दोस्त बना राक्षस
एक घने जंगल में एक विशाल राक्षस रहता था। वह बहुत अकेला था और उसका कोई दोस्त नहीं था। एक दिन उसने एक छोटे लड़के को जंगल में घूमते हुए देखा। लड़का डरा हुआ था, लेकिन राक्षस ने उसे डराया नहीं। राक्षस ने लड़के से बात की और उसे पता चला कि लड़का खो गया है। राक्षस ने लड़के को घर वापस जाने का रास्ता दिखाया। रास्ते में वे दोस्त बन गए।
राक्षस ने लड़के को बताया कि वह कितना अकेला है। लड़के ने राक्षस को बताया कि उसे भी दोस्त चाहिए। दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि वे हमेशा दोस्त रहेंगे। लड़के ने राक्षस को अपने गांव में आमंत्रित किया। गांव के लोग पहले तो राक्षस को देखकर डर गए, लेकिन लड़के ने उन्हें बताया कि राक्षस उनका दोस्त है। राक्षस ने गांव के लोगों की मदद की और वे भी उसके दोस्त बन गए। राक्षस अब अकेला नहीं था। उसके पास बहुत सारे दोस्त थे और वह बहुत खुश था।
मोहिल कुमार सोनवानी, उम्र-10वर्ष
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अज्जु और मसीहा दैत्यराज
होली का उत्साह हर शहर, गांव व कस्बे यहां तक कि बाग बगीचों और वृक्षों पर भी छाया था। बागों में वृक्षों पर तरह तरह के रंगीन फूल माहौल को मदमस्त कर रहे थे। अज्जु के स्कूल की भी छुट्टियां चल रही थीं। उसने अपने 5-6 दोस्तों के साथ जंगल मे टेसू के रंगों के साथ ही होली खेलने का प्लान बनाया। दोपहर में सभी दोस्त टेसू के फूल चुनने के लिए पास के जंगल मे निकल गए। वहां पर रंग बिरंगे फूलों की बहार देख कर सभी दोस्त उत्साह से भर कर फूल बीनने लगे। अज्जु कुछ ज्यादा ही जोश में आ कर घने जंगल मे चला गया। उसके दोस्त पीछे रह गए। तभी अचानक एक पेड़ के पीछे से दैत्यराज आ गए। जिन्होंने अज्जु को दबोच लिया और बोले कि अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा। अपनी गुफा में ले जाकर तुम्हारे साथ मस्ती करूंगा। तुम्हें अपना दोस्त बना कर रखूंगा। अज्जु बहुत घबरा गया। जोर जोर से रोने और चिल्लाने लगा। मुझे बचाओ। उसकी आवाज सुनकर उसके दोस्त जब उस दिशा में गए तो ये दृश्य देख कर घबरा गए और बस्ती की तरफ चिल्लाते हुए भागे। वहां जाकर जब सारी बात गांव में बताई तो गांव में हाहाकार मच गया। अज्जू के माता-पिता का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया था कि अब न जाने क्या होगा तभी गांव के प्रधान ने आकर घोषणा कि हम सब उस दैत्यराज से विनती करने जंगल मे चलेंगे। आप सब तैयार हो जाएं। प्रधान जी ने दैत्यराज के लिए होली के पकवान घर-घर से मंगवाए और अपनी बैलगाड़ी में रखवा कर खुद आगे चल पड़े। पीछे पीछे पूरा गांव चल रहा था। इस दौरान दैत्यराज अपनी गुफा में अज्जू को लेकर पहुंच गए थे। उन्होंने अज्जु से कहा कि बेटा मुझसे डरो नहीं। मैं तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।
मैं इस गुफा में अकेले रह कर परेशान हो गया हूं। मुझे भी दोस्तों के साथ मस्ती करने और खेलने की इच्छा होती है। लेकिन मेरे रूप रंग और बनावट को देख कर लोग दूर से ही भाग जाते हैं। आज जब तुम झाडिय़ों के पास आए, तब मैंने तुम्हें पकड़ लिया। मुझे माफ कर दो और मेरे दोस्त बन जाओ। अकेला जीते जीते मैं परेशान हो गया हूं। पता नहीं किस जन्म का पाप इस योनि में भोग रहा हूं। प्लीज मना मत करना। दैत्यराज की ऐसी बातें सुनकर अज्जु को कुछ हिम्मत मिली। तभी अचानक पकवानों की सुगंध गुफा की ओर आने लगी। जब दोनों बाहर आए, तब देखा कि अज्जु के सभी दोस्त और पूरा गांव बाहर खड़े हो कर दैत्यराज से विनती कर रहे थे कि इस बच्चे को आप छोड़ दो। हम आपके लिए होली के पकवान ले कर आए हैं। सभी की बातें सुनकर दैत्यराज की आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने फौरन अज्जु को छोड़ दिया। स्वादिष्ट पकवानों का मजा लेने लगे। गांव वालों से वादा किया कि वो सबकी मदद करेंगे। बच्चों ने भी वादा किया कि वे सब उनके साथ खेलेंगे और खूब मस्ती करेंगे। अब दैत्यराज सभी के बीच लोकप्रिय हो गए। गांव वालों ने अब उनका नाम मसीहा रख दिया, जो सभी की मदद करते थे।
विहाना बाहेती, उम्र-7 वर्ष
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बुराई के आगे अच्छाई की जीत
एक गांव में एक डरावना राक्षस आया। उसने गांव में हर किसी को डराया और बच्चों को पकडऩे की योजना बनाई। एक दिन राक्षस ने एक छोटे से बच्चे मोहन को पकड़ लिया। मोहन बहुत डर गया था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। राक्षस मोहन को उठाकर जंगल की ओर जा रहा था। रास्ते में, मोहन की मां ने राक्षस से पूछा, कन्हैया को क्यों ले जा रहे हो? वह एक नेक दिल बच्चा है। वह कभी किसी को परेशान नहीं करता।
राक्षस हंसते हुए बोला, मुझे उसे अपनी सेना में शामिल करना है। मां ने फिर कहा, यह बच्चा सिर्फ दूसरों की मदद करता है। उसे क्या मिलेगा तुम्हारी सेना में वह तुम्हारी बुरी ताकत से दूर है। राक्षस को यह बात समझ में आ गई। उसने मोहन को छोड़ दिया। राक्षस वहां से चला गया। मोहन की मां ने उसे गले लगा लिया। मोहन अब जान गया था कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है।
हर्षिता चौरसिया, उम्र-11वर्ष
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छोटू और राक्षस की दोस्ती
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गांव में एक नन्हा बच्चा रहता था, जिसका नाम था छोटू। छोटू बहुत ही निडर और समझदार था। वह रोज जंगल में खेलने जाता था। एक दिन खेलते-खेलते वह बहुत दूर निकल गया। तभी अचानक उसके सामने एक बड़ा सा राक्षस आ गया। राक्षस का चेहरा डरावना था, उसके सिर पर दो सींग थे और गले में हड्डियों की माला पहनी हुई थी। वह बड़े-बड़े कदमों से छोटू की तरफ बढ़ा। छोटू डरने की बजाय मुस्कुराने लगा।
उसने राक्षस से कहा, तुम इतने बड़े हो, क्या तुम मेरे साथ दौड़ सकते हो? राक्षस हैरान रह गया कि यह बच्चा मुझसे डर नहीं रहा! फिर उसने हंसते हुए कहा, ठीक है, चलो दौड़ लगाते हैं। दोनों दौडऩे लगे। राक्षस बहुत तेज दौड़ता था, लेकिन छोटू भी कम नहीं था। वह होशियारी से दौड़ते हुए राक्षस को चकमा देता रहा। थोड़ी ही देर में राक्षस हांफने लगा। छोटू हंसते हुए बोला, थक गए क्या? चलो अब बैठकर आराम करते हैं। राक्षस ने पहली बार किसी इंसान से इतनी दोस्ती देखी। वह छोटू का दोस्त बन गया। अब दोनों रोज मिलते और साथ खेलते। राक्षस ने गांव में किसी को डराना छोड़ दिया और गांव वाले भी उसे अपना दोस्त मानने लगे। सीख- डर से नहीं, समझदारी और दोस्ती से सबसे बड़ी मुश्किल को भी हल किया जा सकता है।
अपर्णा शर्मा, उम्र-11वर्ष
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गांव की अनोखी कहानी
एक बार की बात है। दूर एक गांव में चंदन नाम का आदमी रहता था। वह गांव शापित था। चंदन पुजारी था। उसके बेटे का नाम विकास था। एक बार विकास अपने दोस्तों के साथ गेंद से खेल रहा था। चंदन का घर जंगल से कुछ ही दूर था। उधर विकास की गेंद जंगल में चली गई।
विकास उसे लेने के लिए जंगल में गया। उसने देखा गेंद एक गुफा में गई है। जैसे ही वो गुफा में गया। एक विशाल दानव सो रहा था और गेंद उसके पैर के पास पड़ी थी। विकास ने जैसे ही गेंद ली वैसे ही दानव उठा और विकास डर गया। इधर विकास के दोस्तों ने चंदन को बता दिया। चंदन जंगल में पहुंचा, तो उसने देखा एक विशाल दानव के हाथ में विकास है। चंदन पुजारी था इसलिए उसने दानव के ऊपर गंगाजल मार दिया। दानव ने विकास को छोड़ दिया और वह भाग गया।
रचित मिश्रा, उम्र-12वर्ष
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भोलू और दैत्य
गांव के पास एक घना जंगल था। जहां कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था। सभी कहते थे कि वहां एक भयानक दैत्य रहता है, जो बच्चों को पकड़कर ले जाता है। लेकिन छोटे भोलू में डर नाम की कोई चीज नहीं थी। एक दिन खेलते-खेलते भोलू जंगल की ओर चला गया।
अचानक, पेड़ों के पीछे से एक डरावना दैत्य निकला! उसकी लाल आंखें चमक रही थीं और वह जोर-जोर से हंसते हुए बोला, अब तू बच नहीं सकता! भोलू घबराया नहीं। उसने तुरंत समझदारी से काम लिया और हंसते हुए बोला, अरे दैत्य महाराज, आप तो बहुत ताकतवर लगते हैं, लेकिन क्या आप मेरी तरह तेज दौड़ सकते हैं? दैत्य ने गरजते हुए कहा, मैं सबसे तेज हूं! भोलू ने चालाकी से कहा, अगर सच में तेज हो, तो मुझे पकड़कर दिखाओ!और वह तेजी से दौडऩे लगा। दैत्य भी उसके पीछे भागा, लेकिन वह भारी-भरकम था और कुछ ही देर में थक गया। भोलू भागकर गांव पहुंच गया और लोगों को सारी बात बताई। सभी गांव वाले लाठियां लेकर जंगल की ओर दौड़े। डरकर दैत्य वहां से हमेशा के लिए भाग गया। सीख यह मिलती है कि कई बार ताकत नहीं, बुद्धि की जरूरत होती है!
काव्या शर्मा, उम्र-11वर्ष
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वीरू और राक्षस
वीरू एक छोटा सा लड़का था, जो अपने गांव में अपनी दादी के साथ रहता था। वह बहुत बहादुर और बुद्धिमान था। एक दिन वीरू जंगल में लकड़ी काटने गया। जंगल के बीचोंबीच उसने एक भयानक राक्षस देखा। राक्षस डरावना था, उसके बड़े-बड़े सींग थे और उसकी आंखें लाल थीं। वीरू डर गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने सोचा वह राक्षस से कैसे बचेगा। तभी उसे याद आया कि उसकी दादी ने उसे एक जादुई पत्थर के बारे में बताया था। यह पत्थर किसी भी खतरे से बचा सकता था। वीरू ने अपनी जेब में हाथ डाला और उसे पत्थर मिल गया।
उसने पत्थर को कसकर पकड़ लिया और राक्षस की ओर देखा। राक्षस वीरू की ओर बढ़ा और उस पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही राक्षस ने वीरू को छुआ, वह पत्थर से टकरा गया और गायब हो गया। वीरू ने राहत की सांस ली। उसे पता था कि जादुई पत्थर ने उसकी जान बचाई है। वीरू दौड़कर अपनी दादी के पास गया और सारी बात बताई। दादी ने वीरू को गले लगाया और कहा, मुझे पता था कि तुम बहादुर हो। तुमने अपनी बुद्धि और साहस से राक्षस को हराया। वीरू ने दादी को जादुई पत्थर दिखाया और उन्होंने उसे सुरक्षित रख लिया। उस दिन से वीरू और भी बहादुर बन गया। वह हमेशा अपनी बुद्धि और साहस का इस्तेमाल करके हर मुश्किल का सामना करने लगा।
शिवम वैष्णव, उम्र-13वर्ष
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रंगों का राक्षस
होली का त्योहार था। गांव में चारों तरफ रंग और खुशियों की धूम थी। बच्चे, बूढ़े और जवान सब एक-दूसरे पर रंग डाल रहे थे। पर गांव के पास के जंगल में एक भयानक राक्षस रहता था, जिसे रंगों से सख्त नफरत थी। उसका नाम कालासुर था। हर साल होली पर वह गांव में आता और रंगों से खेल रहे लोगों को डराकर भगा देता। इस बार भी उसने ऐसा ही करने की सोची। जैसे ही गांव में होली की मस्ती शुरू हुई, वह जोर-जोर से चिल्लाता हुआ आ धमका। सभी लोग डरकर इधर-उधर भागने लगे। लेकिन गांव के एक छोटे से लड़के मोहन ने हिम्मत दिखाई।
वह जानता था कि डर से यह समस्या हल नहीं होगी। उसने जल्दी से पानी की एक बाल्टी में खूब सारे गुलाल और रंग घोल दिए और राक्षस पर फेंक दिए। पहले वह गुस्सा हुआ, फिर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह रंगों की ठंडक और खुशबू से खुश हो गया। वह बोला, मैंने कभी नहीं जाना था कि रंग इतने सुंदर होते हैं। अब से मैं भी होली खेलूंगा और किसी को नहीं डराऊंगा। गांव के लोग यह देखकर खुश हो गए और सबने मिलकर कालासुर के साथ होली मनाई। उस दिन के बाद से गांव में होली का त्योहार और भी रंगीन और खुशहाल हो गया।
किट्टू, उम्र-6वर्ष
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रामू और उसके दोस्त की कहानी
रामू तेलगांव नाम के एक गांव का रहने वाला था। वह बहुत ही तेज और मौज मस्ती करने वाला लड़का था। उसकी मम्मी ने बचपन से उसे कई राजाओं-महाराजाओं और देव तथा असुरों के कई किस्से सुनाए थे और वो उन सब किस्सों में बहुत दिलचस्पी भी रखता था। एक बार उसकी मां ने उसे एक ऐसे असुर की कहानी सुनाई, जो अपना रूप परिवर्तित करके लोगों को परेशान किया करता था। वह कहानी सुन रामू के मन में भी खयाल आया कि अगर ऐसे किसी असुर से उसका सामना हो जाए। तो वह उस असुर को मजा चखा देगा और लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कर देगा। इन्हीं सब बातों के बारे में सोचते हुए रामू सो गया। इसके कुछ समय बाद गर्मी का मौसम आया।
रामू को गर्मियों की सबसे अच्छी चीज आम खाना बेहद पसंद था। उसके एक दोस्त ने उसे बताया था कि तेलगांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक जमींदार रहता है और सुना है कि उसके खेत में आम के बहुत बड़े-बड़े तीन-चार पेड़ भी हंै। रामू से यह बात सुन रहा न गया और वह अपने 2-4 दोस्तों के साथ जमींदार के खेत पर चला गया। दोपहर का समय था। खेत में कोई दिखाई नहीं दे रहा था। रामू और उसके दोस्त खेत में घुस गए और आमों को गुलेल से तोड़ तोड़ कर खाने लगे। आधे घंटे बाद खेत में जमींदार आ पहुंचा। उसको देख रामू के सारे दोस्त भाग गए, पर रामू भाग न सका। वह खुद को बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया। जमींदार एक बहुत बड़े असुर में बदल गया और उसने रामू को पकड़ लिया। रामू बहुत ज्यादा डर गया। वह रोने लगा और उसके बहुत विनती करने पर असुर ने रामू को छोड़ दिया और फिर उस दिन के बाद रामू ने कसम खाई कि वह कभी ऐसा काम दोबारा नहीं करेगा।
अनश पालीवाल, उम्र-10वर्ष
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बालक अर्जुन और राक्षस का रहस्य
गांव के पास एक घना जंगल था, जहां जाने से सभी डरते थे। कहते थे कि वहां एक भयानक राक्षस रहता है, जो बच्चों को पकड़कर ले जाता है। लेकिन अर्जुन, जो निडर और चतुर बालक था, उसे इन कहानियों पर यकीन नहीं था। एक दिन अर्जुन जंगल में लकडिय़ां लेने गया। तभी अचानक, एक विशालकाय राक्षस उसके सामने आ गया! उसने अर्जुन को उठाया और अपनी गुफा की ओर चल दिया। लेकिन अर्जुन घबराया नहीं, बल्कि मुस्कुराकर बोला, राक्षस महोदय, आप इतने बलशाली हैं, लेकिन क्या आपको कभी दोस्त नहीं मिले? राक्षस यह सुनकर हैरान हुआ।
उसने अर्जुन को नीचे उतारा और दुखी स्वर में कहा, कोई मुझसे दोस्ती नहीं करता, सब मुझसे डरते हैं। अर्जुन ने सोचा और कहा, अगर तुम लोगों को डराना बंद कर दो, तो वे तुम्हारे मित्र बन सकते हैं! राक्षस ने सोचा और फिर बोला, अगर यह सच है, तो मैं अब किसी को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।अर्जुन गांव लौट आया और सबको समझाया कि राक्षस बुरा नहीं है, बस अकेला है। उसे दोस्त चाहिए। धीरे-धीरे गांव वालों ने भी उसे स्वीकार कर लिया और वह जंगल का रक्षक बन गया। शिक्षा- कभी-कभी जो हमें डरावना लगता है, वह सिर्फ गलतफहमी होती है। प्यार और समझदारी से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है!
पर्णवी अग्रवाल, उम्र-9वर्ष
………………………………………………………………………………………………… भूखा राक्षस
एक दिन की बात है एक लड़का था। उसका नाम राम था। उसे बहुत भूख लग रही थी, लेकिन उसके पास खाने को कुछ नहीं था। फिर वो खाने की तलाश में एक जंगल में पहुंचा। वहां भी उसे खाने को कुछ नहीं मिला और राम कुछ दिनों तक भूखा प्यासा एक वृक्ष के नीचे बैठा रहा और फिर वह वापस से खाने की तलाश में निकला।
उसे एक नदी दिखी। राम ने वहां से पानी पीया। तभी वहां एक दानव आ गया। फिर उस दानव ने राम को हाथ में पकड़ लिया। राम ने कहा, मुझे मत मारो। मैं कई दिनों से भूखा हूं। मुझे खाकर तो तुम्हारी भी भूख शांत नहीं होगी। यह बात सुनकर उस दानव ने राम को छोड़ दिया। दोनों दोस्त बन गए।
अक्षय लोहार, उम्र-11वर्ष
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बच्चे की बहादुरी और राक्षस का परिवर्तन
बहुत समय पहले की बात है, एक शांत और सुंदर गांव था। उस गांव के पास एक भयानक राक्षस रहता था, जो जंगल में छिपा रहता था। वह कभी-कभी गांव आकर बच्चों को डराता और पकड़ कर ले जाता। गांव के सभी लोग उससे बहुत डरते थे। एक दिन की बात है, गांव का एक साहसी बच्चा, अर्जुन पेड़ के नीचे खेल रहा था। तभी अचानक राक्षस आया और अर्जुन को उठाकर ले जाने लगा। लेकिन अर्जुन डरने के बजाय हिम्मत दिखाते हुए बोला, तुम मुझे क्यों ले जा रहे हो? क्या तुम्हारे पास दोस्त नहीं हैं? क्या तुम अकेले हो? राक्षस अर्जुन की बात सुनकर चौंक गया।
किसी बच्चे ने उससे इस तरह कभी बात नहीं की थी। राक्षस की आंखों में आंसू आ गए। वह बोला, मैं अकेला हूं, कोई मेरा दोस्त नहीं बनता, इसलिए गुस्से में आकर बच्चों को पकड़ लेता हूं। अर्जुन ने प्यार से कहा, अगर तुम बच्चों को डराना छोड़ दो, तो हम सब तुम्हारे दोस्त बन सकते हैं। राक्षस मुस्कुराया और अर्जुन को नीचे उतार दिया। गांव के लोग भी अर्जुन की बहादुरी देखकर खुश हो गए। उस दिन से राक्षस ने बच्चों को डराना छोड़ दिया और गांव में सबका प्यारा दोस्त बन गया। शिक्षा-साहस और प्यार से हम किसी का भी दिल जीत सकते हैं। डर को हिम्मत से हराया जा सकता है।
राघव मित्तल, उम्र-11वर्ष
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समझदार बच्चे और राक्षस
एक बार की बात है। एक बहुत बड़ा महल था, जिसमें एक खूंखार राक्षस का कब्जा था। वह हर किसी पर गुस्सा करता और बच्चों से तो खास नफरत करता था । एक बार बच्चे महल के पास होली खेल रहे थे। खेलते खेलते बच्चे महल में घुस गए। उनका शोर सुनकर राक्षस बाहर आया और वहां खेल रहे बच्चों में से सबसे नन्हे बच्चे रिहान को दबोच लिया और उसे खाने के लिए अपने मुंह की तरफ ले जाने लगा। रिहान की दोस्त रूही ने राक्षस से हिम्मत करके पूछा, आपको हमारे खेलने से क्या दिक्कत है, तो राक्षस ने गुस्से में कहा मुझे रंगों से एलर्जी है।
जैसे ही रूही ने यह सुना उसे तुरंत एक विचार आया। उसने अपने सारे दोस्तों को कुछ समझाया। कुछ बच्चे राक्षस के ऊपर गुलाल फेंकने लगे और बाकी उसे रंग मिले हुए पानी की पिचकारी मारने लगे। जैसे ही गुलाल राक्षस की नाक में गई रक्षा छींकने लगा और उनके दोस्त रिहान को नीचे उतार दिया। इस तरह अपनी सूझबूझ और हिम्मत से रूही और उसके सभी दोस्तों ने अपने दोस्त की राक्षस से रक्षा की। सीख-मुश्किल वक्त में हिम्मत समझदारी और एक जुट होके काम करने से हमें कामयाबी जरूर मिलती है।
रूही गर्ग, उम्र-7वर्ष
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डर के आगे जीत है
एक समय की बात है। एक छोटा सा बच्चा जैक, जो बहुत बहादुर और चालाक था, एक घने जंगल में रहता था। एक दिन वह जंगल में खेलते हुए बहुत दूर निकल गया। अचानक एक भयानक दानव ने उसे पकड़ लिया। दानव ने कहा, अब तू मेरा शिकार है और मैं तुझे खा जाऊंगा! जैक ने हिम्मत नहीं हारी। उसने दानव से कहा, अगर तुम मुझे खाना चाहते हो, तो पहले मेरी एक इच्छा पूरी करो। दानव ने पूछा, क्या इच्छा?
जैक ने कहा, मैं चाहता हूं कि तुम मेरी एक पहेली का हल निकालो। अगर तुम सही जवाब नहीं दे पाए, तो तुम मुझे छोड़ देना। दानव को यह मजाक लगा और उसने हां कर दी। जैक ने पहेली पूछी, वह क्या चीज है जो दिन में दिखती है, रात में गायब हो जाती है और हर किसी के पास होती है? दानव सोच में पड़ गया, लेकिन उसे जवाब नहीं मिला। अंत में, उसने हार मान ली। जैक ने कहा, जवाब है – छाया! दानव हैरान रह गया और अपना वादा निभाते हुए जैक को छोड़ दिया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धि और साहस से हर मुश्किल को हराया जा सकता है। डर के आगे जीत है।
आराध्या गुप्ता, उम्र-10 वर्ष