घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, पाटडी सरकारी अस्पताल में एक मरीज की तबीयत बिगड़ने पर उसे भर्ती किया गया था। मरीज के रिश्तेदारों का आरोप है कि अस्पताल में उस समय कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था, जिसके कारण मरीज को समय पर उपचार नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई। मरीज की मौत से आहत और गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से डॉक्टर की अनुपस्थिति को लेकर सवाल उठाए और इसकी शिकायत की।
पुलिस ने की मारपीट
इसी दौरान मामला गंभीर हो गया और अस्पताल में अराजकता का माहौल बन गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस को बुलाया गया। लेकिन, पुलिस ने संवेदनशीलता दिखाने के बजाय, मृतक के एक रिश्तेदार के साथ कथित तौर पर मारपीट शुरू कर दी। वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी, जिनमें पाटडी के पुलिस इंस्पेक्टर (PI) और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) शामिल हैं, मृतक के रिश्तेदार को थप्पड़ और लातों से पीट रहे हैं। इस दौरान मृतक का शव पास में ही पड़ा था, जिसकी ओर पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया।
वीडियो पर जनता की प्रतिक्रिया
यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने इसे गुजरात पुलिस के लिए “कलंक” करार दिया। कई यूजर्स ने इस घटना को “गुजरात मॉडल” की विफलता के रूप में पेश किया, जिसमें सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और पुलिस की बर्बरता को उजागर किया गया।
घटना की कड़ी निंदा
वीडियो वायरल होते ही घटना की कड़ी निंदा करते हुए एक यूजर ने लिखा, “खाकी में ये पुलिस है या गुंडे? मृतक के परिजन को पीटना कहां का इंसाफ है?” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “अस्पताल में डॉक्टर नहीं, मरीज की मौत, और ऊपर से पुलिस की मार। यह है गुजरात मॉडल?” कुछ यूजर्स ने पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई और बर्खास्तगी की मांग की।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद अभी तक गुजरात पुलिस या स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। वीडियो के वायरल होने के बाद जनता का दबाव बढ़ रहा है कि इस मामले की जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। यह भी पढ़ें –
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यह घटना गुजरात के स्वास्थ्य सेवाओं और कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है। एक ओर जहां सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी जैसी गंभीर समस्या उजागर हुई है, वहीं दूसरी ओर पुलिस का यह व्यवहार संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है। इस घटना ने “गुजरात मॉडल” के दावों पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिसे अक्सर विकास और सुशासन का प्रतीक बताया जाता है।
राजस्थान पत्रिका इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।