दरअसल, राजस्थान के नागौर से सांसद व आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने प्रश्नकाल में किसान कर्ज और इसके माफी का मुद्दा उठाया। इसके जवाब में केन्द्रीय वित्त मंत्री पकंज चौधरी ने सदन के पटल पर किसानों पर कर्ज के आंकड़े रखे। इसके अनुसार किसानों के कर्ज के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। जहां 1.46 करोड़ किसानों पर 8.38 लाख का करोड़ का कर्ज है। राजस्थान में 1.05 करोड़ किसानों पर 1.74 करोड़ रुपए और मध्यप्रदेश के 93.52 लाख किसान 1.50 लाख करोड़ रुपए के कर्जदार है। वहीं केन्द्र सरकार ने कर्जमाफी की किसी भी तरह की योजना के प्रस्ताव से इंकार कर दिया है।
बिरला का सवाल: राजस्थान में किस सरकार ने कर्ज माफी की बात कही थी?
बेनीवाल ने पूरक प्रश्न के दौरान किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसान कर्जमाफी की मांग की। उन्होंने पूछा कि सरकार के पास इसका कोई प्रस्ताव है क्या? इसके लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। वहीं इस बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने मंत्री पंकज चौधरी से कहा कि आप यह बताइए राजस्थान में किस सरकार ने कर्ज माफी की बात कही थी? बिरला का यह बयान सीधे तौर पर कांग्रेस की तत्कालीन गहलोत सरकार की ओर इशारा था। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजस्थान समेत कई राज्यों में किसान संपूर्ण कर्ज माफी का वादा किया था। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार बनने पर संपूर्ण कर्जमाफी का वादा अधूरा रह गया था।
10 साल में 3.46 लाख करोड़ की सहायता
वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में बताया कि मोदी सरकार किसानों के हित के लिए कई काम कर रही है। 2014 में कृषि बजट महज 21 हजार 933 करोड़ रुपए का था। जो 2025-26 में बढक़र 1 लाख 71 हजार 437 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इसके अलावा किसान सम्मान निधि योजना के तहत 10 साल के दौरान किसानों को 3.46 लाख रुपए बांटे गए हैं। पीएम धन धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों के विकास पर 1.7 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
किसानों के हितों का झूठा वादा-बेनीवाल
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि किसानों के हितों का संरक्षण का झूठा दावा करने वाली भाजपा सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा सरकार किसानों का कर्जा माफ नहीं करेगी। एक तरफ बड़े औद्योगिक घरानों को कर्ज में राहत देने का रास्ता सरकार निकाल देती है, जबकि दूसरी तरफ किसानों के कर्ज माफी के मुद्दे पर सरकार चुप हो जाती है।
तीन तरह के बैंकों से कर्ज
किसानों को वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक और ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों से ऋण मिलते हैं। कर्जदार किसानों की सबसे ज्यादा संख्या और राशि वाणिज्यिक बैंकों की है।