सीएम ने कहा कि इस एक घटना के आधार पर विपक्षी दलों द्वारा यह दिखाने का प्रयास कि तमिलनाडु में महिलाओं की कोई सुरक्षा नहीं है, सफल नहीं होगा। एसआइटी (मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल) की जांच के दौरान, अगर किसी अन्य व्यक्ति की लिप्तता पाई जाती है, तो पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई करेगी, चाहे उस व्यक्ति की पृष्ठभूमि कुछ भी हो। आरोप पत्र 60 दिनों के भीतर दायर किया जाएगा और सरकार इस मामले की सुनवाई एक विशेष/नामित अदालत के माध्यम से करने और इस अपराध के अपराधियों को अधिकतम सजा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगी।
राजनीतिक लाभ लेना चाहता है विपक्ष विपक्षी दलों को दिए जवाब में स्टालिन ने कहा, “सरकार को तभी दोषी ठहराया जा सकता है यदि वह इस अपराध में उचित कार्रवाई करने या आरोपी को गिरफ्तार करने में विफल होती। हालांकि, अपराधी को कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिया गया था।” उन्होंने कहा कि इतनी कड़ी कार्रवाई के बाद भी सरकार पर आरोप लगाना केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए था। पीड़िता की शिकायत के बाद, कोटूरपुरम महिला पुलिस ने 24 दिसंबर को तुरंत मामला दर्ज किया और आरोपी ज्ञानशेखरन को अगली सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी पर गुंडा एक्ट भी निरुद्ध है।विवि परिसर में सुरक्षा उपाय
मामले की एफआइआर लीक होने के मुद्दे का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) जिम्मेदार है और संगठन ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने आगे बताया कि निगरानी कैमरों ने आरोपियों को पकड़ने में मदद की, जो कि अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में अपर्याप्त निगरानी की चिंताओं का जवाब है। विपक्षी दलों द्वारा अपने आरोपों में “वह कौन है सर?” सवाल उठाने का भी सीएम ने जवाब दिया।
एसआइटी को सबूत दें विपक्षी दलों द्वारा किसी ‘सर’ की लिप्तता की आशंका का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा, “यदि आपके पास इस बारे में कोई जानकारी है, तो कृपया इसे सबूतों के साथ एसआइटी को उपलब्ध कराएं। ऐसा करने के बजाय, कृपया सस्ते राजनीतिक लाभ के लिए बार-बार ऐसा आरोप न लगाएं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराधों से सख्ती से निपटेगी।