बिना डर-भय के गांवों में सप्लाई
वीडियो में आधा दर्जन से अधिक शराब की पेटियां बाइक पर रखी हुई दिख रही हैं, और युवा उन्हें इत्मीनान से ले जा रहे हैं। जब मीडिया ने इन युवाओं से पूछताछ की तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने साफ कहा कि ‘हम कंपनी के आदमी हैं, कमीशन पर गांवों में शराब सप्लाई करते हैं।’ यह जवाब इस बात की तस्दीक करता है कि कानून का डर इन कारोबारियों में खत्म हो चुका है और वे पूरी तरह से सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं।
महिलाओं की भी बढ़ती भागीदारी
अब इस अवैध शराब धंधे में महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है। वे अपने घरों से ही शराब की 2-4 पेटियां बेचकर रोजाना हजार-दो हजार रुपए तक कमा रही हैं। इस काली कमाई से न केवल उनके परिवार की आमदनी में इजाफा हो रहा है, बल्कि शराब माफियाओं और ठेकेदारों की जेबें भी दिन-प्रतिदिन भारी होती जा रही हैं।
प्रशासन की चुप्पी
इस वायरल वीडियो के सामने आने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई भी ठोस कार्रवाई न होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जब इस तरह के वीडियो पर भी एक्शन नहीं हो रहा, तो आम जनता की शिकायतें कौन सुनेगा? लोगों का यह भी मानना है कि अवैध शराब के इस खेल में कहीं न कहीं अधिकारियों की मिलीभगत भी है, तभी यह कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
गांवों का बिगड़ता माहौल
इस अवैध शराब की उपलब्धता का सबसे बड़ा नुकसान गांव के युवाओं को हो रहा है। कई छात्र नशे की गिरफ्त में आकर अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं और अपराधों की ओर बढ़ रहे हैं। शाम होते ही गांवों में नशे में धुत युवाओं के कारण गाली-गलौज, झगड़े और महिलाओं के लिए असुरक्षित माहौल बन चुका है। यह सामाजिक विघटन प्रशासन की चुप्पी और लचर कार्यप्रणाली का नतीजा है।
जिम्मेदार अधिकारी की गैरजिम्मेदाराना प्रतिक्रिया
जब इस गंभीर मामले पर नौगांव के आबकारी निरीक्षक अजय वर्मा से सवाल किया गया, तो उनका जवाब बेहद गैर-जिम्मेदाराना था। उन्होंने कहा, “ऐसा कोई वीडियो मेरे संज्ञान में नहीं है, मैं 12 से 18 अप्रैल तक छुट्टी पर हूं।” जब उनसे छुट्टी के बाद जांच की बात की गई, तो उन्होंने जवाब देने के बजाय फोन ही काट दिया। इस रवैये ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिम्मेदार अधिकारी भी इस अवैध कारोबार को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।