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‘हमारे खेतों की मिट्टी में जहर घोला, उनकी फैक्टरियों पर चले बुलडोजर’

अजमेर जिले के किशनगढ़ क्षेत्र की फैक्टरियों में नकली उर्वरक बनाने के खुलासे के बाद यहां के किसानों में गुस्सा है। किसानों की मांग है कि जिन फैक्टरियों ने नकली उर्वरक बेचकर देशभर में खेतों की मिट्टी खराब की है, सरकार बुलडोजर चला कर उन्हें मिट्टी में मिला दे।

जयपुरJun 03, 2025 / 07:09 pm

GAURAV JAIN

किशनगढ़ के तिलोनिया गांव में चर्चा करते ग्रामीण

अन्नदाता के साथ अन्याय : दोषियों को मिले सजा ताकि फिर कोई धोखा करने की नहीं सोचे

जयपुर. अजमेर जिले के किशनगढ़ क्षेत्र की फैक्टरियों में नकली उर्वरक बनाने के खुलासे के बाद यहां के किसानों में गुस्सा है। किसानों की मांग है कि जिन फैक्टरियों ने नकली उर्वरक बेचकर देशभर में खेतों की मिट्टी खराब की है, सरकार बुलडोजर चला कर उन्हें मिट्टी में मिला दे।
राजस्थान पत्रिका ने किशनगढ़ क्षेत्र में नकली उर्वरक मामले में सीज फैक्टरियों के आस-पास तिलोनिया, नलू, पाटन, बांदरसिंदरी, मुंडोती, सुरसुरा, बालापुरा, नयागांव, उदयपुर कला, टिकावड़ा, छोटा लाम्बा, हरमाड़ा सहित कई गांवों में जाकर किसानों का दर्द जाना। तिलोनिया की चौपाल पर बैठे बुजुर्ग किसान घनश्याम जाट, श्रवणराम, कानजी, रामेश्वरलाल ने कहा कि सरकार को बहुत पहले कार्रवाई करनी चाहिए थी।
किशनगढ़ मिल रोड सहकारी क्रय-विक्रय केंद्र पर मुंडौती के अमरचंद ने कहा कि ये फैक्टरियां फिर शुरू न हो। सुरसुरा गांव के छोटूराम व भंवर माली ने कहा कि लोग उधार के लालच में निजी बिक्री केन्द्रों से नकली खाद खरीद लेते हैं, फिर खेत खराब होने पर पछताते हैं। अरांई रोड पर बालापुरा के किसान कालूराम वैष्णव बोले, अब सरकार दोषियों को ऐसी सजा दे कि आगे से कोई भी अन्नदाता के साथ धोखा करने की नहीं सोचे।
सहकारी केन्द्रों पर पर्याप्त स्टॉक नहीं

कृषि उपज मंडी में अनाज बेचने आए छोटा लाम्बा के किसान कानाजी, हरमाड़ा के रतन चौधरी ने कहा कि सहकारी क्रय-विक्रय समिति केन्द्रों पर खाद पूरी नहीं मिलती। निजी बिक्री केन्द्रों की खाद में पत्थर निकल रहे। कृषि विभाग व सहकारी केन्द्रों के अफसरों से मिलीभगत है।
मुख्य गेट पर सील-चपड़ी, दूसरा गेट खुला

किशनगढ़ क्षेत्र की अतिशय बॉयोटेक इंडस्ट्रीज को नकली उर्वरक बनाने के मामले में सीज किया गया था। सोमवार को इस फैक्टरी का दूसरा छोटा गेट खुला मिला। ग्रामीणों का आरोप है कि रात को चोरी-छिपे उर्वरक को बाहर भेजा जा रहा है।
किसी को नहीं लगी भनक

नकली उर्वरक वाली फैक्टरियों के अंदर क्या चल रहा है, इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। फैक्टरियों में सभी मजदूर दूसरे राज्यों से थे। अंदर ही रहने-खाने की व्यवस्था थी, वो बाहर नहीं आते थे। स्थानीय ग्रामीणों को अंदर जाने की अनुमति नहीं थी।

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