दुनिया का सफर
सीमा और रोहन भाई-बहन थे। एक दिन पापा घर में एक ग्लोब लेकर आए। सीमा ने खुश होकर कहा, रोहन, आओ! चलो, दुनिया घूमते हैं। दोनों ने ग्लोब को मेज पर रखा। सीमा ने उसे घुमाया और अपनी उंगली से एक जगह पर रोका। देखो, ये जापान है। यहां के लोग बहुत मेहनती होते हैं और यहां बहुत सारे रोबोट भी होते हैं। सीमा ने कहा। रोहन ने पूछा, और ये क्या है? उसने ग्लोब पर इंग्लैंड की ओर इशारा किया। सीमा ने जवाब दिया, यह इंग्लैंड है। यहां की रानी बहुत मशहूर है और यहां लोग क्रिकेट खेलते हैं।
इसके बाद सीमा ने भारत पर उंगली रखी और बोली, ये हमारा देश है। यहां ताजमहल है, जो बहुत सुंदर है। रोहन ने उत्साहित होकर कहा, मुझे ताजमहल देखने जाना है! दोनों ने ग्लोब घुमाते-घुमाते अमरीका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बारे में भी बातें कीं। रोहन ने कहा, यह खेल बहुत मजेदार है। हर दिन हम एक नया देश जानेंगे। सीमा ने हंसते हुए कहा, हां और ऐसे ही खेल-खेल में हम दुनिया के बारे में बहुत कु छ सीख जाएंगे। दोनों ने तय किया कि वे रोज ग्लोब घुमाकर किसी नए देश के बारे में जानेंगे।
–अंशु जांगिड़, उम्र-9वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. ग्लोब हमारी दुनिया
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बहन और भाई रहते थे। एक दिन भाई ने अपनी बहन से पूछा, दीदी, ये ग्लोब क्या होता है? बहन मुस्कुराई और बोली, ग्लोब हमारी पृथ्वी कैसी है, इसके बारे में बताताहै। इसमें हम पृथ्वी के सारे महाद्वीप और महासागर देख सकते हैं।
भाई ने ध्यान से ग्लोब को देखा और बोला, वाह! अब मुझे पता चला कि पृथ्वी कितनी बड़ी है और कितने सारे देश हैं। बहन ने उसे मुस्कुराते हुए कहा, हां, भाई! जब हम ग्लोब की मदद से अध्ययन करते हैं, तो हम पूरी पृथ्वी के बारे में बहुत कु छ जान सकते हैं और पृथ्वी की सुरक्षा का संकल्प ले सकते हैं। पानी बचाने का संकल्प भी ले सकते हैं। तभी दोनों बहन-भाई ग्लोब को घुमाते और बातें करते हुए पृथ्वी के बारे में और भी नए-नए तथ्य जानने में लग गए।
–एंजल शर्मा, उम्र-12वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. ग्लोब का सफर
नेहा और रोहित दो भाई-बहन थे। नेहा पढ़ाई में बहुत तेज थी और उसे नई चीजें जानने का शौक था। एक दिन जब रोहित उदास बैठा था, तो नेहा उसके पास एक ग्लोब लेकर आई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, आओ, मैं तुम्हें आज पूरी दुनिया घुमाती हूं। रोहित ने उत्सुकता से पूछा, दुनिया कैसे घूमेंगे? हम तो यहीं बैठे हैं। नेहा ने ग्लोब घुमाते हुए कहा, देखो, यह हमारी धरती है। यहां भारत है, जहां हम रहते हैं।
यह अमरीका है और यह अफ्र ीका, जहां सबसे बड़ा रेगिस्तान है। नेहा ने दुनिया के अलग-अलग देशों के बारे में बताया। उसने कहा, ऑस्ट्रेलिया में कंगारू पाए जाते हैं। रोहित यह सब सुनकर हैरान रह गया। उसने ग्लोब पर अपनी उंगली रखते हुए पूछा, क्या हम इन जगहों पर कभी जा सकते हैं? नेहा ने कहा, हां, लेकिन इसके लिए हमें पढ़ाई करनी होगी और ज्ञान बढ़ाना होगा। उस दिन के बाद रोहित ने भी नई चीजें जानने में रुचि लेनी शुरू की। उसने नेहा के साथ मिलकर ग्लोब से दुनिया को समझना शुरू किया। दोनों ने सपना देखा कि एक दिन वे पूरी दुनिया की यात्रा करेंगे। इस कहानी से सीख मिलती है कि ज्ञान ही हमें दुनिया की सैर कराता है और हमारे सपनों को पूरा करने में मदद करता है।
–सहर्ष सिंह, उम्र-11वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. रोचक दुनिया
एक छोटे से शहर में एक लड़का रहता था, जिसका नाम रोहन था। रोहन बहुत ही मजाकिया लड़का था और वह हमेशा अपने दोस्तों को हंसाने की कोशिश करता था। एक दिन रोहन ने स्कूल के पुस्तकालय में एक पुराना ग्लोब देखा। ग्लोब पर दुनिया भर के देशों के नक्शे बने हुए थे। रोहन ने ग्लोब को उठाया और अपनी दोस्त आर्या को दिखाया। आर्या ने ग्लोब को देखा और कहा, वाह, यह तो पूरी दुनिया है! रोहन ने कहा, हां और इसमें हमारा देश भी है!
दोनों बच्चे ग्लोब को घुमाने लगे और अलग-अलग देशों को देखने लगे। रोहन ने कहा, आर्या, क्या तुम्हें पता है कि दुनिया में कितने देश हैं? आर्या ने कहा, नहीं, मुझे नहीं पता। लेकिन मैं जानना चाहती हूं। रोहन ने कहा, ठीक है, मैं तुम्हें बताऊंगा। लेकिन पहले मैं तुम्हें एक मजेदार चुनौती दूंगा। आर्या ने कहा, ठीक है, मैं तैयार हूं। रोहन ने ग्लोब को घुमाया और आर्या ने एक देश का नाम बताया। रोहन ने कहा, वाह, तुमने सही जवाब दिया! तुम्हें इनाम मिलेगा। रोहन ने आर्या को एक इनाम दिया और दोनों बच्चे बहुत खुश हुए। उन्होंने ग्लोब को फिर से घुमाया और अलग-अलग देशों को देखा और उनके नाम एक-दूसरे को बताने लगे।
–वन्दना जांगिड़, उम्र-9वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… पृथ्वी का खजाना
सिया और आर्यन अच्छे दोस्त थे। एक दिन सिया अपने घर में रखे ग्लोब के पास बैठी थी। आर्यन ने आकर पूछा, तुम इस छोटे से ग्लोब को क्यों घूर रही हो? सिया ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं सोच रही हूं कि हमारी पृथ्वी कितनी बड़ी और अनोखी है। क्या तुम जानते हो, इसमें कितने राज छुपे हैं? आर्यन ने उत्सुकता से कहा, कैसे राज? मुझे भी बताओ। सिया ने ग्लोब पर उंगली रखते हुए कहा, देखो, यहां जंगल हैं, जहां अनगिनत पेड़-पौधे और जानवर रहते हैं। यहां समंदर है, जिसमें मछलियों और मोतियों का खजाना छुपा है। और यहां रेगिस्तान, जहां सुनहरी रेत फैली है।
आर्यन ने कहा, तो क्या हम इन जगहों पर जा सकते हैं? सिया ने सिर हिलाया, ‘जाना तो आसान है, लेकिन हमें इन जगहों को समझना होगा और इनकी देखभाल करनी होगी। अगर हम पृथ्वी का खजाना बचाना चाहते हैं, तो इसे प्यार और जिम्मेदारी से संभालना होगा। उस दिन से दोनों ने प्रकृति के बारे में पढऩा शुरू किया। वे पेड़ लगाते और दूसरों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करते। उनका सपना था कि पृथ्वी का खजाना हमेशा सुरक्षित रहे। पृथ्वी हमारे लिए एक अनमोल खजाना है। इसकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।
-भोमिक इंदा, उम्र-12वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… दोस्ती और ज्ञान की ताकत
अनाया और निकुंज गहरे दोस्त थे। एक दिन अनाया अपने कमरे में बैठी थी और ग्लोब को ध्यान से देख रही थी। निकुं ज भी वहां आया और बोला, अनाया, तुम क्या देख रही हो? अनाया ने मुस्कुराते हुए कहा, यह ग्लोब है। इसमें हमारी पूरी पृथ्वी दिखती है। आओ, मैं तुम्हें कु छ मजेदार बातें बताती हूं। निकुं ज ने उत्सुकता से पूछा, क्या पृथ्वी सचमुच गोल होती है? अनाया ने ग्लोब को घुमाते हुए कहा, हां, देखो! यह हमारा भारत है, जहां हम रहते हैं। और यह हैं समुद्र, जो पृथ्वी के बड़े हिस्से को कवर करते हैं। निकुं ज ने पूछा, क्या मैं इसे घुमा सकता हूं?
अनाया ने कहा, जरूर, लेकिन इसे धीरे-धीरे घुमाना। जैसे ही निकुं ज ने ग्लोब घुमाया, उसने अफ्र ीका और अमरीका के बारे में पूछा। अनाया ने सरल शब्दों में समझाया, ये महाद्वीप हैं। हर जगह के लोग, भाषा और रीति-रिवाज अलग होते हैं। निकुं ज ने कहा, यह तो कमाल है! क्या हम बड़े होकर इन जगह पर जा सकते हैं? अनाया ने उत्तर दिया, हां, अगर हम मेहनत करें और सपने देखें। दोनों ने ग्लोब के सहारे दुनिया को समझने का आनंद लिया और दुनिया घूमने का सपना बनाया। शिक्षा यह मिलती है कि ज्ञान और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
–अनाया अरोड़ा, उम्र-8वर्ष
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एक अनोखा मानचित्र
एक छोटे से शहर में रहने वाले बहन और भाई अवनी और अविरल के बीच का रिश्ता बहुत ही गहरा था। वे दोनों एक दूसरे के साथ खेलते, एक दूसरे के साथ बातें करते और एक दूसरे के साथ हंसते थे। एक दिन अवनी और अविरल के बीच एक अनोखा शब्द मानचित्र बन गया। अवनी ने अविरल से कहा, तुम मेरे लिए क्या हो? अविरल ने सोचा और कहा, तुम मेरी बहन हो, मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो और मेरी जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हो।
अवनी ने मुस्कुराते हुए कहा, तुम भी मेरे लिए वही हो। और इस तरह उन दोनों ने एक दूसरे के लिए एक शब्द मानचित्र बनाया, जिसमें वे अपने रिश्ते को व्यक्त करने के लिए शब्दों का उपयोग करते थे। इस शब्द मानचित्र में वे दोनों ने अपने रिश्ते को विभिन्न शब्दों में व्यक्त किया, जैसे कि प्यार, दोस्ती, विश्वास और समर्थन। वे दोनों ने अपने शब्द मानचित्र को एक दूसरे के साथ साझा किया और इस तरह उन्होंने अपने रिश्ते को और भी गहरा बनाया। अवनी और अविरल का शब्द मानचित्र एक अनोखा और खास शब्द मानचित्र था, जो उनके रिश्ते को व्यक्त करने के लिए शब्दों का उपयोग करता था।
–अविरल राठी, उम्र-10वर्ष
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भाई-बहन और ग्लोब
एक गांव में भाई और बहन रहते थे। भाई का नाम विपुल और बहन का नाम जानवी था। एक दिन विपुल और जानवी ने अपने घर में पिताजी के द्वारा लाया गया एक ग्लोब देखा। उन्होंने उस ग्लोब को घुमाया और दुनिया के विभिन्न देशों को देखा। विपुल ने जानवी से कहा , क्या तुम जानती हो कि दुनिया में इतने सारे देश हैं? जानवी ने कहा, हां, मैं जानती हूं। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम उन देशों में जा सकते हैं। विपुल ने कहा, क्यों नहीं?
हम ग्लोब को देखते हुए उन देशों की यात्रा कर सकते हैं। जानवी ने कहा, यह तो बहुत अच्छा विचार है! इस तरह विपुल और जानवी ने ग्लोब को देखते हुए दुनिया की यात्रा शुरू की। उन्होंने विभिन्न देशों की संस्कृ ति, इतिहास और भूगोल के बारे में सीखा। इन्होंने भारत के विभिन्न प्रकार की विविध जलवायु ग्लोब के माध्यम से प्राप्त की। विविध प्रकार की वनस्पति और जीव-जन्तु के बारे में जानकारी प्राप्त की और साथ ही साथ विविध संस्कृ ति और परंपराओं के बारे में उन्होंने समझा। विपुल और जानवी की यह यात्रा बहुत ही अनोखी और रोमांचक थी। उन्होंने ग्लोब को देखते हुए दुनिया को समझा और उसकी सुंदरता को देखा। कहानी से सीख यह मिलती है कि ग्लोब को देखते हुए हम दुनिया की यात्रा कर सकते हैं और उसकी सुंदरता को समझ सकते हैं।
–विपुल चौधरी, उम्र-12वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. अंधेरे जादूगर
रिया और कबीर भाई-बहन थे। अपने घर के पिछले बगीचे में खुद की बनाई नकली दुनिया के साथ खेल रहे थे। उनके पास मिट्टी, पत्तों और पुराने खिलौनों से बनी एक अद्भुत दुनिया थी। वे इसे नकली नगर कहते थे। इस दुनिया में रिया रानी थी और कबीर उसका वफादार योद्धा। उन्होंने गत्ते के टुकड़ों से महल बनाया था, जिसे उन्होंने रंग-बिरंगे कागज से सजाया। एक टूटी हुई गुडिय़ा उनकी प्रजा थी और पुराने खिलौने उनके सैनिक। देखो, रानी जी! हमारे राज्य पर अंधेरे जादूगर ने हमला कर दिया है, कबीर चिल्लाया।
रिया ने अपनी जादुई छड़ी—जो असल में एक लकड़ी का टुकड़ा थी—उठाई और बोली, डरो मत, हम इसे हराएंगे! दोनों ने अपनी कल्पना से एक रोमांचक लड़ाई लड़ी। कबीर ने मिट्टी के ढेलों को दुश्मन के गोले बताया और रिया ने पत्तों को जादू की ढाल बना लिया। दोनों ने मिलकर अंधेरे जादूगर को हराया। खेल खत्म होने के बाद रिया ने कहा, हमारी नकली दुनिया असली दुनिया से कहीं ज्यादा मजेदार है। कबीर मुस्कु राया और बोला, यह हमारी अपनी दुनिया है, जहां सब कुछ मुमकिन है। उनकी यह नकली दुनिया, असल में उनके बचपन की मासूमियत और असीम कल्पनाशक्ति का सबूत थी।
–जीशान पटेल, उम्र-13वर्ष
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गोवा की सैर
गुनिका और सुरेश भाई बहन एक शहर में रहते थे। दोनों को घूमने का शौक था। उनकी गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने वाली थी तो वे दोनों अपने पिताजी के पास गए और कहीं बाहर घूमने की जिद्द की। पिताजी ने भी ऑफिस से छुट्टी लेना तय किया तथा बच्चों को कोई अच्छी जगह निश्चित करने का कहा। दोनों ने ग्लोब में रोमांचक जगह ढूंढना तय किया और वे दोनों ग्लोब लेकर बैठ गए। दोनों ने गोवा जाना तय किया और पिताजी को बताया। पिताजी को दफ्तर से छुट्टी मिलने पर घर के सभी सदस्यों ने गोवा जाने की तैयारी शुरू कर दी और जरूरी सामान पैक कर रेलगाड़ी से रवाना हो गए।
स्टेशन पर बच्चों ने खाने के लिए बिस्किट और नमकीन खरीदे। गोवा स्टेशन से होटल के लिए टैक्सी ली और होटल में सभी ने उस दिन आराम किया और बच्चों ने खूब मस्ती की। अगले दिन सभी समुद्र किनारे पहुंच गए। सभी ने पिकनिक मनाई और पानी में खूब खेले। उस दिन पूर्णिमा होने के कारण समुद्र की लहरें ज्यादा ऊपर उठ रही थीं। गुनिका के पिताजी ने बच्चों को सचेत रहने के निर्देश दिए परंतु सुरेश ज्यादा ही उत्साहित था और उनकी बातों का ध्यान नहीं करते हुए गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा। परिजनों ने तैराकों की मदद से सुरेश को बचाया। सुरेश जब होश में आया तो सभी को सामने देखकर खुश हुआ। परिवार के सभी सदस्यों ने भी सुरेश को मुस्कुराते देखकर राहत महसूस की। घर पहुंच कर सुरेश ने सभी से माफी मांगी और वादा किया कि वे बड़ों का कहना मानेंगे और सभी ने उसे खुशी-खुशी माफ कर दिया। शिक्षा यह मिलती है कि खतरनाक स्थान पर सदैव बड़ों के निर्देशन का पालन करना चाहिए।
–ईशान्वी बिश्नोई, उम्र-10वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. प्यारी दुनिया
मोहनी और मोहन नाम के भाई बहन एक बड़े शहर में रहते थे। मोहनी कक्षा चार तथा मोहन कक्षा छह का छात्र था। मोहन को स्कूल में एक कार्य दिया गया। जिसमें उसे पृथ्वी के सभी महाद्वीपों के बारे में जानकारी एकत्रित करनी थी। जिसके लिए वह घर में ही रखे पृथ्वी के प्रतिरूप, जिसे हम ग्लोब के नाम से जानते हैं, पर सभी महाद्वीपों के बारे में खोज रहा था। जिसे देखकर उसकी छोटी बहन मोहिनी उसके पास आई और उत्सुकता भरे स्वर में पूछा कि भैया आप इसमें क्या खोजबीन कर रहे हैं, उसने उत्तर दिया कि मैं दुनिया के बारे में पढ़ रहा हूं।
मुझे टीचर ने होमवर्क दिया है और कहा है कि सारे दुनिया के बारे में जानकारी लेकर आना है और अगले दिन वह सबसे पूछेंगी भी। टीचर ने यह भी कहा है कि अपनी समाजशास्त्र की कॉपी में ग्लोब बनाकर और उसमें कलर भी करके लाना है। मोहन ने अपनी छोटी बहन मोहिनी को भी बताया कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन सबसे ज्यादा उगाया जाता है। मोहिनी भी भाई से सारे देशों के बारे में पूछ रही थी, मोहन अपनी बहन के सारे प्रश्नों के उत्तर देने के साथ उसे सारे देशों के बारे में थोड़ी-थोड़ी जानकारी देता जा रहा था। दोनों ही ग्लोब और देश के बारे में जानकर बहुत खुश हो रहे थे।
–ईशा अग्रवाल, उम्र-11वर्ष