Naxalite Operation: नक्सल ऑपरेशन को लेकर तेलंगाना में सियासत शुरू हो गई है। वहां के नेता इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं लोगों में यह डर है कि कहीं तेलंगाना नक्सलियों का नया गढ़ नहीं बन जाए। पूर्व सीएम के. चंद्रशेखर राव ने इस ऑपरेशन को गलत ठहराया है। उन्होंने केंद्र से माओवादियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन कगार’ को रोकने का आग्रह किया है। एक आम सभा के दौरान उन्होंने कहा कि ऑपरेशन कगार की आड़ में निर्दोष आदिवासियों की जान जा रही हैं। सरकार को युद्ध नहीं, संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए।
केसीआर ने यह भी दावा किया कि माओवादी शांति वार्ता का प्रस्ताव भेज चुके हैं, लेकिन केंद्र की ओर से सकारात्मक पहल नहीं हुई। उन्होंने जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का ऐलान भी किया।
सीएम रेड्डी हुए सक्रिय
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गए। उन्होंने माओवादी वार्ता के प्रस्ताव पर वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। रेवंत रेड्डी ने यह आरोप लगाया है कि नक्सल ऑपरेशन की आड़ में आदिवासियों की हत्या की जा रही है। उनके इस बयान की छत्तीगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निंदा की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद का खात्मा करने का संकल्प लिया है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है। जबकि तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। यहां विपक्ष में भी लोकल पार्टी बीआरएस है। यही वजह है कि नक्सल ऑपरेशन को लेकर तेलंगाना स्टेट गवर्नमेंट एक्शन मोड पर नहीं है।
5000 फीट की ऊंचाई से नक्सलियों को खदेड़ा
छत्तीसगढ़ में कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर जवानों ने वो कर दिखाया है जो अब तक नामुमकिन माना जाता था। छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित इस दुर्गम पहाड़ी के एक हिस्से को सुरक्षाबलों ने नक्सलियों से खाली करवा कर तिरंगा फहरा दिया है। लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर जवानों ने 9 दिन में चढ़ाई पूरी कर मोर्चा संभाल लिया है। यह वही इलाका है जहां कुख्यात नक्सली हिड़मा, देवा, दामोदर, आजाद और सुजाता जैसे हार्डकोर नक्सली अपना अड्डा बनाए हुए थे।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कर रहे मॉनिटरिंग
छत्तीसगढ़ में पूरे अभियान की सीधे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। रायपुर स्थित वॉर रूम से वे रोज वरिष्ठ अधिकारियों से फीडबैक ले रहे हैं और हर घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हर हाल में इस बार नक्सलियों की रीढ़ तोड़नी है, ताकि सीमावर्ती इलाके पूरी तरह सुरक्षित हों और वहां विकास की रोशनी पहुंचे।
राजनीतिक समाधान निकालें- कविता
बीआरएस एमएलसी कविता ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन कगार चलाया जा रहा है और हमारी पार्टी और हमारा दृढ़ विश्वास है कि नक्सलवाद की विचारधारा को केवल बातचीत के माध्यम से ही खत्म किया जाना चाहिए। नक्सलवाद का राजनीतिक समाधान खोजना चाहिए।
तेलंगाना क्यों बना नक्सलियों की पसंद
-जंगलों की निर्बाध श्रृंखला, बस्तर से खम्मम तक घना जंगल बिना रुकावट फैला है। -स्थानीय समर्थन और पुराना आधार -छत्तीसगढ़ की तुलना में यहां ऑपरेशन की तीव्रता अभी भी कम है।
– छुपने और इलाज की सुविधा
नक्सल ऑपरेशन
नक्सल ऑपरेशन की गंभीरता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 10,000 से अधिक जवान, सीआरपीएफ और अन्य स्पेशल फोर्स की 40 से अधिक यूनिट्स शामिल हैं। हेलीकॉप्टर और ड्रोन से 24 घंटे निगरानी हो रही है। अब तक कई हार्डकोर माओवादी मारे जा चुके हैं, भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार जब्त हुए हैं। स्थानीय लोगों से बात करने पर पता चला है कि बीते कुछ दिनों में पहाड़ियों पर जवानों का मूवमेंट देखा गया था। हेलिकॉप्टर से रसद भेजी जा रही थी। अब यह साफ हो चुका है कि यह देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन है जो 280 किलोमीटर के जंगल और पहाड़ों में फैले नक्सली नेटवर्क को तोड़ने के लिए चलाया जा रहा है। कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा और पुजारी कांकेर की पहाड़ियां अब सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं।
26 अप्रेल को माओवादी संगठन ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें सरकार से अपील की गई कि ऑपरेशन को तत्काल रोका जाए और बातचीत शुरू की जाए। इस पत्र में उन्होंने शांति की बातें कीं, समाधान की अपील की, और कहा कि सैन्य बल का प्रयोग स्थाई हल नहीं दे सकता। पहली नज़र में यह अपील मासूम लग सकती है, लेकिन यह उतनी ही योजनाबद्ध और खतरनाक है।
Hindi News / National News / नक्सल ऑपरेशन को लेकर तेलंगाना में सियासत, छत्तीसगढ़ में एक्शन मोड में साय सरकार