होटल और एयरलाइन ने शुरू में पैसे वापस करने से इनकार कर दिया था, जबकि मेडेलिन के पास अपनी मेडिकल समस्या की पुष्टि करने वाला डॉक्टर का नोट भी था। मेडेलिन ने चैटजीपीटी से मदद मांगी। इस एआइ ने होटल और एयरलाइन के लिए एक्सपीडिया की शर्तों/नीतियों का विश्लेषण किया। उसने ठोस दलील वाला पत्र तैयार किया। इसमें यात्री की चिकित्सा संबंधी कठिनाई के कारण मामले को अपवाद बताते हुए रिफंड की वकालत की गई। पत्र के तर्कों के कारण होटल को फैसला बदलने और पूरे रिफंड पर सहमत होना पड़ा। मेडेलिन ने कहा, अगर चैटजीपीटी की मदद न ली होती तो पैरा-लीगल को हायर करना पड़ता। उसका खर्च ज्यादा होता। चैटजीपीटी ने मुझे नुकसान से बचा लिया।
एक पक्ष माना तो दूसरे ने की टालमटोल होटल की ओर से रिफंड पर सहमति के बावजूद एयरलाइन ने रुख नहीं बदला। उनकी नीति में सिर्फलाइलाज बीमारी या मृत्यु की दशा में यात्रा रद्द होने पर रिफंड दिया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर रिफंड का प्रावधान नहीं है। चैटजीपीटी ने दूसरे पत्र का मसौदा तैयार किया। इसमें तर्क दिया गया कि जीएडी को अमान्य चिकित्सा दशा मानकर रिफंड का आग्रह खारिज करना भेदभाव है।
तर्कों के आगे एयरलाइन भी झुकी एआइ ने पत्र में एयरलाइन को बताया कि मेडेलिन का मानसिक स्वास्थ्य हवाई यात्रा को प्रभावित कर सकता है। पत्र में जो तर्क दिए गए, उनकी काट एयरलाइन के पास नहीं थी। पत्र मिलने के एक घंटे के भीतर वह भी पूरा धन लौटाने पर सहमत हो गई। चैटजीपीटी ने झूठे बहाने नहीं बनाए, बल्कि शोध के जरिए चिकित्सा समस्या को स्पष्ट करने में मदद की।