इस सामग्री की नींव एक 3डी प्रिंंटेबल हाइड्रोजेल है। एक ऐसा जेल जैसा पदार्थ, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। वैज्ञानिकों ने इसमें छेद वाली संरचना बनाई है, जिसमें प्रकाश, पानी और सीओ2 आसानी से अंदर जा सकें और शैवाल रह सकें। इस जीवित जेल में मौजूद श्यानोबैक्टीरिया, हवा से सीओ2 सोखकर दो रूपों में उसे जमा करते हैं। बायोमास के रूप में जैसे-जैसे शैवाल बढ़ते हैं, सीओ2 को अपने भीतर जमा करते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सामग्री को भवनों की दीवारों पर कोटिंग के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे भवन खुद ही वायुमंडलीय सीओ2 को सोखते रहेंगे और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेंगे।
रिसर्च के अनुसार यह सामग्री लगातार 400 दिन तक सीओ2 सोखने में सफल रही। इससे संग्रहीत हर ग्राम सामग्री में लगभग 26 मिलीग्राम कार्बन को ठोस रूप में जमा किया गया।