भारत में वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए हमें पेंशन योजनाओं का विस्तार, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सम्मान दें। – टीएस कार्तिक, चेन्नई
बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा के लिए पेंशन व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, सरकारी सहायता योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा उन्हें अधिकारों की जानकारी देना और पारिवारिक व सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देना आवश्यक है। ये प्रयास उन्हें सुरक्षित व सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेंगे। – कुशाग्र स्वामी, झालावाड़
बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए सरकार और समाज को सामूहिक प्रयास करने चाहिए। बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए एंबुलेंस सेवा होनी चाहिए तथा विपरीत परिस्थितियों में जब उनके परिजन उनकी देखभाल नहीं कर पाते ऐसे में संपूर्ण सुविधामय वृद्धाश्रम होना चाहिए। समाज व परिजनों को भी वृद्धों की अहमियत को समझना चाहिए। बुजुर्गों के साथ परिजन नियमित संवाद करें और उनके जीवन के अनुभवों का लाभ उठाएं, तभी बुजुर्गों को सम्मान मिल पाएगा और समाज को उनके अनुभवों का लाभ मिल पाएगा। – आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर
बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा एक बहुआयामी दायित्व है, जिसमें सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, परिवार का सहयोग, जनसमुदाय और स्वयं बुजुर्गों की भागीदारी, हर स्तर पर सशक्तीकरण आवश्यक है। इन सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों से ही वृद्धावस्था को गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के साथ बिताया जा सकता है। – विवेक रंजन श्रीवास्तव,
भोपाल
बुजुर्ग हमारे लिए सम्मान के पात्र हैं, जिनके अनुभव और ज्ञान समाज का आधार हैं। उनकी सेवा-सुश्रुषा की सामूहिक जिम्मेदारी समाज की है। सामाजिक सुरक्षा के लिए सरकार को सशक्त पेंशन योजनाएं, किफायती स्वास्थ्य सेवाएं और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने होंगे। सामुदायिक केंद्रों में सामूहिक मनोरंजन, धार्मिक चर्चा व शिक्षा के अवसर बढ़ाकर उनके जीवन के अंतिम पड़ाव को सुखमय बनाएं। परिवारों में सम्मान और देखभाल की भावना जागृत करें। कानूनी संरक्षण और सामाजिक समावेशन से बुजुर्गों की गरिमा बरकरार रखें। – इशिता पाण्डेय, कोटा
जिन बुजुर्गों के पास उनके बच्चे नहीं रहते, सरकार को उनके लिए केयर टेकर की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि उन्हें रोज़मर्रा की देखभाल और सुरक्षा मिल सके। इससे उनका जीवन सहज और सम्मानजनक बनेगा। साथ ही, इससे बुजुर्गों को अकेलापन महसूस नहीं होगा और उनकी सेहत में सुधार होगा। – प्रियव्रत चारण, जोधपुर