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आपकी बात…नजदीकी रिश्तों में होने वाले अपराधों को आप किस नजरिये से देखते हैं?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत हैं पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं…

जयपुरJun 11, 2025 / 01:09 pm

विकास माथुर

एक—दूसरे को नीचा दिखाने से बढ़ती है आपराधिक प्रवृत्ति
रिश्तों में अपराध होने की सबसे बड़ी वजह अहंकार है। रिश्तों में एक—दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति घातक है। परिवार और सामाजिक ताने—बाने में कोई भी व्यक्ति एक दूसरे को सुनना और समझना नहीं चाहता |जिससे आपसी मतभेद बढ़ जाते है | रिश्ते में भरोसा और आत्म सम्मान का होना बहुत जरूरी है| आपसी समझ और सीधा संवाद ही संबंधों को लंबे समय तक मजबूत बनाने में सहायक है | अपने को ही ज्ञानी मानकर सलाह देना अहंकारी की निशानी है।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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अवचेतन मन मे छिपी कुंठाओं से अपराध को जन्म
नजदीकी रिश्तों में होने वाले अपराध मन में छुपी हुई कुंठाओं एवं वासनाओं के दुष्परिणाम होते हैं। स्वयं का तथाकथित हित जब सीमा के पार चला जाता है तो व्यक्ति रिश्तों की अहमियत को भुलाकर न करने जैसा जघन्य अपराध कर बैठता है। परिवार में खुलकर संवाद की प्रक्रिया होना बहुत आवश्यक है। अभिभावकों को भी अपनी पसंद बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। उनके लिए गए स्वतंत्र निर्णयों का सम्मान भी करना चाहिए।
ललित महालकरी, इंदौर
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बदले की भावना से बढ़ रहे अपराध
नजदीकी रिश्तों में दिखावे की प्रवृत्ति तेजी से पनप रही है। मोबाइल ने इसे और बढ़ावा दिया है। कई बार आपसी संबंध इस कदर खराब हो जाते हैं कि बदले की भावना गहरा जाती है। यही भावना आपराधिक कृत्यों को करने के लिए मजबूर कर देती है। उचित शिक्षा की कमी के कारण भी अपराध बढ़ रहे हैं।
— कमलसिंह अकली, बाड़मेर
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आपसी विश्वास खत्म होने से होते हैं अपराध
पारिवारिक रिश्तों में जब आपसी विश्वास खत्म हो जाता है तो इससे समस्याएं बढ़ती हैं।ये अपराध विश्वास, सुरक्षा और प्रेम की नींव तोड़ते हैं। पीड़ित अक्सर शर्म, डर या आश्रित होने के कारण चुप रहते हैं। ऐसे मामलों में संकोच तोड़कर आवाज उठाना ही चाहिए।
— विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल
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विवाह में दिखावे पर अधिक जोर
विवाह समारोह में शानशौकत और दिखावे पर अधिक जोर दिया जाने लगा है। विवाह की रस्मों में संस्कारों के बजाय अभिनय और अंहकार ज्यादा हावी हो जाते हैं। इससे आपसी प्यार और विश्वास पनप ही नहीं पनप पाता। दिल की दूरी और अधिक दूर होती जाती है। नजदीकी रिश्तों में सामंजस्य, सहमति और संस्कारों को स्थापित करने पर जोर देना चाहिए।
माधव सिंह भामु, श्रीमाधोपुर, सीकर
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मानसिक, भावनात्मक व आर्थिक दुर्व्यवहार चिंताजनक मुद्दा
नजदीकी रिश्तों में अपराधों का बढ़ना एक गंभीर और चिंताजनक सामाजिक मुद्दा है। ये अपराध केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें मानसिक, भावनात्मक, यौनिक और आर्थिक दुर्व्यवहार भी शामिल है। आधुनिक जीवनशैली में तनाव का बढ़ता स्तर, आर्थिक अनिश्चितता, बेरोजगारी और भविष्य की चिंताएं लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं, जो कभी-कभी हिंसक व्यवहार में बदल जाती है। लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी आई है। इसके साथ ही पारंपरिक पारिवारिक मूल्य, जहां बड़ों का सम्मान और आपसी समझ को महत्व दिया जाता था, कमजोर हो रहे हैं। कई बार बड़े—बुजुर्गों की सोच में भी स्वार्थीपन की बू आती है। इससे रिश्तों में दरारें आ रही हैं। ऐसे अपराध रिश्तों की नींव को कमजोर करते हैं और अक्सर उन्हें पूरी तरह से तोड़ देते हैं।
— डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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धैर्य की सीमा टूटने पर बढ़ रहे आपराधिक कृत्य
रिश्तों से समाज और परिवार जुड़े होते हैं। मानसिक सोच खराब होने के चलते नजदीकी रिश्तों मे अपराध होने शुरू हो गए हैं। पति -पत्नी, भाई – भाई, चाचा – भतीजे आदि के तरह के सभी रिश्तों में, थोड़ा भी मनमुटाव होने पर धैर्य की सीमा टूट जाती है। इससे अपराधिक कृत्य होते हैं। पारिवारिक रिश्तों मे प्रेम – सौहार्द – एक दूसरे के प्रति सम्मान मे कमियों के चलते ही नजदीकी रिश्तों मे अपराध दर बढ़ रही है। परिवार के सदस्यों द्वारा सोच समझ कर सुलझाने के रास्ते निकालने होंगे।
— नरेश कानूनगो शोभना, देवास म प्र

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