मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों ने पुलिस को दी सूचना
बीते 10-12 दिन पहले सुबह के समय जब लोग मॉर्निंग वॉक पर निकले तो उन्होंने देखा कि मालचा मार्ग स्थित कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल और अमेरिकन एंबेसी स्कूल के पास कई खंभों पर इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के पोस्टर लगे हुए हैं। इन पोस्टरों पर ‘वांटेड’ लिखा हुआ था। देखते ही देखते यह खबर इलाके में फैल गई और दिल्ली पुलिस को इसकी सूचना दी गई। पुलिस तुरंत हरकत में आई और उन पोस्टरों को हटा दिया गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर दी। सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को एक संदिग्ध व्यक्ति की पहचान हुई। जो रात के अंधेरे में पोस्टर चिपकाते हुए कैमरे में कैद हुआ था। फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के माध्यम से पुलिस उसकी लोकेशन ट्रेस कर पाई और उस व्यक्ति के निवास स्थान तक पहुंच गई। जब उसकी पहचान की गई तो पता चला कि वह व्यक्ति एक पश्चिमी यूरोपीय देश के दूतावास में कार्यरत है और उसके पास डिप्लोमैटिक पासपोर्ट है।
दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
डिप्लोमैटिक इम्युनिटी होने के कारण पुलिस ने उसके खिलाफ सीधे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसका पूरा विवरण इकट्ठा करके मामले की रिपोर्ट गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को सौंप दी। पुलिस का कहना है कि जब तक मंत्रालयों से कोई निर्देश नहीं आता। तब तक आगे कोई कदम नहीं उठाया जा सकता। सूत्रों के अनुसार, यह मामला बेहद संवेदनशील है, क्योंकि इसमें एक विदेशी राजनयिक कर्मी की संलिप्तता है और इजराइल जैसे देश के प्रधानमंत्री को निशाना बनाना एक गंभीर कूटनीतिक मुद्दा बन सकता है। केंद्र सरकार अब इस मामले की जांच कर रही है कि इस व्यक्ति के इस कृत्य के पीछे क्या मंशा थी और क्या यह किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हो सकता है। गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय मिलकर इस मामले में आगे की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
इस घटना ने दिल्ली में मौजूद विदेशी दूतावासों की गतिविधियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब दूतावासों के स्टाफ की गतिविधियों पर और अधिक पैनी नजर रखने की दिशा में सोच रही हैं। वहीं इस घटना से भारत-इजरायल के कूटनीतिक रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है, जिसे लेकर सरकार बेहद सतर्क है।