scriptवायु सेना को जो लड़ाकू विमान 2008 में मिलना था वो अब तक नहीं मिला, एयर चीफ मार्शल ने यूं ही नहीं बजाई ‘खतरे की घंटी’ | The fighter jets that the Air Force was supposed to get in 2008 have not been delivered yet, the Air Chief Marshal did not ring the 'alarm bell' without reason | Patrika News
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वायु सेना को जो लड़ाकू विमान 2008 में मिलना था वो अब तक नहीं मिला, एयर चीफ मार्शल ने यूं ही नहीं बजाई ‘खतरे की घंटी’

Tejas ही नहीं, डीआरडीओ के कई बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स सालों से शेड्यूल से पीछे चल रहे हैं।

भारतMay 30, 2025 / 08:27 pm

Ashish Deep

एचएएल 2031 तक वायुसेना को 180 तेजस बनाकर देगी। (एएनआई)

एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह की सैन्य प्रोजेक्ट्स में देरी पर हालिया टिप्पणी ने भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि 83 Tejas Mk1A लड़ाकू विमानों की डिलीवरी अभी नहीं हुई है। मार्च 2024 से हम इंतजार में हैं कि कब डिलीवरी शुरू होगी। कारण, HAL ने जेट नहीं दिए क्योंकि जनरल इलेक्ट्रिक ने इंजन नहीं भेजे थे। ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं, जो एक नहीं दो-तीन बार तक रीशीड्यूल किए जा चुके हैं लेकिन अब तक पूरे नहीं हुए हैं। बता दें कि 2023 में सरकार ने भी संसद में स्वीकार किया था कि 55 में से 23 रक्षा प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं।

कई DRDO प्रोजेक्ट्स शेड्यूल से पीछे

Tejas ही नहीं, डीआरडीओ के कई बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स सालों से शेड्यूल से पीछे चल रहे हैं। मसलन,

1- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), Phase-II : मूलतः 2008 में पूरा होना था, लेकिन अब तक नहीं मिला।

2- Naval LCA (Phase-I): 2010 के बजाय 2014 तक खिंच गया।

3- कावेरी इंजन: 1996 में शुरू, 2009 तक खिंचा और अब भी अधूरा।

4- Airborne Early Warning & Control (AEW&C) सिस्टम, Long Range Surface to Air Missile (LR-SAM) और एयर टू एयर Astra मिसाइल – सभी में सालों की देरी। (स्रोत – पीआईबी)

वर्तमान स्थिति: खर्च तो बढ़ा, परिणाम अधूरे

आंकड़े बताते हैं कि भारतीय सेना ने 2019-2024 के बीच स्वदेशी उपकरणों पर 96,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। 2024-25 की पहली छमाही में ही 11,265 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन तेजस Mk1A की डिलीवरी नहीं हो रही, Mk2 का प्रोटोटाइप तक नहीं बना और AMCA फाइटर जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं।

देरी के पीछे के प्रमुख कारण

रक्षा मंत्रालय और DRDO की रिपोर्टों के अनुसार, प्रोजेक्ट्स में देरी के कई प्रमुख कारण हैं:

1- देश में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और परीक्षण सुविधाओं की कमी।

2- तकनीकी जटिलताएं और विदेशी तकनीक की उपलब्धता में अड़चनें।
3- यूज़र्स की जरूरत का लगातार बदलना।

4- ट्रायल्स में असफलता और लंबा परीक्षण चक्र।

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नतीजा: सामरिक तैयारियों पर असर

एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसी स्थिति से न केवल परियोजनाओं की लागत और समयसीमा प्रभावित हो रही है, बल्कि भारत की सामरिक तैयारियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सेना जैसे महत्वपूर्ण अंग को समय से सैन्य साजो सामान न मिल पाना चिंता का विषय है।

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