सीएम आतिशी मार्लेना ने ‘नई शराब नीति’ को लेकर क्या कहा?
दिल्ली में एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में सीएम आतिशी (CM Atishi) से सवाल किया गया कि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की सरकार बनने के बाद क्या दिल्ली में फिर से ‘नई शराब नीति’ लागू होनी चाहिए? इसपर सीएम आतिशी ने इसका जवाब हां में देते हुए कहा “हां बिल्कुल होनी चाहिए। उस ‘नई शराब नीति’ (Delhi Liquor Policy Scam) को कई राज्यों में लागू किया गया है। उससे राज्यों का राजस्व बहुत ज्यादा बढ़ा है। आवंटन में भी पारदर्शिता बढ़ी है।” इसपर एंकर ने सवाल को स्पष्ट करते हुए पूछा कि आप कह रही हैं कि जो शराब नीति विवादों में थी, उसे फिर से लागू करेंगे? इस सवाल के जवाब में सीएम आतिशी ने हां की मुद्रा में गर्दन हिलाते हुए कहा “वह नीति बेहतर नीति है।” ‘नई शराब नीति’ से जुड़ा जानिए पूरा मामला
दिल्ली में मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2021-22 में
अरविंद केजरीवाल ने ‘नई शराब नीति’ लागू की। इसके बाद यह ‘नई शराब नीति’ विवादों के घेरे में आ गई। भाजपा समेत तमाम विपक्षी दलों ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। हालांकि भाजपा अभी अरविंद केजरीवाल पर कैग रिपोर्ट का हवाला देकर दिल्ली की ‘नई शराब नीति’ (Delhi Liquor Policy Scam) में 2026 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगा रही है। दूसरी ओर केंद्रीय जांच एजेंसियों का भी दावा है कि दिल्ली की ‘नई शराब नीति’ (Delhi Liquor Policy Scam) के जरिए कारोबारियों को गलत तरीके से ज्यादा फायदा पहुंचाया गया। इसके बदले में उनसे रिश्वत ली गई। इस शराब नीति (Delhi Liquor Policy Scam) के खिलाफ जांच बैठने के बाद दिल्ली सरकार ने इसे वापस ले लिया था। हालांकि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है।
बवाना में 15 गांवों के लोगों ने दी चुनाव बहिष्कार की धमकी
दिल्ली में जहां एक ओर चुनावी दंगल (Delhi Elections 2025) सजा हुआ है। वहीं दूसरी ओर बवाना और नरेला विधानसभा क्षेत्र के 15 गांवों के लोगों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। दरअसल, बवाना और नरेला विधानसभा क्षेत्र के लोग वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने डीएसआईडीसी सेक्टर-5 में खतरनाक वेस्ट के ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोजल फैसिलिटी के पास 15 एकड़ जमीन पर प्लांट की योजना बनाई है। इसपर आसपास के 15 गांवों के लोगों का दावा है कि इस परियोजना के परिणामस्वरूप क्षेत्र में पेड़ खत्म हो जाएंगे। इसके अलावा जल और वायू प्रदूषण भी बढ़ेगा। इससे स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होंगी।
बवाना और नरेला के लोगों ने क्या कहा?
पीटीआई से बातचीत में नरेला विधानसभा क्षेत्र के सनोथ गांव निवासी राजपाल सैनी ने कहा “इस प्लांट से निकलने वाले जहरीले उत्सर्जन से हमारी जान जोखिम में पड़ जाएगी। हम पहले से ही आसपास की फैक्ट्रियों और अन्य डब्ल्यूटीई प्लांट्स से होने वाले प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इसपर यह परियोजना इसे असहनीय बना देगी।” दूसरी ओर बवाना की जेजे कॉलोनी निवासी राम चंद्रन ने बताया “इस 15 एकड़ भूमि पर बड़े-बड़े पेड़ हैं। जो स्थानीय पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए बहुत अहम हैं। प्रदूषण बढ़ाने वाली परियोजना के चलते इन पेड़ों को नष्ट करना अस्वीकार्य है।” अधिकारियों के सुझाव पर लोगों ने दिए ये तर्क
वहीं वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लेकर अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि प्रस्तावति डब्ल्यूटीई प्लांट में सभी आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियां काम करेंगी। जबकि लोगों का कहना है कि क्षेत्र में मौजूद डब्ल्यूटीई प्लांट्स में राख के कुप्रबंधन और आसपास के समुदायों को प्रभावित करने वाले उच्च स्तर के खतरनाक प्रदूषक तत्वों की अनदेखी नहीं की जा सकती। ओखला डब्ल्यूटीई प्लांट इसका प्रमुख उदाहरण है। ओखला प्लांट की राख और विषाक्त उत्सर्जन से आसपास के लोग बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में यह प्लांट यहां स्वीकार नहीं है।