कावेरी इंजन क्या है कावेरी इंजन एक आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की गैस टरबाइन रिसर्च इस्टैबलिशमेंट(जीटीआरई) द्वारा 1989 में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए विकसित किया जाना शुरू हुआ। इसका लक्ष्य था करीब 81-83 किलोन्यूटन थ्रस्ट वाला इंजन बनाना ताकि भारत विदेशी इंजनों पर निर्भर न रहे।
अब तक कितनी कामयाबी कुल 9 प्रोटोटाइप (के1-के9) और 4 कोर बनाए जा चुके हैं, जिन पर 3,217 टेस्ट हो चुके हैं। इंजन को अब तेजस की बजाय घातक अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (यूसीएवी), नए फाइटर जेट एडवांस्ट मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) और नेवी के हल्के प्लेटफॉर्म्स के लिए उपयुक्त बनाया जा रहा है। लेटेस्ट अपडेट के अनुसार, रूस में इसकी उड़ान टेस्टिंग के अंतिम 25 घंटे बाकी हैं।
अब तक कितने वैरिएंट बने अब तक कावेरी का फुल बर्निंग और ड्राई वैरिएंट तैयार किया गया है। ड्राई वैरिएंट को घातक यूसीएवी में लगाने की योजना है। तेजस में अब तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ, लेकिन अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इसका एक ट्रायल तेजस में हो सकता है।
प्रोजेक्ट में देरी क्यों हुई तकनीकी चुनौतियां, प्रतिबंध, उच्च तापमान वाली सामग्री की कमी, और सीमित फंडिंग इसकी प्रमुख बाधाएं रहीं। प्रोजेक्ट का शुरुआती लक्ष्य तेजस था, पर तकनीकी बाधाओं के कारण तेजस में अमरीकी जीई एफ404 इंजन लगाया गया।
निकट भविष्य में संभावनाएं विशेषज्ञों का मानना है कि कावेरी के अपग्रेडेड वर्जन को ही विकसित कर भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी छलांग ले सकता है। हाल ही में जीटीआरई ने बताया कि ड्राई कावेरी अब विश्वसनीय प्रदर्शन दे रहा है। रूस में हो रहे ट्रायल पूरे होते ही यह इंजन व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार हो सकता है।
#FundKaveriEngine क्यों ट्रेंड हुआ लोग मांग कर रहे हैं कि कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को फंडिंग से रक्षा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा और भविष्य की पीढ़ियों को स्वदेशी टेक्नोलॉजी का फायदा होगा।