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आज की शिक्षा अर्धनारीश्वर के सिद्धांत को भुला रही: डॉ. कोठारी

कोठारी पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा अर्धनारीश्वर के सिद्धांत को भुला रही है।

सूरतJun 20, 2025 / 08:52 am

Pushpankar Piyush

पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी (फोटो: पत्रिका)

पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी (फोटो: पत्रिका)

राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने गुरुवार को कहा कि अर्धनारीश्वर भी एक सिद्धांत है। व्यक्ति आधा पुरुष और आधी स्त्री है तो स्त्री आधा पुरुष और आधी स्त्री है। यानी पुरुष में स्त्री के गुण भी होने चाहिए और स्त्री में पुरुष के, लेकिन आज की शिक्षा ने इस सिद्धांत को ही भुला दिया है। इससे जीवन में संतुलन बिगड़ रहा है। जब तक जीवन में संतुलन नहीं है, तब तक सुख नहीं मिल सकता। इस भावना को भुलाने से समाज में विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है। आज की स्त्री आधुनिक पढ़ाई में अपने स्त्री तत्व को ही भुला रही है, पर यह सिर्फ नकल है, वह कभी पुरुष नहीं बन पाएगी। हमें यह समझने के साथ नई पीढ़ी को भी समझाना होगा।
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कोठारी पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने महाराजा अग्रसेन पैलेस में ‘स्त्री: देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम और विद्यार्थियों और युवाओं के लिए एसडी जैन मॉडर्न स्कूल में मार्गदर्शक कार्यक्रम ‘दिशाबोध’ को संबोधित किया।
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सिर्फ शरीर और बुद्धि तक सीमित रह गई पढ़ाई

विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कोठारी ने कहा, आज की शिक्षा ने हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। शिक्षा सिर्फ कॅरियर बनाने का माध्यम बन गई है। जीवन जीने की कला इसमें से बाहर हो गई है। आज की शिक्षा से हमें जानकारियां तो मिल रही हैं, लेकिन उसमें वह विजडम नहीं है। सिर्फ शरीर और बुद्धि तक पढ़ाई सीमित रह गई है, मन और आत्मा इससे बाहर हो गई है। आज की पढ़ाई हमें पेशेवर तो बना रही है, लेकिन जीवन का सच्चा सुख नहीं देती है।
संसार का पूरा जीवन चक्र स्त्री के हाथों में है… महिलाओं को संबोधित करते हुए कोठारी ने स्त्री की एक मां के तौर पर ही नहीं बल्कि सृष्टि के निर्माण में भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक मां ही है, जिसमें निर्माण की शक्ति है। संसार का पूरा जीवन चक्र स्त्री के हाथों में है। आज स्त्री ने अर्धनारीश्वर के सिद्धांत को भुला दिया है। स्त्री लक्ष्मी और सरस्वती यानी नश्वर और शाश्वत दोनों स्वरूप में है, पर आज की पढ़ाई ने शाश्वत हिस्से को ही छोड़ दिया है।

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