36 साल पहले की थी पत्नी की हत्या
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी पत्नी की हत्या के दोषी एक पूर्व फौजी को पैरोल उल्लंघन के 20 साल बाद मध्य प्रदेश के उसके पैतृक गांव से गिरफ्तार किया है। आरोपी ने 36 साल पहले अपनी पत्नी को गला घोंटकर मारा और फिर शव को जलाकर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी। अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन वह 2005 में पैरोल मिलने के बाद से फरार था। यह पूरा मामला वर्ष 1989 का है। जब अनिल कुमार तिवारी ने अपनी पत्नी की हत्या की। उसने इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस की जांच में यह मामला खुल गया। अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, तिवारी को दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में दो सप्ताह की पैरोल दी थी, लेकिन वह पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद भी जेल वापस नहीं लौटा और फरार हो गया।
मध्य प्रदेश के सीधी जिले से गिरफ्तार किया गया आरोपी
लगभग 20 साल तक फरार रहने के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे 12 अप्रैल को मध्य प्रदेश के सीधी जिले स्थित उसके पैतृक गांव से गिरफ्तार किया। डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि तिवारी ने पैरोल मिलने के बाद जेल नहीं लौटा और ठिकाने बदल-बदलकर फरार रहा। इस दौरान वह अपनी नौकरियां बदलता रहा। साथ ही ऑनलाइन लेनदेन बंद कर दिया। वह सिर्फ कैश ही लेता और देता था। दो दशक बाद क्राइम ब्रांच ने उसे गिरफ्तार किया है। क्राइम ब्रांच ने उसे पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया था। पुलिस को तकनीकी और मैनुअल निगरानी के जरिए यह जानकारी मिली कि तिवारी प्रयागराज, उत्तर प्रदेश और फिर मध्य प्रदेश के सीधी जिले में अपने पैतृक गांव में रह रहा था। इसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ में हत्यारोपी अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि वह जानता था कि पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इसलिए उसने कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया।
पहचान छिपाने के लिए अपनाए नायाब तरीके
वह अपनी पहचान छुपाने के लिए हमेशा अपना ठिकाना बदलता रहता था और किसी भी प्रकार के डिजिटल लेन-देन से बचता था। वह केवल नकद लेन-देन करता था। ताकि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक सबूत न मिले। तिवारी ने यह भी कबूल किया कि उसने दूसरी शादी की थी और उसके चार बच्चे हैं। तिवारी का यह लंबा फरारी जीवन जो कि दो दशक से भी अधिक समय तक चला। पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया था। 20 साल तक लगातार निगरानी और खुफिया तंत्र के एक्टिव रहने के चलते उसकी गिरफ्तारी संभव हो पाई।