दरअसल, राजस्थान पत्रिका ने अभयारण्य क्षेत्रों में सीमा बढ़ाकर व बदलकर होटल व खान संचालकों को फायदा पहुंचाने की सिलेसिलेवार खबरें प्रकाशित की। इन खबरों के आधार पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद के बजट सत्र के दौरान 19 मार्च को लोकसभा में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण की मांग केन्द्र सरकार से की। इस पर केन्द्र सरकार ने राजस्थान सरकार से इस मामले में आवश्यक कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब की है। केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सांसद बेनीवाल को पत्र लिखकर कहा कि वनों के रखरखाव व संरक्षण का काम राज्यों का है। इस मुद्दे पर सरकार से आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है। उधर, केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने राजस्थान के वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कार्रवाई कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।
वाणिज्यिक गतिविधि बंद कर अर्थदंड लगाने की मांग
बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस मामले में संज्ञान लेकर राजस्थान के दोनों अभयारण्य क्षेत्र को बचाने के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में संचालित वाणिज्यिक गतिविधि गतिविधियों को बंद करने और उनके खिलाफ आर्थिक दंड लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों व खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से राजस्थान के अलवर में स्थित सरिस्का और जयपुर स्थित नाहरगढ़ अभयारण्य क्षेत्रो ंका नक्शा नहीं बदला जाए। सांसद ने दक्षिणी जयपुर के डोल का बाढ़ क्षेत्र के संरक्षण की मांग भी उठाई और कहा कि इस क्षेत्र में प्रस्तावित पीएम यूनिटी मॉल के लिए लगभग 2500 पेड़ों की कटाई के विरोध में लोग आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन प्रकृति के संरक्षण को लेकर किया जा रहा है।