यह है मामला प्रदेश में गत दिसंबर माह में 10515 वरिष्ठ अध्यापकों को व्याख्याता पद पर पदोन्नत किया था। उस दौरान विभाग ने उन्हीं स्कूलों में यथावत कार्यग्रहण करने के निर्देश दिए थे। इस पर अधिकांश शिक्षकों ने पदोन्नति स्वीकार कर कार्यग्रहण कर लिया। इसके बाद विभाग ने काउंसलिंग के बाद 12 अप्रेल को 9554 नव पदोन्नत व्याख्याताओं के पदस्थापन के आदेश जारी किए। अधिकांश स्कूलों के पद नहीं खोलने से करीब 3 से 4 हजार शिक्षकों को दूरदराज की स्कूलें आवंटित हो गई हैं, जिससे कई शिक्षकों के जिले ही बदल गए हैं। ऐसे में पदोन्नति उनके लिए परेशानी बन गई। जबकि जिस विद्यालय में 500 से 1000 छात्रों का नामांकन हैं, उस विद्यालय में काउंसलिंग के समय इन पदों को खोला ही नहीं।
यह आ रही समस्या पहले पदोन्नति होने पर कई कर्मचारी इच्छित स्थान नहीं मिलने पर पदोन्नति को फोरगो कर देते थे, लेकिन इस बार विभाग ने पदोन्नति के साथ ही कार्मिकों को यथास्थान ही ज्वॉइनिंग देने के आदेश दे दिए। ऐसे में कार्मिकों ने पदोन्नति स्वीकार कर ज्वाॅइन कर लिया। बाद में काउंसलिंग में दूरस्थ स्थान की स्कूलें आवंटित कर दी। अब उनके पास पदोन्नति परित्याग का ऑफ्शन नहीं बचा। शिक्षकों का कहना है कि काउंसलिंग में विभाग ने कई विद्यालयों के रिक्त पद प्रदर्शित ही नहीं किए। जिससे कार्मिकों को इच्छित स्थान एवं उनके जिलों के बजाय अन्य जिलों में स्कूल मिले हैं।
जिले में पद रिक्त, फिर भी बाहर ज्वॉइनिंगकेस एक : राउमावि दादावाड़ी शिवगंज के व्याख्याता राजेन्द्र गहलोत को पदोन्नति के बाद राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लंकाई बांसवाड़ा में ज्वॉइनिंग दी है। जो करीब 500 किमी दूर है। जबकि जिले की स्कूलों में पद रिक्त हैं।केस दो : राउमावि फलवदी के व्याख्याता तरूण कुमार सगरवंशी को पदोन्नति पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तवाव जिला जालोर में ज्वॉइनिंग दी है। सगरवंशी को ह्रदय संबंधित समस्या होने के बावजूद भी सिरोही से बाहर ज्वॉइनिंग दी गई।शिक्षक संगठनों में रोष, रि-कॉउंसलिंग की उठी मांगप्रदेश में विभिन्न विषयों के व्याख्याताओं की पदोन्नति होने पर शिक्षा विभाग ने पदस्थापन के आदेश जारी किए हैं। जिसमें अधिकांश व्याख्याताओं को जिले से बाहर 500 से 600 किमी दूरस्थ पदस्थापन दिया गया है, जो न्यायोचित नहीं है। क्योंकि जिस जिले के व्याख्याता हैं, उस जिले में रिक्त पद होते हुए भी इतना दूरस्थ स्थान एवं जिले से बाहर भेजना उनके लिए पदोन्नति की जगह प्रताडऩा है। ऐसे में पदस्थापन पर संशोधन के लिए रि-कॉउंसलिंग की जाए।- धर्मेन्द्र गहलोत, मुख्य महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील