script‘न्यायपालिका में लैंगिक असमानता हुई पैदा…’, जस्टिस नागरत्ना ने सरकारों के पैनल में 30 फीसदी महिला वकीलों को शामिल करने की अपील | Supreme Court Justice Nagarathna appeals to include 30 percent women lawyers in the panel of governments | Patrika News
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‘न्यायपालिका में लैंगिक असमानता हुई पैदा…’, जस्टिस नागरत्ना ने सरकारों के पैनल में 30 फीसदी महिला वकीलों को शामिल करने की अपील

Supreme Court: जस्टिस नागरत्ना ने कहा सफलता के लिए कोई ऐसा गुण नहीं है जो केवल पुरुषों के लिए हो और महिलाओं में न हो। युवा महिलाओं के पास ऐसे रोल मॉडल और मार्गदर्शकों का अभाव है।

भारतMar 16, 2025 / 08:32 am

Ashib Khan

जस्टिस बीवी नागरत्ना

जस्टिस बीवी नागरत्ना

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने केंद्र और राज्य सरकारों के वकील पैनल में 30 फीसदी महिला वकीलों को शामिल करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वकालत आदि कानूनी सलाहकार भूमिकाओं में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण न्यायपालिका में लैंगिक असमानता पैदा हुई है। जस्टिस नागरत्ना ने यह बात ‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग: विमेन हू मेड इट’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोलीं। 

नागरत्ना ने उठाया सवाल

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हाईकोर्ट में सक्षम महिला अधिवक्ताओं की पदोन्नति बेंच में अधिक विविधता लाने का एक अहम समाधान हो सकता है। जस्टिस नागरत्ना ने सवाल उठाया कि यदि पुरुष अधिवक्ताओं को 45 वर्ष से कम आयु होने पर हाईकोर्टाें में जज भी नियुक्त किया जा सकता है, तो सक्षम महिला अधिवक्ताओं को क्यों नहीं? 

महिलाओं के पास रोल मॉडल और मार्गदर्शकों का अभाव

उन्होंने कहा कि सफलता के लिए कोई ऐसा गुण नहीं है जो केवल पुरुषों के लिए हो और महिलाओं में न हो। युवा महिलाओं के पास ऐसे रोल मॉडल और मार्गदर्शकों का अभाव है जो उन्हें कानूनी पेशे में आगे बढ़ने और सफल होने के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित और मदद कर सकें।
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‘व्यक्तिगत उपलब्धियों से प्रगति नहीं’

जस्टिस नागरत्ना ने जोर दिया कि कानूनी पेशे में महिलाओं की प्रगति केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं बल्कि प्रणालीगत बाधाओं को तोड़ने के सामूहिक प्रयासों से जुड़ी है। कांच की छत को तोड़ने के लिए पारंपरिक लिंग भूमिकाओं और गुणों को चुनौती देने की आवश्यकता है। 

‘महिलाओं की शिक्षा सर्वोपरि है’

उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा सर्वोपरि है और कार्यबल में उनकी निरंतर भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जब लड़कियां शिक्षित होती हैं, तो वे बड़े सपने देखने, अपने जुनून को पूरा करने और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त होती हैं। उन्होंने करियर और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाते समय महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते कहा कि शादी का इरादा रखने वाली महिलाओं को मातृत्व दुविधा बल्कि ‘पति दुविधा’ में रहती हैं, ये ऐसे प्रश्न हैं जिन पर हमें आधुनिक समाज के रूप में विचार-विमर्श करना चाहिए और उन पर लगातार कार्य करना चाहिए।

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