उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समान मानने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के साथ वंचित और पिछड़े वर्गों के लोगों को प्रगति की मुख्य धारा से जोडऩे की भावना प्रधान है।
बिरला ने यह बातें ताशकंद, उज्बेकिस्तान में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की ऐतिहासिक 150वीं सभा में ‘सामाजिक विकास और न्याय के लिए संसदीय प्रयास’ विषय पर मुख्य भाषण देते हुए कही। बिरला ने कहा कि भारत की संसद ने हाल के वर्षों में ऐसे अनेक विधेयक पारित किए हैं, जो सामाजिक न्याय एवं सुरक्षा तथा सभी वर्गों के समावेशन को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने आइपीयू असेंबली में भाग ले रहे प्रतिभागियों को रामनवमी की शुभकामनाएं भी दीं। बिरला ने आशा व्यक्त की कि आइपीयू असेंबली में होने वाली चर्चा से सभी प्रतिनिधियों को नई दृष्टि मिलेगी तथा पूरी दुनिया की संसदों को न्यायसंगत, समावेशी और समृद्ध समाज के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाने में मदद मिलेगी। इस दौरान बिरला ने वियतनाम की नेशनल असेंबली के प्रेसिडेंट ट्रैन थैन मैन से भी मुलाकात की।