इसलिए बढ़ रही चिंता
विशेषज्ञों के अनुसार बचपन में मोटापा चिन्ता का विषय है। विद्यार्थियों को खाद्य तेल के अत्यधिक सेवन के प्रतिकूल प्रभावों व मोटापे संबंधी दिक्कतों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। पीएम पोषण योजना के तहत स्वस्थ खाने की आदत विकसित करने का प्रयास हो रहा है। इसके जरिए कम से कम तेल का उपयोग कर पौष्टिक भोजन तैयार करने व खाने के बारे में प्रोत्साहित किया जाता है। क्योंकि अत्यधिक खाद्य तेल का सेवन कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मोटापा, हृदय रोग और पाचन तंत्र रोग को बढ़ाता है।
यह करने होंगे प्रयास
माशि निदेशालय के अनुसार विद्यालयों में भोजन में तेल के उपयोग को कम करने के महत्व पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाए। गृह विज्ञान महाविद्यालयों और स्वास्थ्य संस्थानों से पोषण विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों को बुलाकर कम तेल वाले आहार व स्वस्थ व्यंजनों की जानकारी का प्रसार किया जाए। स्वस्थ खान-पान की आदतों पर विद्यालयी स्तरीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाए। इको क्लब गतिविधियों जैसे वार्ता, समूह चर्चा, पोषण व स्वास्थ्य पर निबंध लेखन का आयोजन कर इनमें विद्यार्थियों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए। स्वस्थ जीवनशैली व अतिरिक्त कैलोरी खर्च करने के लिए नियमित व्यायाम व योग पर जोर दिया जाए। अभिभावक भी हो शामिल
- शिक्षकों को विद्यार्थियों में मोटापे की पहचान कर माता-पिता को भोजन की मात्रा नियंत्रित करने व विद्यार्थियों की शारीरिक गतिविधि बढ़ाने को प्रशिक्षित किया जाए।
- कम तेल वाला भोजन तैयार करने को लेकर कार्यशाला हो।
- विद्यालयों व कैंटीनों में खाद्य तेल की कम खपत के लाभों के प्रचार-प्रसार की सामग्री चस्पा हो।
- विद्यार्थियों को स्वास्थ्य राजदूत नियुक्त करे ताकि वे साथियों को बेहतर स्वस्थ भोजन विकल्पों की जानकारी दे।
- विद्यालयों व घरों में तलने के स्थान पर भाप से पकाने, ग्रिलिंग, उबालने व बेक करने जैसी स्वास्थ्यवद्र्धक तकनीक को बढ़ावा दिया जाए।
- स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों, अभिभावकों आदि को शामिल करते हुए विशेष विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठकें आयोजित की जाए।