे पास धन की कमी नहीं, बल्कि काम की कमी है। टोल बूथों से वर्तमान में 55,000 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है, जो अगले दो साल में 1.40 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगी।”