दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी पिच तैयार होने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले एक महीने के दौरान दो बड़ी सभाएं बिहार में की है। साथ ही मोदी पाकिस्तान की ओर से किए गए आतंकी हमले और उसके बाद जवाबी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर खासे आक्रमक भी रहे हैं। मोदी किसी भी हालत में एनडीए को बिहार का चुनाव जिताना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी न्याय संवाद जैसे कार्यक्रमों के साथ लगातार बिहार जा रहे हैं। राहुल का जोर रोजगार के साथ जाति जनगणना, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक करने पर है।
बिहार चुनाव की खास बातें
1. नीतीश कुमार: दबदबा कायम रखने की चुनौती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दबदबा पिछले 20 साल से बना हुआ है। नीतीश के सामने खुद को इस बार अपने दबदबे को साबित करने की बड़ी चुनौती है। नीतीश के सेहत को लेकर भी कई सवाल खड़े होते रहे हैं। इस बीच जेडीयू समर्थक नीतीश के बेटे निशांत कुमार को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। बिहार में कई जगह जेडीयू के होर्डिंग्स व पोस्टरों में निशांत को प्रमुखता से स्थान मिल रहा है। 2. ऑपरेशन सिंदूर: इसके बाद पहला चुनाव पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश का पहला चुनाव बिहार में होगा। जिस तरह से भाजपा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सेना के साथ प्रधानमंत्री मोदी को श्रेय देने का नरेटिव सेट कर रही है, उससे लगता है कि बिहार के चुनाव में यह प्रमुख मुद्दा बनेगा। यह अलग बात है कि चुनाव में इसका कितना फायदा भाजपा और एनडीए को मिलेगा। वहीं कांग्रेस व राष्ट्रीय जनता दल सेना के ऑपरेशन को चुनावी मुद्दा बनाने को गलत बता रही है।
3. पीके: क्या खुद के लिए सफल रणनीति बना पाएंगे? भाजपा, टीएमसी समेत कई अन्य दलों के रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर (पीके) बिहार के विधानसभा चुनाव में जनसुराज पार्टी के माध्यम से चुनावी राजनीति में कूदने जा रहे हैं। देशभर की निगाह इस बात पर है कि जातिगत चुनावी चक्रव्यूह के बीच क्या पीके खुद के लिए सफल चुनावी रणनीति बना पाएंगे।
4. सीटों का बंटवारा: हर गठबंधन में उलझन एनडीए में भाजपा, जनता दल यू, एलजेपी रामविलास, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल शामिल है। 243 सीटों वाले बिहार में सीटों का बंटवारा करना एनडीए के लिए आसान नहीं होगा। वहीं इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस, राजद, विकासशील इंसान पार्टी व वामपंथी दल शामिल है। इस बार कांग्रेस अधिक सीटों पर लडऩे के प्रयास में है। इसके चलते सीटों का बंटवारा उलझन भरा होगा। वहीं मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर भी दोनों ही गठबंधनों में सवाल उठते रहे हैं।