चिड़िया को उड़ने दो
मैं पार्क खेलने गया, तो मुझे एक अजीब घटना देखने को मिली। मैंने देखा एक लड़की अपनी गुड़िया के साथ खेल रही थी। वह बहुत खुश दिख रही थी। अचानक एक लड़का वहां आया। उसके पास एक चिड़िया बंधी हुई थी, जो शायद उसने पकड़ ली थी। वह उस चिड़िया को इधर-उधर दिखा रहा था और हंस रहा था। लड़की ने उसे देखा और कहा, चिड़िया को छोड़ दो। यह उड़ना चाहती है। लेकिन लड़के ने उसकी बात नहीं मानी। वह बोला, यह मेरी चिड़िया है।
मैं इसे नहीं छोड़ूंगा। लड़की के चेहरे पर उदासी छा गई। उसने अपनी गुड़िया को कसकर पकड़ा और सोच में पड़ गई। फिर उसने कहा, अगर तुम इस चिड़िया को छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें अपनी सबसे प्यारी गुड़िया दूंगी। लड़के ने कुछ देर सोचा और फिर मुस्कुराते हुए चिड़िया को आजाद कर दिया। चिड़िया उड़ गई। लड़की ने अपनी गुड़िया उसे दे दी। लड़का खुश हो गया, लेकिन शायद उसे यह समझ में आ गया कि आजादी से बड़ी कोई चीज नहीं। उस दिन मैंने सीखा कि दूसरों की खुशी के लिए त्याग करना बहुत बड़ी बात है।
–नमनराज सिंह चौहान, उम्र-10वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………… शरारती बबलू और पिंकी की सीख
बबलू और चिंकी अच्छे दोस्त थे। एक ही कक्षा में पढ़ते थे। उनका घर भी पास पास था। साथ साथ स्कूल जाना और एक दूसरे के संग खेल कूद कर समय बिताना उन्हें बेहद पसंद था। बबलू शरारती स्वभाव का था। पशु पक्षियों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें परेशान कर मजे लेता था। वहीं चिंकी बेहद शांत स्वभाव की थी। वह हमेशा बबलू को ऐसी शरारतें नहीं करने के लिए बोलती रहती थी किन्तु बबलू पर कोई असर नही होता था। बात उन दिनों की है जब बसंत ऋतु का आगमन हो चुका था। चारों ओर रंग बिरंगे फूल खिले थे। वातावरण में फूलों की भीनी भीनी महक थी।
पंछियों की चहचहाहट मन को आनंदित कर रही थी। उस दिन स्कूल की छुट्टी थी। चिंकी और बबलू का मन घर के पास के पार्क में घूमने जाने का हुआ। अपने मम्मी-पापा से अनुमति लेकर दोनों पार्क में गए। चिंकी अपनी प्यारी सी गुड़िया को भी साथ ले गई। दोनों पार्क में घूमते हुए अलग अलग चले गए। चिंकी अपनी गुड़िया को तरह तरह के रंग बिरंगे फूल दिखा कर खुश हो कर उससे बातें कर रही थी। वहीं दूसरी ओर बबलू पार्क में पेड़ पौधों पर फुदकती हुई चिड़ियां का पीछा कर उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहा था। तभी अचानक एक नन्ही चिड़िया कांटों वाली झाड़ी में उलझ गई। बबलू ने बिना देरी किए उसे पकड़ लिया और अपनी पैंट की जेब से धागा निकाल कर बांध लिया। बेचारी चिड़िया बार बार उड़ कर छूटने की कोशिश कर रही थी। उसी समय चिंकी बबलू के पास आ गई। उसने जब यह देखा तो वह बहुत भावुक हो गई। उसकी आंखों से आंसू आने लगे। वह बबलू से बोली कि इतनी सुंदर और खूबसूरत चिड़िया को क्यों सता रहे हो। देखो वो तुम्हारी तरफ कितनी दया से देख रही है। पंछी पार्क में उड़ते और एक डाल से दूसरी डाल पर फुदकते और चहचहाते हुए कितने अच्छे लगते हैं। उनकी चहचहाहट हमारे मन को कितनी खुशी और आनंद देती है। इनके बिना तो ये पार्क कितना सूना होता है। पशु पक्षी इस धरती की शोभा हैं व वृक्ष शृंगार हैं। इन्हीं से हमारा जीवन खुशहाल है। इस चिड़िया को आजाद कर दो। देखो वो कितनी खुश होगी। बबलू पर चिंकी की बात का असर हुआ और उसने आहिस्ता से धागा खोल दिया। चिड़िया उड़ कर एक पास के पेड़ की डाली पर बैठ खुशी से चहकने लगी। मानो चिंकी को धन्यवाद दे रही हो। चिड़िया की खुशी देख के बबलू ने चिंकी से वादा किया कि अब वो किसी भी पशु पक्षी को नहीं सताएगा।
–याहवी बाहेती, उम्र- 9 साल
…………………………………………………………………………………………………………………………… बुरा मत करो
एक शहर में भाई बहन रहते थे। भाई का नाम चिंटू था और बहन का नाम चिंकी था। चिंकी को गुड़िया से खेलना बहुत पसंद था और भाई चिंटू उसकी पालतू चिड़िया चीची के साथ दिनभर खेलता रहता था। एक दिन दोनों छत पर जाकर पतंग उड़ा रहे थे। तब अचानक एक चिड़िया उनके धागे के बीच में आ जाती है और उसका पंख कट जाता है। तब चिंकी ने बोला कि यह तुमने क्या किया..? हमें तुरंत इसका इलाज करना चाहिए।
इस पर भाई ने कहा कि मुझे फर्क नहीं पड़ता। ऐसा बोलकर वह पतंग उड़ाने लगा। कुछ देर बाद जब चिंटू चीची के पिंजरे की सफाई कर रहा था, तब चीची पिंजरे से बाहर निकलकर उड़ने लगती है। चिंटू को विश्वास था कि चीची वापस नीचे आ जाएगी। तभी चीची एक पतंग के धागे में फंस जाती है, उसके पंख कट जाते हैं और वह धड़ाम से जमीन पर गिर जाती है। यह देखकर चिंटू दौड़कर चीची के पास जाता है और अपनी बहन को आवाज लगाता है। वह चीची को हाथों में उठाकर रोने लगता है। चिंकी दौड़कर भाई के पास आती है और कहती है जो दूसरों के साथ बुरा करते है, उनके साथ भी बुरा ही होता है।
–किम भारतीय, उम्र- 11 वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………………………. खोई हुई गुड़िया
एक दिन छोटी रीमा अपनी प्यारी गुड़िया के साथ बगीचे में खेल रही थी। वह बहुत खुश थी, लेकिन तभी एक नटखट जिन्न वहां आ गया। जिन्न ने शरारत करते हुए रीमा की गुड़िया छीन ली और उसे हवा में उछालने लगा। रीमा घबरा गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह जिन्न से अपनी गुड़िया वापस मांगने लगी, लेकिन जिन्न मस्ती में उसे चिढ़ा रहा था। तभी रीमा को एक उपाय सूझा। उसने प्यार से जिन्न से कहा, अगर तुम मुझे मेरी गुड़िया लौटा दोगे, तो मैं तुम्हें एक नई दोस्ती का तोहफा दूंगी। जिन्न को यह सुनकर उत्सुकता हुई और उसने पूछा, क्या तोहफा?
रीमा ने मुस्कु राकर जवाब दिया, मैं तुम्हारे साथ खेलूंगी और तुम्हें अच्छा दोस्त मानूंगी, लेकिन एक अच्छे दोस्त को दूसरों को दुखी नहीं करना चाहिए। जिन्न को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने तुरंत रीमा की गुड़िया वापस कर दी और कहा, मुझे माफ कर दो, रीमा! अब मैं तुम्हारा अच्छा दोस्त बनूंगा। रीमा ने खुशी-खुशी सिर हिलाया और दोनों साथ में खेलने लगे। इस तरह एक छोटी सी शरारत से एक नई दोस्ती की शुरुआत हुई। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि अपनी परेशानियों को बुद्धिमानी और प्यार से हल करने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि प्यार और समझदारी से हर समस्या का समाधान हो सकता है।
–दिव्या अग्रवाल, उम्र-10वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………… भाई-बहन की दोस्ती
दिशांत और किंजल भाई-बहन थे। वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार से रहते थे। एक दिन उनके पिताजी ने उन्हें एक उपहार दिया। दिशांत को एक पक्षी और किंजल को एक गुड़िया मिली। दिशांत बहुत खुश था और उसने पक्षी को धागे से बांधकर हाथों में ले लिया। वह नीली टोपी पहने हुए था, जो उसके चेहरे पर बहुत अच्छी लग रही थी।
लेकिन किंजल रोने लगी। वह गुड़िया से खुश नहीं थी। दिशांत ने पूछा, किंजल, तुम क्यों रो रही हो? किंजल ने कहा, मैं पक्षी चाहती थी। दिशांत ने सोचा और फिर कहा, किंजल, तुम मेरे साथ पक्षी को देख सकती हो। हम दोनों इसे साथ में रखेंगे। किंजल खुश हो गई। वह दिशांत के साथ पक्षी को देखने लगी। दोनों भाई-बहन एक दूसरे के साथ खुशी से खेलने लगे।
–दिशांत भाटी, उम्र-7वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………… खोया हुआ खिलौना
एक लड़की थी नीति। वह अपनी प्यारी गुड़िया के साथ खेल रही थी। वह उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी। लेकिन तभी उसका भाई मोहन आया। वह बहुत शरारती था। थोड़ी देखने के बाद वह नीति की गुड़िया छीनकर भाग गया। नीति ने रोते हुए उसे वापस अपनी गुड़िया मांगी, लेकिन मोहन ने गुड़िया को हवा में उछाल दिया। मोहन, मेरी गुड़िया वापस दो, नीति ने गुस्से से कहा। लेकिन मोहन मजाक करता रहा और गुड़िया को हवा में उछालता रहा
यह कहते हुए कि अगर तुम इसे पकड़ सकती हो, तो ले लो। तभी एक चिड़िया वहां आई और मोहन के हाथ से गुड़िया गिर गई। नीति ने दौड़कर अपनी गुड़िया उठा ली और खुश हो गई। मोहन को अब अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने शर्मिंदा होकर कहा, माफ करना, नीति। नीति मुस्कुराई और बोली, कोई बात नहीं, पर दोबारा ऐसा मत करना। मोहन ने सिर हिलाया और दोनों साथ खेलने लगे। अब मोहन ने सीख लिया था कि खेल-खेल में भी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
–काव्या शर्मा, उम्र-11वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………… शरारती भाई को आई समझ
एक छोटे से गांव में दो भाई-बहन रहते थे, रोहन और रिया। रोहन बहुत शरारती था। वह हमेशा अपनी बहन रिया के साथ मस्ती करता था और उसे परेशान करता था। वह उसके बाल खींचता था, उसके खिलौने तोड़ता था और उसे दौड़ा-दौड़ाकर परेशान करता था। दूसरी तरफ रिया बहुत ही दयाभाव वाली थी। वह हमेशा अपने भाई रोहन की मदद करती थी और उसे समझाने की कोशिश करती थी। वह उसे कहती थी, रोहन, तुम ऐसा क्यों करते हो? मुझे परेशान करने से क्या मिलेगा? लेकिन रोहन अपनी बहन की बातों पर ध्यान नहीं देता था।
वह हमेशा अपनी शरारतों में मस्त रहता था। एक दिन, रोहन ने अपनी बहन रिया की सबसे प्यारी चीज एक छोटा सा टेडी बियर अपने पास छुपाकर रख लिया। रिया उदास हो गई और अपने भाई से उसे वापस मांगने लगी। लेकिन रोहन ने उसे वापस देना मना कर दिया और उसे परेशान करने लगा। उसने टेडी बियर को एक पेड़ पर रख दिया और रिया से कहा, अगर तुम मुझे पकड़ लोगी, तो मैं तुम्हें टेडी बियर वापस दूंगा। रिया ने अपने भाई को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रोहन को नहीं पकड़ पाई। उसने रिया को दौड़ा-दौड़ाकर परेशान किया और अंत में पेड़ पर चढ़कर बैठ गया। रिया दुखी हो गई और रोने लगी। रोते हुए उसने कहा, मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी। यह सुनते ही रोहन का दिल पिघल गया। उसने अपनी बहन के आंसू पोछे और कहा, अब कभी तुम्हें तंग नहीं करूंगा। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं तुम्हारा ध्यान रखूं और अब से मैं यह जिम्मेदारी निभाऊंगा।
–दीक्षा जांगिड़, उम्र-7वर्ष
…………………………………………………………………………………………………………………………… जादुई चिड़िया और मीरा की इच्छा
छोटे से एक गांव में मीरा नाम की एक लड़की रहती थी। उसे अपने बगीचे में खेलना बहुत पसंद था खासकर अपनी प्यारी गुड़िया के साथ। एक दिन जब वह अकेले टहल रही थी तो उसने एक लड़के को देखा। उसके नुकीले कान थे। सिर पर नीली टोपी थी और वह भूरे जूते पहने हुए था। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी और उसके हाथ में एक गुलाबी चिड़िया थी जो एक डोरी से बंधी थी। मीरा ने उसे संदेह भरी नजरों से देखा और पूछा तुम कौन हो? लड़का हंसते हुए बोला, मैं रिंकू हूं, जंगल का जादुई परिंदा दोस्त! मैं पास के जादुई जंगल से आता हूं।
मैंने देखा कि तुम उदास हो, तो सोचा तुम्हें कुछ खास दिखाऊं। मीरा ने अपनी गुड़िया को कसकर पकड़ लिया और संकोच से पूछा, तुम मेरी मदद क्यों करोगे? रिंकू मुस्कुराया और चिड़िया की ओर इशारा किया। यह चिड़िया जादुई है! अगर तुम इसे अपना दिल से चाहा हुआ सपना बताओगी, तो वह पूरा हो जाएगा। मीरा ने झिझकते हुए धीरे से फुसफुसाया, मैं अपने पापा को जल्द से जल्द देखना चाहती हूं। वह बहुत दूर काम करते हैं और मुझे उनकी बहुत याद आती है। चिड़िया ने अपने छोटे पंख फड़फड़ाए और आकाश में उड़ गई। रिंकू ने कहा, बस इंतजार करो! अगले ही दिन, मीरा के पापा अचानक घर लौट आए। खुशी से वह बगीचे की ओर दौड़ी, लेकिन वहां रिंकू नहीं था। घास पर बस एक गुलाबी पंख पड़ा था, जो मीरा को उस जादुई मुलाकात की याद दिला रहा था।
– हर्षित सोमानी, उम्र- 13 साल
…………………………………………………………………………………………………………………………… गलती का एहसास
रानी अपनी प्यारी गुड़िया के साथ बगीचे में खेल रही थी। वह बहुत खुश थी क्योंकि गुड़िया उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी। तभी वहां राजू आया, जिसके हाथ में एक गुलेल थी। राजू को शरारतें करने का बहुत शौक था। राजू ने मजाक-मजाक में एक पत्थर अपनी गुलेल से चला दिया। वह सोच रहा था कि यह बस एक खेल है, लेकिन पत्थर सीधे एक छोटे से प्यारे पक्षी को लग गया। पक्षी घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा।
यह देखकर रानी डर गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसे उस पक्षी के लिए बहुत दुख हुआ। राजू पहले तो हंस रहा था, पर जब उसने रानी को रोते देखा और पक्षी की हालत देखी, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। राजू ने जल्दी से पक्षी को उठाया और रानी की मदद से उसे पानी पिलाया। दोनों ने मिलकर पक्षी की देखभाल की जब तक वह थोड़ा ठीक नहीं हो गया। राजू ने रानी से माफी मांगी और वादा किया कि वह कभी भी ऐसी शरारत नहीं करेगा जिससे किसी को चोट पहुंचे। उस दिन राजू ने सीखा कि सच्चा मजा दूसरों को हंसाने में है, न कि उन्हें दुख देने में। सीख मिलती है कि हमें कभी भी मस्ती-मजाक में किसी को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए, चाहे वह इंसान हो या कोई जानवर।
–आर्य कटारा, उम्र-5वर्ष