scriptप्रतिनिधि मंडल में विदेश गए नेताओं से कांग्रेस की अजीब उलझन | Patrika News
नई दिल्ली

प्रतिनिधि मंडल में विदेश गए नेताओं से कांग्रेस की अजीब उलझन

-यह है उलझन: भारत सरकार के पक्ष में विदेश में अपनी बात रखी, मोदी को ब्रीफिंग दी तो संसद में कैसे यह अपनी बात रखेंगे?
-कांग्रेस की लाइन: सरकार की विफलता है पहलगाम आतंकी हमला

नई दिल्लीJun 12, 2025 / 01:08 pm

Shadab Ahmed

शादाब अहमद

नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश गए सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल से अब कांग्रेस के लिए अजीब उलझन खड़ी हो गई है। प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहे अधिकांश कांग्रेस नेता सरकार के खिलाफ ज्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं। जबकि कांग्रेस की अधिकृत लाइन नरेन्दर-सरेंडर, आतंकियों के भाग जाने पर सवाल खड़े करने जैसी है।
दरअसल, विदेश गए प्रतिनिधि मंडल के भारत लौटने के बाद उसमें शामिल रहे सांसदों और अन्य नेताओं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात भी हो चुकी है। मोदी ने खासतौर पर कांग्रेस नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। वहीं इस पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस हैरान होने के साथ परेशान भी है। इसकी वजह है प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहे नेताओं का रवैया। विदेश से लौटने क बाद अधिकांश नेताओं ने कांग्रेस व राहुल गांधी के मोदी और सरकार पर आरोपों पर चुप्पी साध ली है। ऐसे में जुलाई में शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में कांग्रेस के सामने विपक्षी एकता तो दूर अपने सांसदों को एकजुट रखने की चुनौती खड़ी हो गई है।

प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहे सांसद क्या सरकार से पूछेंगे सवाल?

कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि मानसून सत्र के दौरान पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद के हालात को लेकर सरकार से हर सवाल पूछा जाएगा। अब सबक नजर प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहे सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी पर टिकी हुई है। कांग्रेस की आक्रमता से कदम-ताल करते हुए यह दोनों सांसद सरकार से तीखे सवाल कर पाएंगे?

यह है वो मुद्दे, जिन पर कांग्रेस में बेचैनी

1. पहलगाम आतंकी हमले के आतंकवादी कहां से आए और कहां गए?

2. सीजफायर में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर पीएम मोदी से चाहते हैं जवाब
3. पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया विफलता की जवाबदेही किसकी?

4. चीन और पाकिस्तान के प्रति भारत की भावी रणनीति क्या होगी?

5. सिंगापुर में सीडीएस के खुलासों पर सरकार से जवाब
6. कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर क्या विशेषज्ञों का समूह गठित किया जाएगा, जो ऑपरेशन सिंदूर का विस्तार से विश्लेषण कर भविष्य के युद्धों को लेकर अपनी सिफारिशें दें।

Manish Tiwari

पूरे घटनाक्रम पर संसद में होगी चर्चा

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 1980 के दशक में पंजाब में हिंसक उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। हमारे लिए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद कोई गूढ़ अकादमिक चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसलिए, यह स्वाभाविक था कि हमने पाकिस्तान की धोखेबाजी को उजागर करने में अपनी भूमिका निभाई, जैसा कि हमने पिछले 45 वर्षों में किया है। उन्होंने राहुल गांधी के उठाए सवालों पर कहा कि वे इसमें फिलहाल नहीं पडऩा चाहते हैं। दुनिया के सामने पाक के आतंकी चेहरे को सामने लाना हमारा उद्देश्य था, जिसमें हमें सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि मंडलों का इस तरह से विदेश जाना पहली बार नहीं हुआ है। भारत के लोकतंत्र की ताकत उसकी विविधता और अलग-अलग विचारों की आजादी में है. यही बात भारत को पाकिस्तान और कई तानाशाही देशों से अलग बनाती है। लोकतंत्र में विभिन्न विचारों का होना कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है। हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। तिवारी ने कहा कि जुलाई में संसद सत्र शुरू होने जा रहा है। इसमें पहलगाम आतंकी हमले से लेकर उसके बाद के सभी घटनाक्रमों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

Hindi News / New Delhi / प्रतिनिधि मंडल में विदेश गए नेताओं से कांग्रेस की अजीब उलझन

ट्रेंडिंग वीडियो